सही नहीं सर्वश्रेष्ठ की धारणा पर विश्वास रखते थे चार्ल्स कोरिया
महान वास्तुकार चार्ल्स कोरिया की स्मृति में संवाद प्रवाह
सभी वक्ता सभी विशेषज्ञ जेकेके के निर्माण कार्य में चार्ल्स कोरिया के साथ जुड़े रहे हैं।
जयपुर। जवाहर कला केन्द्र (जेकेके) की ओर से महान वास्तुकार चार्ल्स कोरिया के जन्मदिवस के अवसर पर संवाद प्रवाह का आयोजन किया गया। जेकेके, दी इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ आर्किटेक्ट्स, राजस्थान चैप्टर और अर्बन स्केचर्स, जयपुर की ओर से चर्चा सत्र आयोजित कियाा गया।
चर्चा सत्र में आर्किटेक्ट प्रणयदीप, तुषार सोगानी, कॉन्ट्रैक्टर अशोक अग्रवाल और दिनेश चौधरी ने विचार रखे। जेकेके की अति. महानिदेशक प्रियंका जोधावत भी इस दौरान मौजूद रहीं। सभी वक्ता सभी विशेषज्ञ जेकेके के निर्माण कार्य में चार्ल्स कोरिया के साथ जुड़े रहे हैं। सत्र में बड़ी संख्या में आर्किटेक्ट व स्टूडेंट्स ने हिस्सा लिया।
तुषार सोगानी ने कहा कि जेकेके आर्किटेक्ट्स के लिए विशेष महत्व रखता है। स्टूडेंट्स इस भवन की डिजाइन से वास्तुकला के विभिन्न पहलुओं को बारीकी से समझ सकते हैं। प्रणयदीप ने बताया कि चार्ल्स कोरिया सही नहीं सर्वश्रेष्ठ की धारणा पर विश्वास रखते थे, इसी का परिणाम है कि उन्होंने जेकेके जैसा भवन तैयार किया जो पूरी दुनिया के लिए नजीर बन गया है। अशोक अग्रवाल ने बताया कि चार्ल्स कोरिया का जेकेके से इतना लगाव था कि इसे अपनी संतान के रूप संबोधित किया करते थे। उन्होंने जयपुर की चौपड़ प्रणाली से प्रेरणा लेकर हमारे पूर्वजों की वास्तुकला को जेकेके के रूप में पुर्नजीवित कर दिखाया।
दिनेश चौधरी ने बताया कि जेकेके के भवन निर्माण से एक मानक दुनिया के सामने स्थापित करना था डिजाइन से लेकर निर्माण तक काफी समस्याएं आई। यह चार्ल्स कोरिया की मजबूत इच्छाशक्ति का परिणाम है कि आज तक जेकेके की जीवंतता तब से लेकर आज तक उसी तरह बरकरार है।
प्रियंका जोधावत ने कहा कि चार्ल्स कोरिया के योगदान को भुलाया नहीं जा सकता है। यह आयोजन उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि है। युवा आर्किटेक्ट्स और स्टूडेंट्स इस सत्र में शामिल हुए और व्यक्तिगत रूप से चार्ल्स कोरिया और उनकी वास्तुकला को जाना। सभी उनसे प्रेरणा ले और देश-दुनिया में जेकेके जैसे भवन बनाएं जिनकी लोग मिसाल दें।
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