बंगाल विधानसभा में दुष्कर्म विरोधी सख्त विधेयक पारित: दुष्कर्म पीड़िता के कोमा में जाने या मौत होने पर दोषी को 10 दिन में फांसी
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इस विधेयक को ‘ऐतिहासिक’ और पिछले महीने कोलकाता के आर जी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में दुष्कर्म के बाद मार डाली गई जूनियर डॉक्टर को श्रद्धांजलि बताया।
कोलकाता। पश्चिम बंगाल सरकार ने सर्वसम्मति से सख्त अपराजिता महिला और बाल (पश्चिम बंगाल आपराधिक कानून संशोधन) विधेयक, 2024 पारित कर दिया, जिसमें मामले की जांच 21 दिन में करनी होगी। इसके अलावा अगर दुष्कर्म पीड़िता कोमा में चली जाती है या उसकी मौत हो जाती है तो दोषी को दस दिन में फांसी का प्रावधान है। इसके अलावा हिबल में यह भी प्रावधान किया या है कि हर जिले में अपराजिता टास्क फोर्स गठित की जाएगी और उसका नेतृत्व डीएसपी लेवल के अधिकारी करेंगे।
भाजपा ने दिया समर्थन
विधेयक को विपक्षी भाजपा के सदस्यों के समर्थन से विधानसभा में पारित किया गया। विधेयक को अब राज्यपाल सी वी आनंद बोस और उसके बाद राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा।
पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष 8 दिन की सीबीआई हिरासत में
इस बीच आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष और अन्य 3 लोगों को 8 दिन की सीबीआई कस्टडी में भेजा दिया गया है। सीबीआई ने इन्हें अलीपुर कोर्ट में पेश किया। वहीं, कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में ट्रेनी डॉक्टर के साथ रेप-मर्डर केस में जूनियर डॉक्टरों का प्रदर्शन 25वें दिन भी जारी है। प्रदर्शनकारी डॉक्टर पुलिस कमिश्नर विनीत गोयल के इस्तीफे की मांग कर रहे हैं।
बिल आर जी कर अस्पताल में मारी गई डॉक्टर को श्रद्धांजलि: ममता
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इस विधेयक को ‘ऐतिहासिक’ और पिछले महीने कोलकाता के आर जी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में दुष्कर्म के बाद मार डाली गई जूनियर डॉक्टर को श्रद्धांजलि बताया। उन्होंने कहा कि दुष्कर्म अब राष्ट्रीय शर्म बन गया है। आइए हम सामाजिक सुधार के लिए एक साथ आएं, जो दुष्कर्म को रोकने के लिए जरूरी है। इसके साथ ही, पश्चिम बंगाल दुष्कर्म और यौन अपराधों से निपटने वाले केंद्रीय कानूनों में संशोधन करने वाला पहला राज्य बन गया है।
ताकि दोषियों को मिले ज्यादा दंड
अपराजिता महिला एवं बाल विधेयक (पश्चिम बंगाल आपराधिक कानून एवं संशोधन) विधेयक 2024 में हाल ही में पारित भारतीय न्याय संहिता 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 कानूनों और यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण अधिनियम 2012 में संशोधन करने का प्रस्ताव है, ताकि पश्चिम बंगाल में महिलाओं और बच्चों के खिलाफ हिंसा के जघन्य कृत्य की त्वरित जांच और सुनवाई के लिए रूपरेखा का निर्माण किया जा सके तथा दोषियों के लिए दंड बढ़ाया जा सके।
बिना पैरोल उम्रकैद की सिफारिश
विधेयक के सख्त प्रावधानों के अनुसार, अगर दुष्कर्मी के अपराध के परिणामस्वरूप पीड़िता की मौत हो जाती है या वह अचेतावस्था में चली जाती है, तो उसे दस दिन में फांसी की सजा दी जाएगी। विधेयक में दुष्कर्म के दोषियों के लिए पैरोल के बिना आजीवन कारावास की भी सिफारिश की गई है।
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