शिक्षक दिवस : वह महिलाएं, जिन्होंने भारतीय शिक्षा का बदल दिया था पूरा चेहरा

इनकी बेमिसाल भूमिका से ही शिक्षा का आधार तैयार हुआ

शिक्षक दिवस : वह महिलाएं, जिन्होंने भारतीय शिक्षा का बदल दिया था पूरा चेहरा

देश के शैक्षिक परिदृश्य को अमिट रूप से नया आकार दिया, जिससे महिलाएं बराबर आकर खड़ी हो सकीं।

नई दिल्ली। आइए शिक्षक दिवस पर उन अग्रणी महिला शिक्षकों को याद करें, जिन्होंने भारतीय शिक्षा का पूरा चेहरा बदल दिया था। देश के शैक्षिक परिदृश्य को अमिट रूप से नया आकार दिया, जिससे महिलाएं बराबर आकर खड़ी हो सकीं। इनकी बेमिसाल भूमिका से ही शिक्षा का आधार तैयार हुआ।

ऐनी बेसेंट (1847-1933)
एक ब्रिटिश समाज सुधारक, ने सेंट्रल हिंदू कॉलेज की स्थापना  में योगदान दिया। यह उनका ही कन्सेप्ट था। यह बाद में  बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के रूप में विकसित हुआ। उनके कार्यों ने उच्च शिक्षा और महिलाओं के अधिकारों में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
शिक्षा वह आधार है, जिस पर हम अपना ही नहीं, देश का भी भविष्य बनाते हैं।

सावित्रीबाई फुले (1831-1897)
महिलाओं की शिक्षा की अग्रणी, ने पुणे में पहली लड़कियों के स्कूल की स्थापना की और महिलाओं और वंचित समुदायों की शिक्षा के लिए निडरता से वकालत की। उन्होंने महिलाओं को शिक्षित करने के लिए खूब कविताएं लिखीं और उन्हें गा-गा कर स्कूल तक लाने के लिए प्रेरित किया।
एक बेटे को शिक्षित करें तो आप एक परिवार को शिक्षित करते हैं, लेकिन एक बेटी को शिक्षित करें तो आप एक राष्ट्र को शिक्षित करते हैं।

पंडिता रमाबाई (1858-1922)
ए क प्रसिद्ध समाज सुधारक। आर्य महिला समाज और मुक्ति मिशन की स्थापना की, जिसका मुख्य उद्देश्य महिलाओं की शिक्षा और सामाजिक बदलाव था। वे  इतनी क्रांतिकारी थी कि उन्होंने जाति बंधन तोड़कर विवाह किया। पति का निधन दो साल बाद ही हो गया तो बेटी को अमेरिका तक शिक्षित किया।
एक महिला को शिक्षित करें, और आप एक परिवार को ऊंचा उठाते हैं; एक लड़की को शिक्षित करें, और आप एक राष्ट्र को ऊंचा उठाते हैं।

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आनंदी गोपाल जोशी (1865-1887)
भा रत की पहली महिला मेडिकल स्नातक। शिक्षा और चिकित्सा में बाधाओं को तोड़ा और भविष्य की महिलाओं पेशेवरों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनीं। विदेश में विपरीत हालात में शिक्षा ली।
मैं शिक्षा की शक्ति में विश्वास करती हूँ, जो निर्जीव जीवन में भी नवप्राण फूंकती है।

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कमलादेवी चट्टोपाध्याय (1903-1988)
ए क प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी और शिक्षिका। महिलाओं की शिक्षा और कला को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और राष्ट्रीय महिला परिषद जैसी प्रभावशाली संस्थाओं की स्थापना की। पुस्तकें लिखीं और महिलाओं को वर्जनाएं तोड़ने के लिए प्रेरित किया।
शिक्षा के लिए संघर्ष एक राष्ट्र की आत्मा के लिए संघर्ष है।

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