जानिए राजकाज में क्या है खास
सूबे में पिछले पांच दिनों से पीतल की लौंग की चर्चा जोरों पर है। लाल किले वाली नगरी तक में चिंतन-मंथन हो रहा है।
चर्चा में पीतल की लौंग
सूबे में पिछले पांच दिनों से पीतल की लौंग की चर्चा जोरों पर है। लाल किले वाली नगरी तक में चिंतन-मंथन हो रहा है। हो भी क्यों ना, पीतल की लौंग बाजार में जब उछली है, तब भगवा वाले कुछ भाइयों की लीडरशिप के भावों में सोना-चांदी की तरह काफी उतार-चढ़ाव चल रहा है। इस चर्चा के बीच कई भाई लोग दुबले भी हो रहे हैं। उनका दिन का चैन और रातों की नींद गायब हो गई। बेचारे हार्डकोर वर्कर्स के समझ में नहीं आ रहा है कि पीतल की लौंग और सर्राफ को लेकर मैडम की जुबान खुलने के मायने क्या हैं। अब बेचारे वर्कर्स को कौन समझाए कि अनुभव के आधार पर बोली गई बात दमदार होती है। अब मैडम की गणेश जी के वार बुध को खुली जुबान के राज को समझने वाले समझ गए, ना समझे वो अनाड़ी हैं।
नजरें खाली कुर्सी की ओर
सूबे में जब से बड़े ओहदों पर नौकरी देने वाले कमीशन में चेयरमैन की कुर्सी खाली हुई है, तब से इस पर कइयों की नजर टिकी है। कुछेक साहब लोग तो इसकी तरफ टकटकी लगाए बैठे हैं। उनकी रातों की नींद और दिन का चैन तक गायब है। वे बंगला नंबर 51 के साथ भारती भवन का भी देवरा ढोक रहे हैं। और तो और अपने ईष्ट देव के सवामणी तक बोल चुके हैं। देवी-देवताओं को पूजने के साथ ही ख्वाजा की नगरी में कदम रखते ही दरगाह में चादर चढ़ाने और पुष्कर सरोवर में डुबकी लगाने की भी सोच रखी है। राज का काज करने वालों में इस कुर्सी के लिए कइयों का नाम चर्चा में भी है। आईएएस लॉबी में सबसे ज्यादा भारी नाम रेवाड़ी वाले साहब का है, जो फिलहाल खाकी वालों के साथ दिन गुजार रहे हैं।
बिगड़ा योग
आजकल राज के दो नवरत्नों का गृहयोग बिगड़ा हुआ है। दोनों ही सरकार चला रहे हैं। वृष राशि वाले भाई साहब का स्वामी शुक्र रूठा हुआ है, जो अपनी करामात दिखा रहा है। नित नए आरोपों का सामना करा रहा हैं। धनु राशि वाले भाई साहब भी घरेलू संकट से जूझ रहे हैं। उनका गुरु बृहस्पति भी कोई कसर नहीं छोड़ रहा। तमाम टोने टोटकों के बाद भी काबू में नहीं आया और पिछली एक तारीख को ऐसा झटका दिया, जिसकी कल्पना भी नहीं थी। अब दोनों रत्नों को ऐसे पंडित की तलाश है, जो पूजा पाठ कर गुरुओं को राजी कर सके।
मायने भीड़ के
इंदिरा गांधी भवन में बने हाथ वालों के ठिकाने पर शनि को छोटे पायलट साहब के बर्थ डे पर कई सदरों में उमड़ी भीड़ को लेकर कई तरह के मायने निकाले जा रहे हैं। छोटे पायलट साहब भी भीड़ को देख मंद-मंद मुस्करा रहे हैं। हाथ वाले भाई लोगों के एक खेमे में चर्चा है कि जाड़ों की रातों में शहरों की सरकार के लिए होने वाली जंग में दावेदारों ने टिकट कटने के डर से नेताओं ने भी भीड़ जुटाने में अपना पूरा दम लगाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। बेचारों के पास टारगेट को पूरा करने के लिए पसीने बहाने के सिवाय कोई चारा भी तो नहीं था।
एक जुमला यह भी
इन दिनों भगवा पार्टी में चल रहे अन्तरकलह को लेकर हाथ वाले भाई साहबों के भी चेहरे खिले हुए हैं। इंदिरा गांधी भवन में बने ठिकाने में दिनभर हाथ वाले भाई लोग अपनी नहीं बल्कि भगवा वाली पार्टी के भीतर की इधर-उधर बातें में व्यस्त रहते हैं। अब उन्हें कौन समझाए कि जब अपने घर में बेटा ही नहीं है, तो पड़ोसी के बेटी होने पर पताशे बांटने से कोई फायदा होने वाला नहीं है।
- एल एल शर्मा
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