माधबी पुरी बुच ने नियमों का उल्लंघन कर किया सत्ता का दुरुपयोग : खेड़ा 

ए तथ्यों के साथ जवाब दिया

माधबी पुरी बुच ने नियमों का उल्लंघन कर किया सत्ता का दुरुपयोग : खेड़ा 

आईसीआईसीआई बैंक द्वारा स्पष्टीकरण जारी करने के बाद हमने सेवानिवृत्ति लाभ ईएसओपी और ईएसओपी पर टीडीएस के बारे में नए तथ्यों के साथ जवाब दिया। 

नई दिल्ली। कांग्रेस ने कहा कि सेबी प्रमुख माधबी पुरी बुच ने नियमों का उल्लंघन कर सत्ता का दुरुपयोग किया है और निजी स्तर पर अनुचित लाभ कमाया है। कांग्रेस मीडिया एवं प्रचार विभाग के प्रमुख पवन खेड़ा ने पार्टी मुख्यालय में कहा कि सेबी प्रमुख माधबी पुरी बुच ने सत्ता का दुरुपयोग कर निजी लाभ के लिए नियमों को तोड़ा है। उसकी परतें गत 2 सितंबर से लगातार उजागर की जानी शुरू की गई है  कि कैसे उन्होंने देश के लोगों को धोखा दिया है। उन्होंने कहा कि 2 सितंबर को पता चला कि बुच ने आईसीआईसीआई बैंक और आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल से 16.8 करोड़ रुपये वेतन, ईएसओपी और ईएसओपी पर टीडीएस के रूप में प्राप्त किए, जबकि उन्हें सेबी से भी वेतन मिल रहा था। खेड़ा ने कहा कि चौंकाने वाली बात है कि सेबी इस दौरान आईसीआईसीआई और उसके सहयोगियों के खिलाफ शिकायतों को संभाल रहा था। 

अब तक आईसीआईसीआई ने इन बिंदुओं पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। 6 सितंबर को हमने खुलासा किया कि बुच ने अपनी संपत्ति वॉकहार्ट लिमिटेड की सहयोगी कंपनी कैरोल इन्फो सर्विसेज लिमिटेड को किराए पर दी जो इनसाइडर ट्रेडिंग के लिए सेबी के जांच के दायरे में है। दस सितंबर को हमने बुच के झूठे दावे को उजागर किया कि उनकी कंपनी अगोरा एडवाइजरी प्राइवेट लिमिटेड, सेबी में शामिल होने के बाद निष्क्रिय हो गई। वह अभी भी कंपनी के 99 प्रतिशत की मालिक हैं, जिसने सेवाएं प्रदान करना जारी रखा और 2016 और 2024 के बीच छह सेबी-विनियमित कंपनियों से 2.95 करोड़ रुपये प्राप्त किए।

उन्होंने कहा कि रेड्डीज लैबोरेटरीज और पिडिलाइट ने अगोरा एडवाइजरी प्राइवेट लिमिटेड के माध्यम से धवल बुच को भुगतान करने की पुष्टि की। सेबी-विनियमित कंपनियों से अगोरा एडवाइजरी को भुगतान, हितों के टकराव के नियमों का उल्लंघन करता है। महिंद्रा एंड महिंद्रा को यह स्पष्ट करना चाहिए कि क्या उन्होंने धवल बुच को व्यक्तिगत रूप से और अगोरा एडवाइजरी प्राइवेट लिमिटेड, जिसमें बुच की 99 प्रतिशत हिस्सेदारी है को बड़ी रकम का भुगतान किया है। यदि ऐसा है, तो क्या वे सार्वजनिक धन हस्तांतरित करने से पहले केवाईसी और सम्यक तत्परता का पालन करने में विफल रहे। यदि धवल बुच को 4.78 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया था, तो महिंद्रा एंड महिंद्रा को कथित रूप से निष्क्रिय अगोरा एडवाइजरी को दिए गए 2.59 करोड़ रुपये के भुगतान को लेकर संशयों को भी स्पष्ट करना चाहिए।

 

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