धर्मशाला व स्कूलों में चल रहे कोटा संभाग के 8 कॉलेज

कॉलेज चलाने से पहले स्कूल की छुट्टी का रहता इंतजार

धर्मशाला व स्कूलों में चल रहे कोटा संभाग के 8 कॉलेज

अस्थाई जर्जर भवनों में संचालित हो रहे सरकारी महाविद्यालय ।

कोटा। हाड़ौती के सरकारी महाविद्यालय धर्मशाला व स्कूलों में चल रहे हैं। जहां कॉलेज संचालित करने से पहले स्कूल की छुट्टी होने का इंतजार करना पड़ता है। वहीं, खतस्ताहाल अस्थाई भवनों में सुविधाएं तो न के बराबर हैं लेकिन हादसों का खतरा भरपूर है। हालात यह हैं, संभाग के 8 सरकारी कॉलेज उधार के भवनों में संचालित हो रहे हैं। कई महाविद्यालय 3 तो कोई 5 कमरों में चल रहा है। जहां बारिश में टपकती छतें व दीवारों से उठती सीलन की बदबू और बिजली के तारों से हादसे का खतरा बना रहता है। जबकि, अधिकतर कॉलेजों में विद्यार्थियों की संख्या 600 से ज्यादा है। ऐसे में विद्यार्थियों के बैठने तक की जगह नहीं मिलती। इन्हें आज तक खुद का भवन नसीब नहीं हुआ। इधर, बारां जिले में 4 भवनों में 8 कॉलेज चल रहे हैं।  

सुबह की पारी में स्कूल, शाम को कॉलेज
बूंदी जिले के तालेड़ा कस्बे में गत वर्ष राजकीय कला महाविद्यालय खुला था, जो वर्तमान में महात्मा गांधी सी.सै. गर्ल्स स्कूल में चल रहा है। सुबह की पारी में स्कूल चलता है, जिसकी छुट्टी होने के बाद दोपहर 1 से शाम 6 बजे तक कॉलेज शुरू होता है। स्कूल से उधार मिले 3 से 4 कमरों में कक्षाएं संचालित करनी पड़ती है। कॉलेज शुरू करने के लिए शिक्षकों को स्कूल की छुट्टी का इंतजार करना पड़ता है। 

कम समय, कैसे कराएं एक्टिवीटी
राजकीय कला महाविद्यालय तालेड़ा के प्राचार्य बीके  शर्मा कहते हैं, कॉलेज संचालित करने के लिए लिमिटेड समय मिलता है, ऐसे में स्पोर्ट्स व कल्चर एक्टिीवीटी नहीं करवा पाते। सिर्फ पढ़ाई पर ही फोकस रखते हैं।  वर्तमान में कॉलेज में 300 से ज्यादा विद्यार्थी अध्ययनरत हैं। हालांकि अकतासा में कॉलेज की नई बिल्डिंग बन रही है।

7 साल से धर्मशाला में चल रहा कॉलेज
राजकीय इटावा महाविद्यालय की स्थापना वर्ष 2018 में हुई थी, तब से यह करीब 51 साल पुरानी त्यागी धर्मशाला में चल रहा है। भवन जितना पुराना है, उतना ही जर्जर अवस्था में है। बरसात में कक्षा-कक्षों में पानी टपकता है। छतों का पलास्टर जगह-जगह उखड़ा है। हालांकि, 6 करोड़ की लागत से महाविद्यालय का नया भवन का निर्माण लगभग पूरा हो गया है। दीपावली के बाद शिफ्ट होने की उम्मीद है। 

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एक प्रिंसिपल चला रहे 3 कॉलेज
बारां जिले के राजकीय कला महाविद्यालय छबड़ा के  प्राचार्य अरविंद प्रताप वर्तमान में तीन कॉलेजों का संचालन कर रहे हैं। उनके जिम्मे बयॉज अटरू, गर्ल्स अटरू और राजकीय प्रेम सिंह सिंघवी कॉलेज हैं। इसी तरह अटरू राजकीय महाविद्यालय के प्राचार्य बुद्धिप्रकाश मीणा खुद के कॉलेज के अलावा राजकीय कला कन्या महाविद्यालय अटरू का भी संचालन कर रहे हैं।  

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पेड़ के नीचे लगती क्लासें
प्राचार्य रामदेव मीणा ने बताया कि इटावा कॉलेज में वर्तमान में 800 से 900 के बीच विद्यार्थी अध्यनरत हैं, जबकि, धर्मशाला में 5 कमरे मिले हैं, जिनमें से एक प्राचार्य आॅफिस है। ऐसे में 4 कमरों में ही कॉलेज चलाना पड़ रहा है। विद्यार्थियों को बिठाने की जगह नहीं होने से बीए की दो कक्षाएं टीन शेड व पेड़ के नीचे लगानी पड़ती है।  वहीं, कॉलेज में 7 विषय स्वीकृत हैं, जिसमें से अंग्रेजी, संस्कृत, हिन्दी और राजनेतिक विज्ञान के शिक्षक नहीं हैं।  

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यह कॉलेज भी स्कूल-पंचायत भवनों में संचालित
गवर्नमेंट कॉलेज बारां के सहायक आचार्य राजेंद्र मीणा ने बताया कि जिले में राजकीय कला गर्ल्स महाविद्यालय शाहबाद कॉलेज कस्बे के राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय मुंडियर में संचालित हो रहा है। यह स्कूल खस्ताहाल है। यहां 130 विद्यार्थियों का नामांकन है। इसी तरह राजकीय महाविद्यालय नाहरगढ़ वर्ष 2022-23 से पुलिस थाने के पीछे पंचायत समिति के भवन में चल रहा है। वहीं, सीसवाली कॉलेज राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय, केलवाड़ा गर्ल्स कॉलेज पिछले साल से ही सीताबाड़ी स्थित सरकारी स्कूल के पुराने भवन में चल रहा है। यहां 300 छात्राओं का नामांकन है। इधर, आयुक्तालय से मिली जानकारी के अनुसार, झालावाड़ के असनावर व खानपुर राजकीय महाविद्यालय भी स्कूलों के पुराने भवनों में संचालित हो रहे हैं। 

4 भवनों में 8 कॉलेज 
बारां जिले में एक बिल्डिंग में दो-दो कॉलेज संचालित हो रहे हैं। इनमें राजकीय महाविद्यालय छबड़ा की बिल्डिंग में गवर्नमेंट आर्ट्स गर्ल्स कॉलेज, राजकीय अटरू महाविद्यालय में कन्या कला अटरू, गवर्नमेंट केलवाड़ा कॉलेज में शाहबाद कृषि महाविद्यालय तथा  राजकीय महाविद्यालय बारां में गवर्नमेंट एग्रीकल्चर कॉलेज बारां संचालित हो रहा है। इन कॉलेजों में कक्षा कक्ष सीमित हैं और विद्यार्थियों की संख्या कई गुना अधिक है। कॉलेज प्राचार्यों को संचालन संबंधित कई दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। 

क्या कहते हैं विद्यार्थी
कॉलेज में न तो पढ़ाने के लिए शिक्षक हैं और न ही बैठने के लिए जगह। कॉलेज जाने में समय की बर्बादी होती है। ऐसे में घर पर ही सेल्फ स्टडीज करनी पड़ती है। मिड टर्म के दौरान सभी विद्यार्थी एक साथ आ गए तो बैठने की जगह तक नहीं मिली।  
- दीपेंद्र कुमार, छात्र द्वितीय वर्ष, राजकीय इटावा महाविद्यालय

पढ़ने से पहले स्कूल की छुट्टी होने का इंतजार करना पड़ता है। संभाग का यह एकमात्र कॉलेज है जो दोपहर को संचालित होता है। यहां दो तीन कमरें हैं। बैठने के लिए जगह तक नहीं है। जबकि, 300 से ज्यादा विद्यार्थियों का नामांकन है। कॉलेज शुरू होने से पहले स्कूल की छुट्टी होने का इंतजार करना पड़ता है। 
- तेजाराम नाथावत, छात्र, राजकीय महाविद्यालय तालेड़ा

जो कॉलेज वर्तमान में अस्थाई भवन में चल रहे हैं, उनके नए भवन का निर्माण कार्य लगभग पूरे हो चुके हैं, जो जल्द ही अपने नए भवन में शिफ्ट हो जाएंगे।  सरकार इसके प्रति गंभीर है, प्रति सप्ताह निर्माणाधीन  भवनों की प्रगति की रिपोर्ट भेजने के लिए प्राचार्यों को पाबंद किया है। वहीं, इस वर्ष संभाग में जो नए कॉलेज  खुले हैं, उनमें दो महाविद्यालयों को भूमि आवंटित हो चुकी है और दो की आवंटन प्रक्रिया अंतिम चरण में है। 
- डॉ. गीताराम शर्मा, क्षेत्रिय निदेशक, कॉलेज आयुक्तालय कोटा

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