गांधी दर्शन एक अमर विचारधारा

विचार न जन्म लेते हैं ,न ही नष्ट होते हैं

गांधी दर्शन एक अमर विचारधारा

भारतीय समाज और विश्व समुदाय में गांधी का वजूद अनमोल है।

आजादी के पुरोधा व पथ-प्रदर्शक महान व्यक्तित्व के धनी, सरलता, सौजन्यता और उदारता की मूर्ति व अहिंसा के पक्षधर राष्टÑपिता महात्मा गांधी एक व्यक्ति नहीं, एक विचार थे। और विचार मरा नहीं करते। विचार अमर हैं, उनकी अवधारणाएं शाश्वत हैं। विचार न जन्म लेते हैं ,न ही नष्ट होते हैं। प्रत्येक विचार हमारे अंतर्मन में गहरे बैठे होते हैं। काल के अजेय प्रवाह में कोई मनीषि पैदा होता है और उस विचार को शब्द दे देता है।

शनै: शनै: वह विचार वृहद सामाजिक, राजनीतिक, सांस्कृतिक परिवर्तनों का कारण बनता है। वह विचार जिसने बुद्ध की अहिंसा को, या कहें तो बुद्ध के आविर्भाव से भी पूर्व सनातन संस्कृति में गहरे व्याप्त अहिंसा को केंद्र में ला दिया। समाजवाद का मूल सिद्धांत उनके विचारों में है। हो सकता है कि उन्होंने समाजवाद शब्द का प्रयोग न किया हो, लेकिन यह सच है कि उनसे बड़ा कोई समाजवादी नहीं है। उनका अछूतोद्धार आंदोलन शोषितों, दलितों, पिछड़ों को मुख्यधारा में शामिल करने का बेजोड़ उदाहरण है। शायद उनसे बड़ा दलित हितैषी पैदा ही नहीं हुआ। इस बात को स्वयंभू दलित हितैषियों को समझने की जरूरत है। गांधी के होने का अर्थ है मनसा वाचा कर्मणा एकरूपता का होना। कथनी और करनी में अंतर रखने वाले उनकी प्रासंगिकता पर सवाल खड़े कर रहे हैं। नमो बुद्धाय की आवाज बुलंद करने वाले याद रखें कि बुद्ध अहिंसा एवं करुणा के सबसे बड़े प्रतीक हैं।

भारतीय समाज और विश्व समुदाय में गांधी का वजूद अनमोल है। यथार्थ और आदर्श का सतत तालमेल, सत्याग्रह, सुराज और उनका सविनय अवज्ञा आंदोलन चिर प्रासंगिक है। गांधी ने दुनियाभर के चिंतकों को अपने विचारों से प्रभावित किया। उनका स्वभाव, रुचि, आदत जीवन दर्शन सत्यापित है। वो गांधी ही थे, जो अकेले अहिंसा के दम पर बंगाल की आग शांत कर आए और 55,000 सैनिकों के बाद भी पंजाब की आग जलती रही। हमें शोषित के साथ खड़ा होना, शोषित तबके का पक्षधर होना, क्रिया की प्रतिक्रिया का विरोध करना, लाख असहमतियों और चौतरफा विरोध के बावजूद अपनी बात पर मजबूती से स्टैंड लेना गांधी ने सिखाया। उनका जीवन अपने आप में महज एक प्रयोग ही था, जिसमें असफलताएं भी आईं और आलोचनाएं भी, हर किसी की जिंदगी में आती हैं और इन्हीं सबने गांधी को बड़ा बना दिया। गांधी कहते थे कि भारत की आत्मा गांवों में बसती है। उन्होंने अपने सपनों के भारत में गांव के विकास को प्रमुखता प्रदान करके उससे देश की उन्नति निर्धारित होने की बात कही थी। गांधी ने अपने सपनों के भारत में अपनी व्यापक दृष्टि का परिचय देते हुए ग्रामीण विकास की तमाम आवश्यकताओं की पूर्ति करके ग्राम स्वराज्य, पंचायतराज,  ग्रामोद्योग, महिलाओं की शिक्षा, गांव की सफाई व गांव का आरोग्य व समग्र विकास के माध्यम से सशक्त देश के निर्माण का मार्ग प्रशस्त किया था।

गांवों में ग्रामोद्योग की दयनीय स्थिति से चिंतित गांधी ने स्वदेशी अपनाओ,  विदेशी भगाओ के जरिए गांवों को खादी निर्माण से जोड़कर अनेकों बेरोजगार लोगों को रोजगार देकर स्वतंत्रता आंदोलन में उनकी भूमिका को रेखांकित किया। वे स्वतंत्रता के पश्चात एक ऐसे भारत का निर्माण करना चाहते थे, जहां ऊंच-नीच और महिला-पुरुष का भेद समाप्त हो और सभी अपने मताधिकार का विवेकपूर्ण प्रयोग करके अपने प्रतिनिधि का चयन कर लोकतंत्र की नींव को मजबूत करें। उन्होंने स्वराज्य की अवधारणा को स्पष्ट करते हुए कहा था कि स्वराज्य का मतलब बहुसंख्यक हिंदुओं का प्रभुत्व न होकर धर्म-जाति के भेदभावों से अछूते रहकर एक समतामूलक समाज का लोक सम्मति से शासन करना है। इसको लेकर उन्होंने समय-समय पर यंग इंडिया, हरिजन, हरिजन सेवक जैसी पत्र-पत्रिकाओं में अपने विचारों को उजागर भी किया। उन्होंने स्वराज्य को पवित्र शब्द के रूप में इंगित करते हुए उसे आत्म-शासन व आत्म-संयम से परिभाषित किया। गांधी भारतीय महिलाओं के पुनरुत्थान व उनको सामाजिक कुरीतियों व रूढ़ियों से मुक्त कराने के लिए प्रतिबद्ध थे। वे महिलाओं के सम्मान के लिए उनके समान अधिकार व देश के सामाजिक,  राजनीतिक, आर्थिक विकास में उनकी महत्वपूर्ण सहभागिता के पुरजोर समर्थक थे।

Read More प्राकृतिक संसाधनों के अधिक दोहन से बचें

उन्होंने महिला शिक्षा, विधवाओं के पुनर्विवाह व महिलाओं के लिए दहेज मुक्त समाज का निर्माण करके उन पर जबरदस्ती लादे जाने वाले दबावों के विष से उन्हें स्वतंत्र कराना चाहते थे। निजी महत्वाकांक्षा से मुक्त उनका समूचा जीवन प्रदर्शन नहीं, बल्कि दर्शन साबित हुआ। गांधी दर्शन के चार आधारभूत सिद्धांत  सत्य, अहिंसा, प्रेम और सद्भाव न केवल एक सशक्त समाज व राष्टÑ निर्माण के घटक हैं, बल्कि एक सच्चे व नेक दिल इंसान की व्यक्तिगत एवं चारित्रिक विशेषताएं भी हैं। अभी गांधी के सपनों के भारत को साकार करने के लिए हमें लंबा सफर तय करना है। एक ऐसा माहौल कायम करने की आवश्यकता है, जहां लोगों में गांधीवाद और गांधी मूल्यों के प्रति आस्था व विश्वास बना रहे।  

Read More भारत-अमेरिका के बीच प्रगाढ़ होते संबंध

-देवेन्द्रराज सुथार
यह लेखक के अपने विचार हैं।

Read More ‘महात्मा गांधी’ के नाम से राजस्थान में चल रहे इंग्लिश माध्यम के सरकारी स्कूल

Post Comment

Comment List