सड़कों पर बैठी गौमाता का कौन है रखवाला?

दुर्घटना में बेजुमान मवेशियों की हो जाती है मौत

 सड़कों पर बैठी गौमाता का कौन है रखवाला?

कस्बे की मुख्य सड़कों पर आवारा मवेशियों का कब्जा होने के पीछे बहुत हद तक पशुपालक भी जिम्मेदार है।

कवाई। कस्बे की सड़कों पर गौ माताएं घूमती रहती है। जिससे कभी भी वह दुघर्टनाओं का शिकार हो जाती है। कहने में तो हम गाय को गौ माता कहते हैं परंतु जब उनकी सड़क दुर्घटना में मौत हो जाती है तो उस समय इनकी परवाह करने वाला कोई सामने नहीं आता। गौमाता घरों की जगह सड़कों पर घूमने को मजबूर हो रही है। अगर ग्रामीण अपनी-अपनी गौ माताओं पर ध्यान दे तो सड़कों पर बैठने से छुटकारा मिल सकता है। वहीं कई बार यह गौ माताएं सड़क किनारे खड़ी बाइक को गिरा देती है। जिससे बाइक में भी टूट फूट हो जाती है। कस्बे की सड़कों से यह डेरा कभी न खत्म होने वाली समस्या बन गई है। जिसे कभी भी देखा जा सकता है। वही सड़क पर बैठे रहने से वाहन चालकों को भी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। 

पशुपालक अपने मतलब के लिए पाल रहे गौवंश
कस्बे की मुख्य सड़कों पर आवारा मवेशियों का कब्जा होने के पीछे बहुत हद तक पशुपालक भी जिम्मेदार है। जो केवल अपनी गायों को तब तक रखते हैं। जब तक वह दूध देती है। जैसे ही गाय दूध देना बंद कर देती है तो पशुपालक इन गायों को सड़कों के आसपास छोड़ देते हैं। केवल अपने स्वार्थ की पूर्ति के लिए ही पशुपालक गौमाता की देखरेख करते है। जिससे सड़कों पर धीरे-धीरे इन गायों की संख्या बढ़ती जा रही है।  उन्हें सड़कों पर आवारा घूमने के लिए इस तरह छोड़ दिया जाता है जैसे मवेशी से उनका कोई नाता न हो और दुघर्टना में कई गौ माता घायल हो जाती है तो कई की मौत हो जाती है। 

आए दिन सड़कों पर लगा रहता जमावड़ा
गौमाता के लिए सरकार समय-समय पर कई नियम लागू करती है परंतु कस्बे की सड़कों पर तो आज भी गौमाता का जमावड़ा लगा रहता है जो बड़े वाहनों की चपेट में आने से कई बार मौत के घाट उतार जाती है। सरकार को एक ऐसा नियम बनाना चाहिए ताकि सड़कों पर गौ माता नजर ना आए।  वहंी कस्बे में घूम रही गौमाता की सबसे पहली जिम्मेदारी तो गोपालक की है। जो इन्हें सड़कों पर छोड़ देते हैं। सड़कों पर घूम रही गौमाता को श्रीकृष्ण गौशाला लाकर गौशाला के जिम्मेदार उनकी सेवा भी करते है।  

जब पशुपालकों को पता चलता है की गौशाला में गायो को रख रखा है तो वह नाराजगी जाहिर करते हुए गौशाला में पहुंचकर गौमाता को ले जाने का प्रयास करते हैं। पशुपालकों से सड़कों पर गौवंश को नहीं छोड़ने की समझाइश की जाती है तो वहां पशुपालक लड़ाई झगड़े पर उतारू हो जाते है।  
- धनराज सुमन, कोषाध्यक्ष, श्रीकृष्ण गौशाला।         

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पशुपालकों को नस्ल सुधार पर भी तोड़ा ध्यान देना चाहिए ताकि अच्छी नस्ल के गौवंश जब उनके पास रहेगी तो अच्छा दूध देगी तो उन्हें सड़कों पर घूमने के लिए नहीं छोड़ेंगे।
- हरगोविंद  मेहता, मवासा निवासी।     

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कस्बे में घूम रही गौमाता को गौशाला में लाने के लिए काफी प्रयास किया जाता है परंतु कई लोग मालिकाना हक जमा कर गौशाला में आकर लड़ाई झगड़े पर उतर आते हैं। गौमाता को सड़कों पर छोड़ रहे हैं। उनकी पहचान कर  उसके मालिक को पाबंद कर उससे कहा जाए या तो गौशाला में छोड़े या फिर घर पर रखे तब ही सड़कों पर घूम रही गौमाता से निजात मिल सकती है। 
- देवकीनंदन सुमन, गौशाला सदस्य, कवाई। 

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कस्बे की सड़कों पर घूम रही गौमाता के गौभक्त तो बहुत है परंतु इनका एक दिन या दो दिन चारा खिला देने से इनकी सेवा नहीं होगी। अगर हर  गौभक्त एक गौ माता को अपने घर बांधकर उसकी सेवा करें तो सड़कों पर गाय दिखना ही बंद हो जाएगा।
-  पवन  चक्रधारी, वार्ड पंच, ग्राम पंचायत कवाई। 

गौपालक इन गौ माताओं को दूध देती है। वहां तक ही घर पर रखते हैं। जब यह दूध देना बंद कर देती है तो पशुपालक इन्हे सड़कों पर छोड़ देते हैं। इनको सड़कों पर नहीं छोड़कर गौशाला में छोड़कर आए या हमें सूचना दे तो हम गौशाला तक पहुंचाएंगे। अगर गौपालक गौमाता को ऐसे ही सड़कों पर छोड़ेंगे तो उच्च अधिकारियों को अवगत करवा देंगे फिर उनसे मिले आदेश के अनुसार कार्यवाही की जाएगी।
-  रामप्रताप सिंह, विकास अधिकारी, ग्राम पंचायत कवाई। 

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