आंखों में नव अरमान लिए मंजिल को अपना मान लिया, फिर कठिन क्या, आसान क्या...

फैशन डिजानिंग में कॅरियर बनना नहीं था आसान

आंखों में नव अरमान लिए मंजिल को अपना मान लिया, फिर कठिन क्या, आसान क्या...

कोटा के 2 हजार से अधिक युवक युवतियों और महिलाओं को फैशन की दुनिया में अपना केरियर बनाने के लिए तैयार करने वाली अनु ग्रोवर कोटा से लेकर वॉलीवुड तक अपने नाम का डंका बजवा चुकी है।

कोटा । आंखो में नव अरमान लिया, मंजिल को अपना मान लिया। फिर कठिन क्या, आसान क्या जो ठान लिया सो ठान लिया।  फैशन डिजाइनिंग में करियर बनाना इतना आसान नहीं था। फैशन डिजायर को जहां पहले लोग एक बेहतर दर्जी समझते थे उस सोच में फैशन एक नए को मुकाम तक पहुंचाने के लिए कड़ा संघर्ष करना पड़ा। कोटा फैशन को लेकर दो दशक पहले तक इतना क्रेज नहीं था।यह कहना है कोटा कि फैशन डिजायनर अनु ग्रोवर का। कोटा के 2 हजार से अधिक युवक युवतियों और महिलाओं को फैशन की दुनिया में अपना केरियर बनाने के लिए तैयार करने वाली अनु ग्रोवर कोटा से लेकर वॉलीवुड तक अपने नाम का डंका बजवा चुकी है। सलमान खान के फैशन डिजानर कमल के साथ बिग बॉस में ड्रेस डिजायन कर चुकी है। 

कोटा में स्टूडेंट रहते हुए पहली बार फैशन शो कराया
पढाई के दौरान ही पहली बार कोटा में 2004 में  फैशन शो कराकर लोगों को इसके महत्व को समझाया।  उसके बाद बूंदी, कोटा, बारां से महिलाओं को सिलाई कढाई के लिए 200 महिलाओं के गु्रप को प्रशिक्षण देकर उनकी टेलरिंग को बेहतर बनाने में जुट गई। ग्रामीण महिलाए पहले ब्लाउज और पेटीकोट कटिंग गत्ते पर काटकर रखती उस पर कपड़े को काटती थी तो कपड़ा काफी वेस्ट हो जाता था। मैने महिलाओं मेजरमेंट लेना सिखाया और ब्लाउज, सलवार सूट, पेटीकोट के नाप के अनुसार तैयार करना सिखाया तो महिलाओं बाजार से बल्क में काम मिलने लगा। मुस्लिम महिलाओं में बुर्के और उनकी ड्रेस में डिजानिंग डालकर नया लुक देना सिखाया। कोटा के बच्चों लेख्मी फैशन वीक चड़ीगढ़ में हर छह माह में मॉडल के ड्रेस तैयार जाते थे। कई बच्चों ड्रेस रैंप पहनकर मॉडल उतरी है। 2007 में रिलीज हुई सलमान खान की फिल्म में कई ड्रेस कोटा बच्चों द्वारा तैयार किए गए उपयोग में आए है।  बिग बॉस सीजन टू में भी कई ड्रेस तैयार करने में कोटा के विद्यार्थी शामिल थे। 

पहले लोग फैशन डिजानर को अच्छा दर्जी समझते थे
जब पहली बार मैने  फैशन डिजानिंग के क्षेत्र में उतरी तो लोगों की यह धारणा थी दर्जी से बेहतर डिजायन के कपड़े तैयार करने वाली अच्छी टेलर्स होगी। लेकिन जैसे जैसे फैशन और सोशल मीडिया में फैशन का जलवा छाने लगा तो लोगों को समझ फैशन अलग चीज है। लोगों को बेहतर लुक में दिखाने के लिए नए नए ड्रेस बाजार में लाना एक चुनौती है। कारण थोडे थोडे समय में फैशन बदल जाता है। लोगों नया चाहिए इसके लिए मैने एमरोडरी डिजायन में नए डिजायन किए जो लोगों काफी पसंद आए। 

महिलाओं को सिलाई, कढ़ाई ज्वैलरी मैकिंग का दे रही प्रशिक्षण
पिछले 19 साल से फैशन डिजानिंग में युवक युवतियों को प्रशिक्षण दे रही हूं। कोटा में जिला प्रशासन की ओर से संचालित शिविरों में अब तक 2 हजार से अधिक महिलाओं को सिलाई, कढाई, ज्वैलरी मैकिंग के प्रशिक्षण देकर उनको रोजगारमुखी बनाया है। मेरी कई स्टूडेंट के एक्सपोर्ट हाउस है। रेनुका पटेल ने आर्ट एंड क्राफ्ट में इंटर्नशिप कर वर्तमान में बिग बाजार  में कार्य कर रही है। आदिति राठौड़ एक्सपोर्ट हाउस मे रिलाइंस ट्रेड में कार्य कर रही है। ऐसी अनेक स्टूडेंट जो आज बडे ब्रांड के कपड़ो के शो रूम के लिए डिजानिंग तैयार कर रही है। कई स्टूडेंट जयपुर, जोधपुर, मुम्बई में फैशन डिजानिंग का कार्य कर रहे है।फैशन हाउस चला रही है स्टूडेंट अनु बताती है वो महिला सशक्तिकरण क्षेत्र में पिछले  19 साल से अनवरत कार्य कर रही है। 

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विज्ञान विषय में स्नातक करने बाद चुना फैशन डिजानिंग में जाने विकल्प
अनु ग्रोवर ने बताया कि मेरे लिए  फैशन डिजानिंग का सफर इतना आसान नहीं था। मैने साइंस विषय में 2001 में बीएससी किया। बायोलॉजी में मुझे आगे नहीं जाना था मुझे लगा सब तो डॉक्टर इंजीनियर बनेंगे नहीं तो मैने 2002 आई एन आई एफ डी  कोटा में फैशन डिजानिंग का पहली बार कोर्स शुरू हुआ तो मैने यहां से बीएससी फैशन डिजानिंग में स्नातक किया पहले बेच में किया। 2005 में कोर्स पूरा हुआ। उसके बाद 2006 में मेरी शादी राजेंद्र ग्रोवर से हो गई। कुछ समय तक हाउस वाइफ रही उसके बाद 2006 में आईएनआईएफडी से जॉब का आॅफर आया तो पति ने सहयोग किया में इससे जुड़ गई। तब से लेकर आज तक 19 साल से इस संस्थान से जुड़कर यहां के हेड की पोस्ट तक पहुंची। इस दौरान पढाई को जारी रखा और एमए इंगलिश में किया। 

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जब मिला ड्रेस आॅफ ईयर का अवार्ड तो लगें सपनों को पंख
अनु ग्रोवर का कहना है कि फैशन बताया कि पहली बार गृह शोभा पत्रिका की ओर से दिल्ली में आयोजित वस्त्रम में 2005 में ड्रेस आॅफ ईयर का प्रथम पुरस्कार मिला उसके बाद फोटो जेनिक में प्रथम स्थान प्राप्त किया। डेजर्ट इंडिया फैशन वीक द्वारा आयोजित मिस राजस्थान में प्रतियोगिता के दस प्रमुख  विजेताओं के वस्त्र की डिजाइनिंग मेरे द्वारा ही की गई। 2006 में अपने डिजाइन किए वस्त्रों का अमेजिंग फैशन शो का आयोजन किया। उसके बाद पीछे मुड़कर नहीं दिखा। 

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