हाड़ौती में चीते की एंट्री से पहले करोड़ों से तैयार होगी फूड चैन
शेरगढ़ व भैंसरोडगढ़ सेंचुरी में 8 करोड़ से बनेंगे प्रे-बेस एनक्लोजर
लेपर्ड फू्रफ होंगे एनक्लोजर, ब्लैक बक व चिंकारा की होगी वंशवृद्धि।
कोटा। मध्यप्रदेश के बाद हाड़ौती में चीतों की एंट्री शेरगढ़ व भैंसरोडगढ़ अभयारणय से होगी। लेकिन, चीते लाने से पहले दोनों सेंचुरी में उनके भोजन (प्रे-बेस) बढ़ाना होगा। जिसके लिए कोटा वन्यजीव विभाग द्वारा मुख्यमंत्री बजट घोषणा के तहत शेरगढ़ में 4 करोड़ की लागत से 2 प्रे-बेस एनक्लोजर 5-5 हैक्टेयर में तैयार किए जाएंगे। वहीं, भैंसरोडगढ़ सेंचुरी में भी 4 करोड़ से 2 प्रेबेस एनक्लोजर बनाए जाने हैं। जिसके लिए सरकार को प्रस्ताव बनाकर भेजे जा चुके हैं।
शेरगढ़: 4 करोड़ से बनेंगे दो एनक्लोजर
वन्यजीव डीएफओ अनुराग भटनागर ने बताया कि चीते लाने से पहले प्रे-बेस बढ़ाना होगा। हालांकि, यहां प्रे-बेस की संख्या करीब 40 से 50 प्रतिशत है। लेकिन, इनकी संख्या में बढ़ोतरी होना आवश्यक है। ऐसे में शेरगढ़ अभयारणय के बारापाटी व नाहरिया वनखंड में 4 करोड़ की लागत से 5-5 हैक्टेयर में 2 एनक्लोजर बनाए जाएंगे। जिसमें ब्लैक बक व चिंकारा को रखा जाएगा। यह एनक्लोजर पूरी तरह से लैपर्ड फू्रफ होगा। भैंसरोडगढ़ जंगल का भगौलिक वातावरण चीते के अनुकूल है। यहां आगरा व कोलगढ़ वनखंड में 5-5 हैक्टेयर में 2 एनक्लोजर बनाए जाने की प्लानिंग है। इसके लिए प्रस्ताव बनाए हैं।
कौनसी घास हिरण को पसंद, करवा रहे रिसर्च
अभयारणय में 20 तरह की घास हैं। कौनसी घास चरने योग्य है, हिरण किस घास को खाना ज्यादा पसंद करते हैं, इसका पता लगाने के लिए रिसर्च वर्क करवा रहे हैं। इसके लिए टैंडर भी निकाल दिया है। बायोलॉजिस्ट ने काम भी शुरू कर दिया है। अगले 4 माह में रिपोर्ट मिल जाएगी। ऐसे में हिरण की पसंदीदा घास को ही ज्यादा लगाया जाएगा। इसके अलावा भैंसरोडगढ़ में शाकाहारी वन्यजीवों की संख्या में तेजी से हुई गिरावट के क्या कारण है, इसका पता लगाने के लिए भी रिसर्च वर्क शुरू करवा दिया है।
500-500 हैक्टेयर में तैयार किया ग्रासलैंड
शेरगढ़ व भैंसरोडगढ़ सेंचुरी में 500-500 हैक्टेयर में ग्रासलैंड तैयार कर चुके हैं। वर्तमान में घास एक-एक फीट की हो चुकी है, जो एक माह बाद 3-3 फीट की हो जाएगी। जब जमीन पर बीज गिरेंगे तो बारिश में तीन गुना घास फिर से उगकर तेजी से बढ़ेगी। अभी समस्या यह है, बीज आने से पहले ही मवेशी घास चर जाते हैं। जिससे घास पनपने से पहले ही नष्ट हो जाती है। जबकि, शाकाहारी वन्यजीवों का मुख्य भोजन ही चारा होता है। पर्याप्त भोजन के अभाव में इनकी संख्या में तेजी से गिरावट होती जा रही है।
ऐसे होगी चीते की हाड़ौती में एंट्री
विशेषज्ञों के अनुसार, मध्यप्रदेश से राजस्थान तक 400 वर्ग किमी के क्षेत्र में चीता लैंडस्केप बनाया जाएगा। इसके लिए कार्य योजना तैयार की जा रही है। अगले चरण में दक्षिणी अफ्रीका या नामीबिया से चीते गांधी सागर में लाए जाएंगे और यह भैंसरोडगढ़ से जुड़ा हुआ है। ऐसे में जब चीते एनक्लोजर से बाहर निकलेंगे तो सौ फीसदी यह राजस्थान में भैंसरोडगढ़ के जंगल में एंट्री करेंगे। यहां का भगौलिक वातावरण चीते के अनूकूल है। पूर्व में भी चीता कूनों से निकल बारां के शाहबाद के जंगल तक आ चुका है।
हाड़ौती के शेरगढ़ व भैंसरोडगढ़ का जंगल चीते के अनूकूल है। यहां ग्रासलैंड व पठारी क्षेत्र अधिक है, जो चीते का नेचुरल हैबीटॉट है। अगले चरण में गांधी सागर में चीते लाए जाने की योजना है। । मुख्यमंत्री बजट घोषणा के तहत शेरगढ़ सेंचुरी में प्रे-बेस एनक्लोजर बनाए जाएंगे। वहीं, भैंसरोडगढ़ में भी बनाने की योजना है। इसके प्रस्ताव बनाकर सरकार को भिजवाए गए हैं।
- अनुराग भटनागर, डीएफओ वन्यजीव विभाग
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