सर्दियों में हाथियों की खानपान में बदलाव, डाइट में परोसी जा रही गेहूं और बाजरे की खिचड़ी, ठंड से बचाने के लिए की जा रही तेल मालिश
कीड़े साफ करने और मिट्टी ना खाने की भी दी जा रही दवाइयां
दिल्ली रोड स्थित एक गांव जिसे हाथी गांव के नाम से पर्यटक जानते हैं। यहां करीब 60 से अधिक हाथी रहते हैं। सर्दियों के मौसम में इनके खान-पान में भी बदलाव आया है
जयपुर। दिल्ली रोड स्थित एक गांव जिसे हाथी गांव के नाम से पर्यटक जानते हैं। यहां करीब 60 से अधिक हाथी रहते हैं। सर्दियों के मौसम में इनके खान-पान में भी बदलाव आया है। इन्हें दी जाने वाली डाइट के साथ ही दिन में गेहूं का दलिया और रात को बाजरे की खिचड़ी दी जा रही है। इसके अतिरिक्त गुड़ भी दिया जा रहा है। सर्दी से बचाने के लिए हाथियों की नूरानी तेल से मालिश की जा रही है। इस तेल में लॉन्ग, तिल्ली का तेल, जायफल और जावित्री मिलाया जा रहा है। जो इन्हें सर्दी से बचाने में मदद करता है। वहीं हाथियों की थान में गन्ने के पत्ते बिछाए जा रहे हैं। ताकि इन्हें रात में सर्दी का कम अहसास हो। इसके अतिरिक्त इन्हें पेट में कीड़े साफ करने और मिट्टी ना खाने की भी दवाइयां दी जा रही है।
60 से अधिक थान, रबड़कोट केवल एक में
जानकारी के अनुसार हाथी गांव में करीब 60 से अधिक थान हैं, जिनमें हाथियों को रखा जाता है। लेकिन इनमें केवल एक ही थान में हाथी के लिए रबड़ कोट लगाया है। इसे लगाने से हाथी को फर्श पर किसी समस्या का सामना नहीं करना पड़ता। हाथी मालिकों का कहना है कि वन विभाग की ओर से दूसरी थानों में रबड़ कोट लगाया जाना चाहिए। क्योंकि ये हाथियों के बड़ा आरामदायक होता है। हाथी मालिक शफीक खान (बल्लू खान) ने बताया कि थानों में रबड़ कोट लगाए जाने के लिए कई बार वन विभाग के अधिकारियों से मिले हैं, लेकिन अभी रबड़ कोट नहीं लगाए गए हैं।
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