मुफ्त का राशन लेने वाले 590 सरकारी कर्मचारी लापता
चार साल बाद भी नहीं हो सकी गेहूं की वसूली
कर्मचारी पांच साल से लापता हो रहे हैं। इनका पता नहीं चलने से अभी तक गेहूं की वसूली नहीं हो पाई है।
कोटा। राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए) में लाभार्थी बनकर गरीबों के हक का गेहूं उठाने वाले 83679 सरकारी कर्मचारियों में से 16382 से राज्य सरकार 4 साल बाद भी वसूली नहीं कर सकी है। इनमें कोटा जिले के 590 कर्मचारी शामिल हैं। सरकारी कर्मचारी होने के बावजूद मुफ्त का गेहूं लेने के मामले सामने आने के बाद सरकार की ओर जांच कराई गई थी। जांच में कोटा जिले में लगभग 1180 सरकारी कर्मचारियों द्वारा लम्बे समय तक मुफ्त गेहूं लेना पाया गया था। इसके बाद सम्बंधित कर्मचारियों को वसूली के लिए नोटिस जारी किए गए थे। इनमें से 500 से अधिक कर्मचारियों से गेहूं लेने की एवज में वसूली कर ली गई थी जबकि अभी भी 590 कर्मचारियों से वसूली बाकी है। यह कर्मचारी पांच साल से लापता हो रहे हैं। इनका पता नहीं चलने से अभी तक गेहूं की वसूली नहीं हो पाई है।
ट्रेस करने का कर रहे प्रयास
रसद विभाग के अधिकारियों के अनुसार जिले के 50 प्रतिशत सरकारी कर्मचारियों से मुफ्त गेहूं लेने की एवज राशि वसूल कर ली है। शेष कर्मचारियों को ट्रेस करने का प्रयास किया जा रहा है। अधिकारियों का कहना है कि राशनकार्ड में दर्ज नाम-पते के आधार पर सम्बंधित कर्मचारी के घर पर वसूली के नोटिस भेजे जा रहे हैं, लेकिन कहीं नाम तो कहीं पता सही नहीं होने के कारण नोटिस तामिल नहीं हो पा रहा है। इससे कर्मचारियों का पता नहीं लग पा रहा है। अब इस सम्बंध में ट्रैजरी सहित अन्य विभागों से सम्पर्क कर शेष कर्मचारियों का पता लगाने का प्रयास किया जा रहा है।
साल 2020 से शुरू हुई थी वसूली
दरअसल राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम में सरकारी कार्मिकों के पात्र बनकर गेहूं उठाने की शिकायतों के बाद साल 2020 में जिला रसद अधिकारियों से जांच कराई थी। जांच में सरकारी कार्मिकों के नाम सामने आने के बाद उठाए गए गेहूं की कीमत बाजार दर से वसूलने के निर्देश दिए थे। उस समय योजना को आधार से लिंक करने पर जांच में मामले सामने आए थे। अब तक 67297 कार्मिकों से 82 करोड़ 66 लाख रुपए की वसूली कर ली गई है। इन सरकारी कार्मिकों ने गरीब के हिस्से का गेहूं 1 से 2 रुपए किलो में लिया था, लेकिन इनसे सरकार ने वसूली गेहूं की बाजार कीमत 27 रुपए किलो के हिसाब से की है।
दो जिलों में शत प्रतिशत वसूली
रसद विभाग ने करौली और टोंक में कार्मिकों से शत प्रतिशत वसूली कर ली है। करौली में 2924 कार्मिकों से 4 करोड़ 33 लाख और टोंक में 1175 कार्मिकों से 1 करोड़ 40 लाख रुपए से अधिक वसूले गए हैं। वहीं, भरतपुर ग्रामीण और उदयपुर ग्रामीण में जांच में किसी कर्मचारी का नाम सामने नहीं आया था। मुफ्त का गेहूं लेने वाले कर्मचारियों में राज्य और केंद्रीय दोनों शामिल हैं। गत दिनों खाद्य आपूर्ति मंत्री सुमित गोदारा ने जिला रसद अधिकारियों (डीएसओ) को वसूली में तेजी लाने के निर्देश दिए थे।
इन जिलों में सबसे कम कर्मचारी
- जयपुर शहर में 314
- बीकानेर में 494
- कोटा ग्रामीण में 590
- राजसमंद में 733
- धौलपुर में 776
- पाली में 861
- अजमेर ग्रामीण में 909
- अजमेर शहर में 960
- जालोर में 971
इन जिलों में सर्वाधिक कर्मचारी
- दौसा में 7702
- बांसवाड़ा में 6147
- जयपुर ग्रामीण में 6243
- अलवर में 6027
- उदयपुर शहर में 5267
मुफ्त का राशन लेने वाले 50 प्रतिशत सरकारी कर्मचारियों से वसूली हो गई। शेष से वसूली के प्रयास किए जा रहे हैं। राशनकार्ड में नाम-पते गलत होने के कारण दिक्कत हो रही है। अब ट्रैजरी सहित अन्य विभागों के माध्यम से इनका पता लगाया जा रहा है।
-कृष्ण कुमार, प्रवर्तन निरीक्षक, रसद विभाग कोटा
Comment List