उपचुनाव : उम्मीदवारों से ज्यादा बड़े चेहरों में मुकाबला

वोटों के जोड़-तोड़ के लिए युद्ध स्तर पर काम कर रहे हैं

उपचुनाव : उम्मीदवारों से ज्यादा बड़े चेहरों में मुकाबला

ये बड़े चेहरे रात-दिन एक कर जनसंपर्क और वोटों के जोड़-तोड़ के लिए युद्ध स्तर पर काम कर रहे हैं। 

जयपुर। सात विधानसभा सीटों पर उपचुनाव में से 6 पर उम्मीदवार की जीत-हार होगी, लेकिन मुकाबला बड़े चेहरों के बीच है। ये या तो यहां से सरकार में मंत्री, सांसद या क्षेत्र की राजनीति की धुरी हैं। चुनाव परिणाम उनकी यहां अपनी-अपनी पार्टी में प्रतिष्ठा, पद-कद को प्रभावित करेगा। ऐसे में राजनीतिक पार्टियों के प्रत्याशी तो मैदान में प्रचार में जुटे हैं ही, ये बड़े चेहरे रात-दिन एक कर जनसंपर्क और वोटों के जोड़-तोड़ के लिए युद्ध स्तर पर काम कर रहे हैं। 

दौसा :  पायलट-मुरारी-किरोड़ी में जंग:  

भाजपा ने जगमोहन मीणा, कांग्रेस ने डीसी बैरवा को उतारा है। असल जंग कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव सचिन पायलट, कांग्रेस सांसद मुरारीलाल मीणा वर्सेज कृषि मंत्री किरोड़ीलाल मीणा में है। बीते चुनावों में मुरारी यहां विधायक थे। पायलट-मुरारी यहां कांग्रेस के उम्मीदवार को जिताने में जुटे हैं।

झुंझुनूं: ओला परिवार वर्सेज मंत्री खर्रा-गोदारा
झुंझुनूं से विधायक रहे बृजेन्द्र ओला लोकसभा सांसद बन गए। बेटे अमित ओला परंपरागत सीट पर हैं। भाजपा से राजेन्द्र भांबू हैं। बृजेन्द्र बीते तीन चुनाव से यहां काबिज रहे। उनके तिलस्म को तोड़ने को यूडीएच मंत्री झाबर सिंह खर्रा, सुमित गोदारा लगे हैं। वे माइक्रो मैनजमेंट से वोटर्स को साधने में लगे हैं। भाजपा जीती तो खर्रा-गोदारा का कद बढ़ेगा। 

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चौरासी: रोत, हेमंत-सुशील-मालवीया, भगोरा में मुकाबला 
भाजपा से कारीलाल ननोमा, कांग्रेस से महेश रोत और बीएपी से अनिल कटारा मैदान में हैं। चुनाव में राजकुमार रोत विधायक थे। बाद में डूंगरपुर-बांसवाड़ा से सांसद बन गए। बीएपी सीट बचाने में लगी है। पूरा जिम्मा रोत पर ही है। भाजपा में राजस्व मंत्री हेमंत मीणा, पूर्व विधायक सुशील कटारा और महेन्द्र जीत सिंह मालवीया को जीत का जिम्मा दे रखा है। इनकी भाजपा में आगामी जीत कद तय करेगी। कांग्रेस के उम्मीदवार की जीत का जिम्मा पूर्व सांसद ताराचंद भगोरा को दे रखा है। 

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खींवसर: बेनीवाल, मिर्धा परिवार, गजेन्द्र सिंह, दिव्या में मुकाबला 
भाजपा रेवंतराम डांगा, कांग्रेस ने रतन चौधरी, आरएलपी ने हनुमान की पत्नी कनिका बेनीवाल को उतारा है। आरएलपी के सुप्रीमो हनुमान बेनीवाल ही चेहरे हैं। वे यहीं से गत चुनाव में विधायक और अब नागौर से सांसद है। यहां हारे तो उनका कोई विधायक नहीं रहेगा। सामने भाजपा में उनके चिर-प्रतिदंद्वी मिर्धा परिवार और चिकित्सा मंत्री गजेन्द्र सिंह खींवसर है। ज्योति यहां बेनीवाल से दो बार सांसद, एक बार विधायक का चुनाव हार चुकी है। ज्योति की राजनीति दांव पर है। वहीं कांग्रेस में औंसिया की पूर्व विधायक दिव्या मदेरणा ने ताल ठोंक रखी है। बेनीवाल-दिव्या के बीच छत्तीस का आंकड़ा है। 

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रामगढ़: भूपेन्द्र-संजय-बालकनाथ की टीकाराम-भंवर जितेन्द्र से टक्कर
भाजपा प्रत्याशी सुखवंत की जीत का मुख्य दारोमदार केन्द्रीय मंत्री और अलवर सांसद भूपेन्द्र यादव और वन मंत्री संजय शर्मा पर है। तिजारा विधायक बाबा बालकनाथ वोटों के धु्रवीकरण में लगे हैं। कांग्रेस के आर्यन खान जीते तो चेहरा नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली और पूर्व केन्द्रीय मंत्री भंवर जितेन्द्र सिंह होंगे।  

देवली-उनियारा: पायलट-हरीश वर्सेज कन्हैयालाल-प्रभुलाल
भाजपा ने राजेन्द्र गुर्जर, कांग्रेस ने केसी मीणा को प्रत्याशी बनाया है। गत दो चुनावों से हरीश मीणा यहां कांग्रेस के विधायक बने। अब सांसद हैं। मीणा की प्रतिष्ठा दांव पर है। वहीं कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव सचिन पायलट के प्रभाव के चलते उनकी भी बड़ी जिम्मेदारी है। भाजपा में जलदाय मंत्री कन्हैयालाल चौधरी पार्टी की जीत के लिए लगे हैं। 

 

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