परवन नदी में बने एनीकट पर नहीं लग रहा गेट
विभागों की लापरवाही, खामियाजा भुगतेंगे किसान, परवन नदी में बने एनीकट पर नहीं लग रहा गेट
सिंचाई विभाग व जलदाय विभाग की लापरवाही का खामियाजा ग्रामीणों को भुगतना पड़ सकता है।
मनोहरथाना। मनोहरथाना क्षेत्र की परवन नदी में जावर में बना एनीकट दो विभागों के मंझदार में फंस गया है। लापरवाही यह है कि अब तक एनीकट में गेट नहीं लग सके है, जिसका खामियाजा ग्रामीणों को भुगतना पड़ सकता है। वही अक्टूबर के महीने में लगाए जाते थे। एनीकट के गेट को लेकर ग्रामीणों की माने तो परवन नदी में बने एनीकट को करीबन 18 से 19 साल हो गए, तब से ही ये पीएचईडी विभाग के अधीन में थे, तब से ही पीएचईडी विभाग ही एनीकट के गेट लगा कर पानी को रोकते थे। एनीकट के गेट लगने के बाद करीबन 6 महीने तक ग्रामीण पानी को काम के लेते थे, वहीं करीबन 15 गांव के लोगों के लिए नल के माध्यम से गांवों में पानी पहुंचता था। साथ ही करीबन 20 गांव के लोग एनीकट के पानी को खेत में फसल के लिए भी काम में लेते हैं, जिससे किसानों के लिए वरदान साबित होता है, लेकिन इस साल एनीकट के गेट नहीं लगने से परवन नदी में दिनों दिन पानी को आवक कम होती जा रही है। जिससे आने वाले समय परवन नदी में पानी सूख जाएगा। जिससे ग्रामीणों इलाकों के लोगों को पानी के लिए भटकने को मजबूर होना पड़ेगा, लेकिन इस साल भी सिंचाई विभाग व जलदाय विभाग की लापरवाही का खामियाजा ग्रामीणों को भुगतना पड़ सकता है। वहीं जानकारी अनुसार 2005 में परवन नदी में जावर के यहां एनीकट का करोड़ों रुपए से सरकार द्वारा निर्माण करवाए गया, उसके बाद से ही पीएचईडी विभाग द्वारा ग्रामीण क्षेत्र के करीबन 15 गांवो में सार्वजनिक नलों के माध्यम से गांव के मोहल्लों में पानी पहुंचता था। साथी करीबन 20 गांवों के लोगों के खेतों में फसल के लिए पानी काम में लिया जाता था, वहीं एनीकट में गेट लगने के बाद एनीकट में बारिश तक पानी भरा रहता है, जिससे जानवर पानी पीते हैं, एनीकट में मत्स्य पालन भी किया जाता है जिससे लोगों को रोजगार मिलता है। वही लोगों से मिली जानकारी के अनुसार जब से एनीकट का निर्माण हुआ था, तब से पहली बार बीते साल परवन नदी सुख गई थी जिससे आस पास के गांवों के लोगों को पानी कि समस्या से जूझना पड़ा था। वही पानी के लिए मजबूर होना पड़ा था साथ ही ग्रामीणों का कहना है कि पिछले साल भी विभाग द्वारा ही एनीकट के गेट निकलवाए गए थे जो आज भी जावर विभाग के कार्यालय में पड़े हुए हैं लेकिन अभी तक एनीकट के गेट नहीं लगवाए जा रहा रहे हैं दिनों दिन परवन नदी में पानी को आवक कम होती जा रही है जिससे ग्रामीणों के चेहरे पर चिंता की लकीरें मंडराने लगी हैं।
दशहरे तक लगा दिए जाते थे गेट
ग्रामीणों की माने तो अक्टूबर के महीने में एनीकट के गेट विभाग द्वारा लगवाया दिए जाते थे, जिससे एनीकट पूरा भरा जाता था, जिससे बारिश तक एनीकट में पर्याप्त मात्रा में पानी भरा रहता था लेकिन इस बार 1 महीने बाद भी एनीकट के गेट नहीं लगे है। ग्रामीणों ने बताया कि कई बात सिंचाई विभाग और पीएचडी विभाग को अवगत करवा दिया गया लेकिन कोई समाधान नहीं हुआ।
इस एनीकट से पीने का पानी भी 15 गांव में जाता है, अब विभाग वाले कह रहे है कि हमारे तो बड़गांव से पानी आ रहा है अब यह एनीकट के गेट सिंचाई विभाग वाले लगाएंगे। लेकिन पहले गेट पीएचईडी विभाग वाले लगाते थे, पहले गेट दशहरे के समय लग जाया करते थे लेकिन इस बार एक महीना से ज्यादा हो गया लेकिन अभी तक गेट नहीं लगाए।
- जगन्नाथ ग्रामीण जावरी
इस एनीकट से पीने का पानी 15 गांवो में पहुंचाया जा रहा है, पहले गेट दशहरे से पहले नवरात्रा में लग जाया करते थे लेकिन इस बार अभी तक नहीं लगे। अगर गेट नहीं लगा तो ग्रामीणों के साथ जानवरों को भी पानी की समस्या सामना करना पड़ेगा।
- मुकेश ग्रामीण जावरी
एनीकेट के गेट को लेकर पानी की समस्या का सामना करना पड़ रहा है। पानी की समस्या से ग्रामीणों के साथ साथ फसलों व मवेशियों के लिए भी काफी समस्या खड़ी हो गई है।
- बजरंग ग्रामीण जावरी
एनीकट में अभी तक गेट नहीं लगे हैं जिससे कि पानी की समस्या उत्पन्न हो रही है, पहले यह गेट 1 महीने पहले लग जाते थे, अभी नदी में आधे फीट पर पानी रह गया है, यही मांग है कि जल्दी से गेट लगवाया जाए।
- राधेश्याम लोधा ग्रामीण जावरी
2005 से इस एनीकट की देखरेख और मेंटेनेंस और एनीकट के पानी को पीएचईडी विभाग ही काम में लेता है यह एनीकट पीएचईडी विभाग के अंतर्गत आता है यह हमारे अधीन नहीं आता है।
- मंशाराम कनिष्ठ अभियंता सिंचाई विभाग
पीएचईडी विभाग तो पहले एनीकट का पानी कम में लेते थे, उसे समय गेट लगवाने का टेंडर होता था लेकिन इस बार ना तो कोई टेंडर हुआ, साथ ही अब हम पानी काम में भी नहीं ले रहे है, यह सिंचाई विभाग का मामला है। सिंचाई वालों को जरूरत पड़ती है। एनीकट के गेट की सिंचाई वालों को जरूरत है, अभी तो उसमें गेट सिंचाई वाले लगाए या फिर ग्राम पंचायत लगाए।
- रामनाथ मीणा सहायक अभियंता पीएचईडी विभाग
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