सुप्रीम कोर्ट का केंद्र को निर्देश, कोरोना संक्रमण से जान गंवाने वालों के परिजनों को मुआवजा दें सरकार

सुप्रीम कोर्ट का केंद्र को निर्देश, कोरोना संक्रमण से जान गंवाने वालों के परिजनों को मुआवजा दें सरकार

सुप्रीम कोर्ट ने महामारी के दौर में अपने एक महत्वपूर्ण फैसले में बुधवार को कहा कि कोरोना के कारण जान गंवाने वालों के परिजनों को अनुग्रह राशि देने के लिए सरकार बाध्य है। हालांकि कोर्ट ने अनुग्रह राशि तय करने का फैसला सरकार पर ही छोड़ दिया है।

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने महामारी के दौर में अपने एक महत्वपूर्ण फैसले में बुधवार को कहा कि कोरोना के कारण जान गंवाने वालों के परिजनों को अनुग्रह राशि देने के लिए सरकार बाध्य है। हालांकि कोर्ट ने अनुग्रह राशि तय करने का फैसला सरकार पर ही छोड़ दिया है। न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एमआर शाह ही खंडपीठ ने कहा कि राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन अधिनियम (एनडीएमए) की धारा 12 के प्रावधानों के तहत प्राधिकरण राष्ट्रीय आपदा के पीड़ितों को न्यूनतम राहत प्रदान करने के लिए संवैधानिक तौर पर बाध्य है। कोर्ट ने कहा कि अधिनियम की धारा 12 (तीन) के तहत इस न्यूनतम राहत में मुआवजा भी शामिल है।

सुप्रीम कोर्ट ने गौरव बंसल और रीपक कंसल की याचिकाओं पर अपना फैसला सुनाते हुए केंद्र सरकार की उस दलील को खारिज कर दिया कि धारा 12 अनिवार्य प्रावधान नहीं है। कोर्ट ने धारा 12 की व्याख्या करते हुए कहा कि धारा 12 के प्रावधान अनिवार्य हैं। हालांकि कोर्ट ने सरकार को मुआवजे के तौर पर कोई राशि निर्धारित करने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी पर तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि वह 6 सप्ताह में मुआवजा दिए जाने की गाइडलाइन तय करे।

इसके साथ ही कोर्ट ने 3 और निर्देश दिए हैं। कोर्ट ने कहा कि कोरोना से मौत होने पर डेथ सर्टिफिकेट जारी करने की व्यवस्था सरल हो। अधिकारी इसके लिए गाइडलाइन जारी करें। जैसा की फाइनेंस कमीशन ने प्रस्ताव दिया था, उसके आधार पर केंद्र उन उस व्यक्ति के परिवार के लिए इंश्योरेंस स्कीम बनाए, जिसकी जान आपदा में चली गई। एनडीएमए राहत के न्यूनतम मानकों को ध्यान में रखते हुए कोविड मृतकों के परिवारों के लिए गाइडलाइन 6 हफ्तों के भीतर जारी करें।

बता दें कि याचिकाकर्ताओं ने कहा था कि कोरोना संक्रमण और संक्रमण के बाद तबीयत खराब होने से जान गंवाने वाले लोगों को परिवारों को 4 लाख रुपए मुआवजा दिया जाए। याचिका में यह भी कहा था कि कोरोना से मौत होने पर डेथ सर्टिफिकेट जारी करने की प्रक्रिया सरल की जाए।

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