दिशा भटका रहे दिशा सूचकों पर लगे विज्ञापन
शहर के अधिकतर गेंट्री बोर्ड बधाई विज्ञापनों से अटे
दिशा सूचकों पर विज्ञापन लगाने वालों पर संबंधित विभाग द्वारा कार्यवाही नहीं करने से उनके हौंसले बुलंद हो रहे हैं।
कोटा। स्मार्ट सिटी कोटा शहर को एक तरफ तो पर्यटन की दृष्टि से विकसित करने के लिए स्वच्छ व सुंदर बनाने के प्रयास किए जा रहे है। वहीं दूसरी तरफ बाहर से आने वालों को जगह की जानकारी वाले दिशा सूचकों पर चस्पा बधाई विज्ञापन उन लोगों को दिशा भटका रहे हैं। शिक्षा नगरी कोटा महानगरों की तर्ज पर विकसित हो रहा है। यहां देशभर से लोग पहले तो मेडिकल व इंजीनियरिंग की कोचिंग के लिए आ रहे थे। वहीं अब विश्व स्तरीय पर्यटन स्थल चम्बल रिवर फ्रंट व आॅक्सीजोन समेत अन्य स्थलों को देखने के लिए भीआ रहे है। शहर मेंपिछले सालों में जिस तरह से हजारों करोड़ रुपए से विकास व सौन्दर्यीकरण के कार्य करवाए गए। शहर में अंडरपास व फ्लाई ओवर बनाए गए। शहर को ट्रेफिक सिग् नल फ्री शहर बनाने की दिशा में विकास कार्य करवाए गए। उसे देखते हुए काफीसमय बाद बाहर से कोटा आने वाले लोगों को कई बार तो पता हीनहीं चलता कि वह कहां आ गए और उन्हें कहां जानाहै। ऐसे मं बाहर से आने वाले लोगों को शहर के स्थलों की जानकारी के लिए सभी मुख्य प्रवेश द्वार बारां रोड, बूंदी रोड व झालावाड़ रोड के अलावा शहर के मुख्य मार्गों पर जगह-जगह गेंट्री बोर्ड(दिशा सूचक) लगाए गए हैं। जिनसे शहर का कौन का क्षेत्र किस तरफ है और उसका रास्ता किस तरफ जा रहा है। यह संकेतक के माध्यम से बताया गया है। लेकिन हालत यह है कि वर्तमान में शहर केस भी मुख्य मार्गों के दिशा सूचक इन दिनों बधाई संदेशों के विज्ञापन फ्लेक्स से अटे पड़े हैं। हालांकि दिशा सूचकों के कुछ भाग पर ही विज्ञापन लगाने की अनुमति रहती है। वह भी क्षेत्रों केनामों को छोड़कर। लेकिन शहर में जितने भी गेंट्री बोर्ड हैं उनमें से अधिकतर में पूरा बोर्ड ही विञ्जापन से कवर किए हुए हैं। जिससे बाहर से आने वालों को जगह की जानकारी ही नहीं मिल पा रही है।
गलत करने वालों पर हो सख्ती
लोगों का कहना है कि दिशा सूचक लोगों की सुविधा के लिए लगाए गए हैं। विज्ञापनों के लिए नहीं। लेकिन यदि कोई गलत तरह से उन पर विज्ञापन लगा रहा है तो उनके खिलाफ कार्यवाही की जानी चाहिए। पाटनपोल निवासी अनवर अहमद का कहना है कि दिशा सूचक दिशा बताने के लिए हैं। विज्ञापन के लिए यूनिपोल बने हुए हैं। दिशा सूचकों पर विज्ञापन लगाने वालों पर संबंधित विभाग द्वारा कार्यवाही नहीं करने से उनके हौंसले बुलंद हो रहे हैं। यदि विभाग कार्यवाही करे तो ऐसा नहीं हो सकता। बोरखेड़ा निवासी प्रियंक जैन का कहना है कि शहर में जिस तरह से विकास कार्य करवाए गए हैं। अंडरपास व फ्लाईओवर बनाए गए हैं। उनसे बाहर से आने वाले कई बार चक्कर घिन्नीहो जाते है। ऐसे में दिशा सूचक काफी उपयोगी रहते है। बड़े शहरों में किसी भी दिशा सूचक पर विज्ञापन लगे हुए नहीं रहतेहै। संबंधित विभाग यदि गलरत तरह से विज्ञापन लगाने वालों पर जुर्माना करेगा तो इस पर रोक लग सकती है।
इनका कहना है
शहर में गेंट्री बोर्ड केडीए के अधिकार क्षेत्र में है। इन पर विज्ञापन लगाने के लिए संबंधित विज्ञापन एजेंसी व संवेदक को अनुमति लेनी होती है। जिसके लिए निर्धारित शुल्क भीजमा किया जाता है। लेकिन वह विञ्जापन संकेतकों को छोड़कर आधे हिस्से में ही लगाए जाते है। लेकिन कई लोग पूरे बोर्ड पर ही विज्ञापन लगा देते हैं तो यह गलत है। उन्हें संबंधित एरिया के जेईएन के माध्यम से हटवाते रहते हैं। समय-समय पर इस संबंध में कार्रवाई भी करते रहते है। साथ ही जिनके विज्ञापन कीअवधि पूरी हो जातीहै उन्हें भीहटवाते रहते हैं।
- सुमित चित्तौड़ा, एक्ईएन, कोटा विकास प्राधिकरण
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