भूमि आवंटन नीति में बदलाव, सरकारी महकमों को स्थानीय स्तर पर ही आवंटित होगी नि:शुल्क जमीन

भूमि आवंटन नीति में बदलाव, सरकारी महकमों को स्थानीय स्तर पर ही आवंटित होगी नि:शुल्क जमीन

शहरी क्षेत्रों में अब राजकीय विभागों को 13 हजार वर्गमीटर तक भूमि का नि:शुल्क आवंटन स्थानीय स्तर पर ही हो सकेगा। इससे अधिक भूमि आवंटन के प्रकरणों में ही राज्य सरकार से अनुमति लेनी होगी। साथ ही शिथिलता वाले प्रकरणों में 30 प्रतिशत से कम आवंटन के मामले मंत्रिमण्डल के समक्ष रखे जाएंगे। इसके निकायों को अधिकार दे दिए गए हैं।

जयपुर। शहरी क्षेत्रों में अब राजकीय विभागों को 13 हजार वर्गमीटर तक भूमि का नि:शुल्क आवंटन स्थानीय स्तर पर ही हो सकेगा। इससे अधिक भूमि आवंटन के प्रकरणों में ही राज्य सरकार से अनुमति लेनी होगी। साथ ही शिथिलता वाले प्रकरणों में 30 प्रतिशत से कम आवंटन के मामले मंत्रिमण्डल के समक्ष रखे जाएंगे। इसके निकायों को अधिकार दे दिए गए हैं। मंत्रिमंडलीय एम्पावर्ड कमेटी की ओर से आरक्षित दर प्लस 15 प्रतिशत अथवा डीएलसी दर प्लस 20 प्रतिशत जैसी भी स्थिति हो के 30 प्रतिशत दर तक भूमि का आवंटन किया जा सकेगा।

नगरीय विकास विभाग ने गत दिनों मंत्री मण्डलीय बैठक में लिए गए निर्णय के अनुसार भूमि आवंटन नीति-2015 में बड़े बदलाव करते हुए बुधवार को आदेश जारी कर दिए है। प्रीमियर संस्थानों को भूमि आवंटन के प्रकरणों में संबंधित निकाय की ओर से परीक्षण कर प्रस्ताव विभाग को प्रस्तुत किए जाएंगे। विभाग स्तर पर संस्थान को आरक्षित व डीएलसी दर की 50 प्रतिशत पर भूमि का आवंटन किया जा सकेगा। नीति के अंतर्गत विकसित भूमि का आवंटन आरक्षित दर एवं अविकसित भूमि का आवंटन कृषि भूमि की डीएलसी दर के आधार पर किया जाएगा। आवंटन पत्र जारी करने से पहले सरकार से अनुमति लेनी होगी।

परियोजना के लिए बाद में अतिरिक्त भूमि नहीं
किसी भी संस्था के लिए आवंटन की विशेष रियायती दर राज्य सरकार की ओर से आदेशित हो जाने के बाद उसकी ओर से अपनी परियोजना के लिए अतिरिक्त भूमि की मांग नहीं की जाएगी और यदि वह आवंटित भूमि से लगती हुई अतिरिक्त भूमि की मांग करता है तो आवंटित की जाने वाली अतिरिक्त भूमि पर कोई छूट देय नहीं होगी अर्थात आवंटन प्रचलित आरक्षित दर प्लस 15 प्रतिशत अथवा डीएलसी प्लस बीस प्रतिशत जैसी भी स्थिति हो, उस पर किया जाएगा। इसमें राज्य सरकार ही छूट दे सकेगी। 50 प्रतिशत तक एम्पावर्ड कमेटी और तीस प्रतिशत से कम दर पर आवंटन का निर्णय कैबिनेट में होगा। आवंटन के लिए प्रस्तावित भूमियों का आवश्यकतानुसार भू उपयोग परिवर्तन संबंधित आवंटी संस्था की ओर से ही करवाया जाएगा।

केन्द्रीय विभागों को आरक्षित दर प्लस 15 प्रतिशत पर आवंटन
केन्द्र सरकार के विभागों को राज्य सरकार की अनुमति से आरक्षित दर प्लस 15 प्रतिशत अथवा डीएलसी दर प्लस 20 प्रतिशत पर जैसी भी स्थिति हो भूमि आवंटित की जा सकेगी। केन्द्र के पोषित मंडल, निगम, उपक्रम को आरक्षित दर की 150 प्रतिशत प्लस 15 प्रतिशत अथवा डीएलसी दर की 150 प्रतिशत प्लस बीस प्रतिशत जैसी भी स्थिति हो पर आवंटन हो सकेगा।

लीज में हर साल दो प्रतिशत वृद्धि
आरक्षित दर अथवा डीएलसी दर एवं इससे कम पर भूमि आवंटन होने पर लीज राशि आवंटन दर पर देय होगी। आरक्षित दर अथवा डीएलसी दर से अधिक दर पर भूमि आवंटन होने पर भूमि निष्पादन नियम के अनुसार आरक्षित दर व डीएलसी दर पर लीज देय होगी। दस हजार वर्गमीटर से अधिक भूमि आवंटन के मामलों में लीज राशि प्रथम पांच साल के लिए आवंटन दर पर देय होगी तथा उसके बाद हर साल लीज में दो प्रतिशत की वृद्धि होगी। आवंटन के प्रकरणों में आने वाली कठिनाइयों के लिए यूडीएच मंत्री की अध्यक्षता में एक मंत्री मण्डलीय एम्पावर्ड कमेटी गठित की जाएगी।

इनके लिए नि:शुल्क भूमि मिलेगी, जिसका स्थानीय स्तर पर ही आवंटन होगा-:
विभाग का नाम                                        क्षेत्रफल (वर्गमीटर में)
प्रा./उ. प्रा. विद्यालय                          संभाग मुख्यालय पर 2 हजार वर्ग मी. तक अन्य स्थानों पर 3 हजार वर्ग मी. तक
मा./उ. मा.स्तर के विद्यालय               संभाग मुख्यालय पर 4 हजार वर्ग मी. तक अन्य स्थानों पर 6 हजार वर्ग मी. तक
महाविद्यालय तकनीकी, चिकित्सा       संभागीय मुख्यालय पर 10 हजार और अन्य स्थानों पर 13 हजार वर्ग मी. तक
पीएचईडी को कार्यालय के लिए भूमि      दस हजार वर्ग मी. तक

इनके लिए नि:शुल्क-:
प्रा.स्वा. एवं सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र    4 हजार वर्गमीटर तक
उप स्वास्थ्य भवन                               500 वर्गमीटर तक
पुलिस थाना                                        2 हजार वर्गमीटर तक
पुलिस चौकी                                       500 वर्गमीटर तक
ग्राम पंचायत कार्यालय                         500 वर्गमीटर तक
अन्य तहसील/पं.स. कार्यालय                 4 हजार वर्गमीटर तक
उपखंड स्तरीय एवं जिला स्तरीय दफ्तर   5 हजार वर्गमीटर तक

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