दक्षिण-पूर्वी दिल्ली से 18 बाल श्रमिकों को बचाया, नौ दुकानें सील
दिल्ली में बाल श्रम पर कड़ा प्रहार
दक्षिण-पूर्वी दिल्ली के ओखला और गोविंदपुरी में संयुक्त अभियान चलाकर फैक्ट्रियों से 18 बाल श्रमिकों को मुक्त कराया गया। प्रशासन ने 12 घंटे काम कराने वाली 9 दुकानों को सील कर दिया।
नई दिल्ली। दक्षिण-पूर्वी दिल्ली के गोविंदपुरी और ओखला औद्योगिक क्षेत्र फेज-एक में होटलों, फैक्ट्रियों और केमिकल इकाइयों से प्रशासन ने 18 बाल श्रमिकों को मुक्त कराया है। यह अभियान प्रयास जुवेनाइल एड सेंटर (जेएसी सोसाइटी) द्वारा जिला प्रशासन और संबंधित सरकारी विभागों के सहयोग से मंगलवार को चलाया गया था। रेस्क्यू ऑपरेशन का नेतृत्व कालकाजी के उपजिलाधिकारी (एसडीएम) ने किया और इसे दिल्ली पुलिस, श्रम विभाग तथा प्रयास टीम ने संयुक्त रूप से अंजाम दिया। इस दौरान फैक्ट्रियों, होटलों, रेस्टोरेंट्स और केमिकल इकाईयों में तलाशी ली गई, जहां से इन बच्चों को मुक्त कराया गया।
यह कार्रवाई बाल श्रम (निषेध और विनियमन) अधिनियम के तहत की गयी है, जो 14 साल से कम उम्र के बच्चों के काम करने पर पूरी तरह प्रतिबंध लगाता है और यह कार्रवाई बाल श्रम के खिलाफ चल रहे अभियान का हिस्सा है। प्रयास के वरिष्ठ प्रबंधक मुकेश कुमार ने बताया, बच्चों से प्रतिदिन लगभग 12 घंटे काम कराया जा रहा था और उन्हें 5,000 से 8,000 रुपये तक वेतन दिया जा रहा था। सभी बच्चों को सुरक्षित छुड़ाकर चाइल्ड केयर इंस्टीट्यूशंस (सीसीआई) भेजा गया है। वहीं, कालकाजी एसडीएम कार्यालय के अधिकारियों ने मौके पर ही नौ दुकानों को सील किया। जिन बाल श्रमिकों को छुडाया गया, उनकी उम्र 12 से 17 के बीच है। इन बच्चों को बाल कल्याण समिति (सीडब्ल्यूसी) के आदेश पर देखभाल, संरक्षण और पुनर्वास के लिए सीसीआई में स्थानांतरित किया गया है।
रेस्क्यू ऑपरेशन से जुड़े सूत्रों ने बताया कि जहां पर यह कानून लागू होगा, वहां मौजूदा कानूनों के तहत मजदूरी और बंधुआ मजदूरी का मुआवजा दिया जाएगा। इसके साथ ही बच्चों के गृह राज्यों की पहचान की जा रही है, जिसके बाद संबंधित राज्य बाल संरक्षण इकाइयों (डीसीपीयू) और सीडब्ल्यूसी के साथ समन्वय स्थापित कर उनके स्थानांतरण के बाद निरंतर निगरानी औ पुनर्वास सुनिश्चित किया जाएगा।

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