एकनाथ शिंदे ने सीएम का फैसला भाजपा के शीर्ष नेतृत्व पर छोड़ा महायुति में रस्साकस्सी के कयासों पर लगा विराम

अजीत पवार पहले की कर चुके भाजपा के सीएम का समर्थन

एकनाथ शिंदे ने सीएम का फैसला भाजपा के शीर्ष नेतृत्व पर छोड़ा महायुति में रस्साकस्सी के कयासों पर लगा विराम

महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री को लेकर महायुति में रस्साकस्सी के तमाम कयासों पर विराम लगाते हुए कार्यवाहक मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा है कि वह भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेतृत्व के साथ हैं और मुख्यमंत्री के बारे में वह जो भी फैसला करेंगे उन्हें मंजूर है

मुंबई। महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री को लेकर महायुति में रस्साकस्सी के तमाम कयासों पर विराम लगाते हुए कार्यवाहक मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा है कि वह भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेतृत्व के साथ हैं और मुख्यमंत्री के बारे में वह जो भी फैसला करेंगे उन्हें मंजूर है। शिंदे ने बुधवार को यहां ठाणे में संवाददाता सम्मेलन में कहा कि उनकी पार्टी और उनकी तरफ से सरकार के गठन में कोई बाधा नहीं है और वह मुख्यमंत्री के चयन को लेकर पूरी तरह भाजपा के शीर्ष नेतृत्व के साथ हैं। शिंदे ने कहा कि उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह को टेलीफोन कर अपनी स्थिति स्पष्ट कर दी है और कहा है कि वह मुख्यमंत्री को लेकर जो भी फैसला करेंगे वह उन्हें मंजूर है।

अजीत पवार पहले की कर चुके भाजपा के सीएम का समर्थन
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (अजीत पवार) के प्रमुख अजीत पवार पहले ही राज्य में भाजपा का मुख्यमंत्री बनाए जाने का समर्थन कर चुके हैं और अब शिंदे के समर्थन से महाराष्ट्र में भाजपा का मुख्यमंत्री बनने का मार्ग प्रशस्त हो गया है। भाजपा के वरिष्ठ नेता देवेन्द्र फडणवीस, शिंदे और पवार के गुरुवार को दिल्ली में भाजपा के शीर्ष नेतृत्व से मिलने का कार्यक्रम है।

शिंदे के तेवर क्यों पड़े ढीले?
बीजेपी को अपनी सरकार बनाने के लिए केवल 4 विधायकों की और जरूरत, शिंदे यह जानते हैं कि भारतीय जनता पार्टी को महाराष्ट्र में सरकार बनाने के लिए बहुमत जुटाने में मुश्किल नहीं आएगी, अगर एकनाथ शिंदे की शिवसेना और अजित पवार की एनसीपी अपना समर्थन वापस भी कर ले तो बीजेपी को सरकार बनाने में कोई परेशानी नहीं होगी। महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में बीजेपी को 132 सीटें जीती हैं। महाराष्ट्र में सरकार बनाने के लिए कुल 145 विधायकों की जरूरत होगी। यानी कि बीजेपी को कुल 13 विधायकों की और जरूरत होगी। दो निर्दलीयों ने चुनाव जीता है। इसके अलावा 10 सीटें छोटी पार्टियों ने भी जीती है। समाजवादी पार्टी के दो विधायक, सीपीआई एम के एक विधायक को छोड़ दें तो इनमें से 7 विधायकों का समर्थन भाजपा आसानी से जुटा लेगी। इस तरह भाजपा को केवल 4 विधायकों की जरूरत होगी।

दूसरी बार शिवसेना के टूटने का डर 
महाराष्ट्र की राजनीति में जिस तरह की घटनाएं पिछले पांच साल में हुई हैं उसे देखकर बीजेपी को छोड़कर कोई भी नेता अपनी पार्टी के विधायकों को लेकर आश्वस्त नहीं रहता है। एकनाथ शिंदे जानते हैं कि आज अगर वो 2019 के जैसे उद्धव ठाकरे की रणनीति अपनाते हैं तो कब एक दूसरा शिंदे उनकी पार्टी में सर उठा ले ये पता भी नहीं चलेगा। 

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उद्धव ठाकरे जैसा हश्र होने का खतरा
अगर एकनाथ शिंदे इस जिद पर आते कि उन्हें सीएम बनना ही बनना है तो उन्हें कल को अपनी विचारधारा के उलट कांग्रेस और एमवीए के साथ जाना मजबूरी हो जाता। वो अच्छी तरह जानते हैं कि विचारधारा से समझौता करने का हश्र उद्धव ठाकरे के साथ क्या हुआ है? बाला साहब ठाकरे का खून होने के बावजूद विचारधारा के चलते आज जनता ने उन्हें नकार दिया।  

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