भारत का सबसे अमीर गणपति मंडल : जीएसबी सेवा मंडल ने गणेशोत्सव के लिए करवाया 474.46 करोड़ रुपए का बीमा
गणेश चतुर्थी की शुरूआत मुंबई से ही हुई
गणेश चतुर्थी जिसे विनायक चतुर्थी और गणेश उत्सव के नाम से भी जानते हैं, हर साल इसे काफी धूम-धाम के साथ भारत में मनाते हैं
नई दिल्ली। गणेश चतुर्थी जिसे विनायक चतुर्थी और गणेश उत्सव के नाम से भी जानते हैं, हर साल इसे काफी धूम-धाम के साथ भारत में मनाते हैं। लेकिन सबसे ज्यादा महत्व इसका मुंबई में है, कहते हैं गणेश चतुर्थी की शुरूआत मुंबई से ही हुई है, यहां गणपति में रौनक अलग ही होती है। लालबाग के राजा से लेकर बॉलीवुड तक के गणपति, गणेश चतुर्थी के अवसर पर आम जनता क्या बॉलीवुड स्टार्स भी अपने घर गणेश जी की प्रतिमा लाते हैं। धूमधाम से गणेश जी का स्वागत करते हैं और फिर आखिरी दिन उनका विसर्जन कर देते हैं। इस त्योहार को गणेश जी के जन्म के उत्सव के रूप में मनाते हैं, जिन्हें ज्ञान, समृद्धि और सौभग्य का प्रतीक मनाते हैं। चलिए जानते हैं मुंबई के सबसे अमीर गणपति के बारे में जिन्हें करोड़ों का बीमा मिला है।
इतने का करवाया है बीमा
मुंबई के किंग्स सर्कल स्थित जीएसबी सेवा मंडल ने इस साल गणेशोत्सव के लिए 474.46 करोड़ रु का बीमा करवाया है, जो अब तक का सबसे बड़ा बीमा है। पिछले साल ये बीमा 400 करोड़ रु का था, और 2023 में 360.40 रु करोड़ का। बीमा राशि में बढ़ोतरी का कारण सोने-चांदी के गहनों की कीमत बढ़ना और नए पुजारियों, स्वयंसेवकों (वॉलंटियर्स) को शामिल करना बताया गया है। यह बीमा न्यू इंडिया इंश्योरेंस कंपनी ने किया है।
बीमा किन-किन चीजों को कवर करता है?
375 करोड़: स्वयंसेवकों, पुजारियों, रसोइयों, सुरक्षा गार्ड्स आदि के लिए दुर्घटना बीमा (पर्सनल एक्सिडेंट)
67 करोड़: गणपति जी के सोने-चांदी के गहनों के लिए (पिछले साल 43 करोड़ रु का था)
30 करोड़: पब्लिक लायबिलिटी इंश्योरेंस (भीड़ के कारण किसी को नुकसान या हादसा हो जाए तो उसका कवर)
2 करोड़: आग या भूकंप जैसी आपदा के लिए
43 लाख: पंडाल की जगह के लिए विशेष बीमा
जीएसबी सेवा मंडल किंग्स सर्कल (मुंबई) के बारे में
यह मंडल माटुंगा के किंग्स सर्कल में स्थित है और गौड़ सारस्वत ब्राह्मण समुदाय के लिए खास महत्व रखता है। गणपति की मूर्ति शाडू मिट्टी से बनती है, जो पर्यावरण के अनुकूल होती है। रंग भी प्राकृतिक होते हैं। यहां रिकॉर्डेड म्यूजिक नहीं बजाया जाता। ट्रेडिशनल दक्षिण भारतीय मंदिरों के वाद्य यंत्रों से पूजा होती है। लोग इस गणपति को नवसाला पावणारा, विश्वाचा राजा कहते हैं, यानी जो भी मन्नत मांगता है, वो पूरी होती है।
जीएसबी की है अनोखी परंपरा
जीएसबी गणेश उत्सव अपनी कई अनोखी परंपराओं और अनुष्ठानों के लिए मशहूर है। इसमें तुलाभार जैसा एक प्राचीन हिंदू अनुष्ठान आता है, जिसमें व्यक्ति को उनकी मर्जी से खाने की चीजों से तोला जाता है और फिर इन चीजों को दान में दे दिया जाता है। ये खाने की चीजें महाप्रसाद बनाने के काम आती हैं। एक और अनोखा अनुष्ठान मढ़स्थान है, जिसमें लोग केले के पत्तों पर बेचे हुए खाने लौटते हैं, जिसे एक आशीर्वाद मानते हैं। गणपति भगवान की सुबह की पूजा होने के बाद पंडाल में नारियल तोड़ने की परंपरा है, इन टूटे हुए नारियल को भक्तों को प्रसाद के रूप में देते हैं।

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