विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने अमेरिका को दी चेतावनी, बोलें-कोई भी देश दूसरों पर अपनी मर्जी नहीं थोप सकता
80 साल पुरानी वैश्विक व्यवस्था टूट रही
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा कि 80 साल पहले बनी वैश्विक व्यवस्था अब टूट रही है। पुणे में दीक्षांत समारोह में उन्होंने कहा कि आर्थिक-राजनीतिक समीकरण बदल चुके हैं और तकनीक के कारण दुनिया बहुध्रुवीय बन गई है, जहां कई शक्ति केंद्र उभर चुके हैं।
नई दिल्ली। भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा है कि 80 साल पहले स्थापित वैश्विक व्यवस्था अब पूरी तरह से टूट रही है। उन्होंने कहा है कि दुनिया का आर्थिक और राजनीतिक समीकरण अब पूरी तरह से बदल चुका है। शनिवार को विदेश मंत्री ने पुणे में सिम्बायोसिस इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी के दीक्षांत समारोह में ये बातें कही हैं, जिसे मौजूदा जियोपॉलिटिक्स में वर्तमान अमेरिकी नेतृत्व से जोड़कर देखा जा सकता है।
खास कर इस वजह से कि विदेश मंत्री ने साफ किया है, अब वैश्विक शक्तियों को यह मानना पड़ेगा कि वह किसी भी देश पर अपनी मर्जी नहीं थोप सकते। समझा जाता है कि विदेशमंत्री जयशंकर ने अपनी तहरीर में अमेरिका को चेतावनी दी है। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि आज की दुनिया का एक पक्का खाका खींचना मुश्किल है, क्योंकि बहुत कुछ बदल रहा है और यह बदलाव तेजी से हो रहा है। जयशंकर ने कहा, दुनिया के बारे में एक पक्की तस्वीर चित्रित करना वाकई मुश्किल है, क्योंकि बहुत कुछ बदल रहा है। 80 वर्ष पहले बनी वैश्विक व्यवस्था अब स्पष्ट तौर पर टूट रही है। इसके पीछे के कारणों पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि यह अलग-अलग देशों की राजनीति और नीतियों की वजह से हो रहा है, विशेष रूप से बड़े देशों की।
विश्व परिदृश्य बदलने में तकनीक की बड़ी भूमिका
जयशंकर ने बिना किसी देश का नाम लिए यहां तक कहा कि हालांकि इस ट्रेंड को लेकर वास्तव में वही प्रतिक्रिया दे रहे हैं, जिसे कि उन्होंने ही पैदा किया है। इस विषय के पीछे तीन अवधारणा हैं। पहला वैश्वीकरण , दूसरा संतुलन और तीसरा बहुध्रुवीय व्यवस्था; और यह सब टेक्नोलॉजी की वजह से बहुत ही ज्यादा प्रभावित हुए हैं। उन्होंने कहा कि विश्व परिदृश्य को बदलने में तकनीक की बड़ी भूमिका है। वैश्वीकरण के बारे में उनका कहना है कि इसने हमारी सोच और काम करने के तरीके को ही बदल डाला है। वे बोले, हमारी जैसी बड़ी अर्थव्यवस्था को अगर टेक्नोलॉजी के साथ कदम मिलाकर चलना है, तो उसे बड़े पैमाने पर और आधुनिक तरीके से मैन्यूफैक्चरिंग करनी पड़ेगी।
दुनिया में आज कई शक्ति केन्द्र
केंद्रीय मंत्री ने साफ किया कि आज दुनिया का कोई भी शक्तिशाली देश वैश्विक मुद्दे पर अपनी मर्जी नहीं थोप सकता, क्योंकि विश्व में ताकत के कई केंद्र बन चुके हैं और उन सबका दुनिया में अपना प्रभाव है। उन्होंने कहा, कोई भी देश, चाहे वह कितना भी शक्तिशाली क्यों न हो, हर मामले में अपनी मर्जी नहीं चला सकता। इतना ही नहीं, इसका अर्थ यह भी है कि विश्व के देशों के बीच स्वाभाविक प्रतिस्पर्धा है और इससे अपना संतुलन बनता है। शक्ति और प्रभाव के कई केंद्र उभर आए हैं।

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