बड़ा डेटा लीक : खतरे में भारत के लाखों बैंक ट्रांसफर डॉक्यूमेंट, ये डॉक्यूमेंट इंटरनेट पर छोड़ दिए थे खुले
38 बैंकों और वित्तीय संस्थाओं से जुड़ा लीक
डेटा लीक की एक बड़ी घटना सामने आई है। इस लीक को टेक क्रंच ने रिपोर्ट किया है। इसमें बताया गया है कि एक बड़े डेटा लीक की वजह से भारत के लाखों बैंक ट्रांसफर डॉक्यूमेंट खतरे में आ गए हैं
नई दिल्ली। डेटा लीक की एक बड़ी घटना सामने आई है। इस लीक को टेक क्रंच ने रिपोर्ट किया है। इसमें बताया गया है कि एक बड़े डेटा लीक की वजह से भारत के लाखों बैंक ट्रांसफर डॉक्यूमेंट खतरे में आ गए हैं। ये डॉक्यूमेंट इंटरनेट पर खुले छोड़ दिए गए थे। इस डेटा लीक को अगस्त महीने के आखिर में साइबर सिक्योरिटी फर्म अपगार्ड ने खोजा था। रिपोर्ट के अनुसार, डेटा लीक के बारे में तमाम एजेंसियों को बताया गया, लेकिन सितंबर की शुरूआत तक उसे सेफ करने के उपाय नहीं किए गए। आखिर में कंप्यूटर इमरजेंसी रेस्पॉन्स टीम यानी सीईआरटी-इन को जानकारी दी गई, जिसके बाद डेटा को सुरक्षित किया गया।
कैसे लीक हुआ डेटा, कितने डॉक्यूमेंट
रिपोर्ट के अनुसार, यह लीक एमेजॉन के एक अनसेफ सर्वर से हुआ। उस सर्वर में 2 लाख 73 हजार पीडीएफ डॉक्यूमेंट थे। उन डॉक्युमेंट्स में लोगों के अकाउंट नंबर, उनकी अन्य डिटेल और ट्रांजेक्शन की जानकारी थी। लीक हुए डॉक्युमेंट्स में नेशनल ऑटोमेटेड क्लियरिंग हाउस के उसके लेनदेन वाले फॉर्म थे।
38 बैंकों और वित्तीय संस्थाओं से जुड़ा लीक
रिपोर्ट के अनुसार, यह डेटा लीक कम से कम 38 बैंकों और वित्तीय संस्थानों से जुड़ा है। हैरान करने वाली बात है कि लंबे वक्त तक बड़ी संख्या में पीडीएफ डॉक्यूमेंट इंटरनेट पर खुले थे। एजेंसियों को बताने के बावजूद उनकी तरफ से कोई कार्रवाई नहीं की गई। अपगार्ड जिसने इस लीक का पता लगाया, उसने करीब 55 हजार डॉक्युमेंट्स की जांच की। आधे से ज्यादा दस्तावेजों में आई फाइनेंस का नाम मिला है। डॉक्यूमेंट्स में दूसरा सबसे ज्यादा दिखने वाला संस्थान स्टेट बैंक आॅफ इंडिया यानी एसबीआई है।
एनपीसीआई को दी गई थी जानकारी
रिपोर्ट के अनुसार, अपगार्ड रिसर्चर्स ने डेटा लीक की जानकारी आई फाइनेंस और नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया को दी थी। हालांकि सितंंबर की शुरूआत तक भी डेटा इंटरनेट पर खुला पड़ा हुआ था यानी कोई भी उसे एक्सेस कर सकता था। उस सर्वर पर हजारों फाइलें रोज अपलोड की जा रही थीं। अपगार्ड ने इस बारे में कंप्यूटर इमरजेंसी रेस्पॉन्स टीम को बताया, जिसके बाद डेटा को सेफ किया गया।

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