भारत में सदियों से रहने वाले यहूदियों को वापस ले जाएगा इजरायल
भारत के बेनी मेनाशे समुदाय को 2030 तक इजरायल ले जाने की मंजूरी
इजरायल सरकार ने मिजोरम और मणिपुर में रहने वाले यहूदी मूल के बेनी मेनाशे समुदाय के 5,800 सदस्यों को 2030 तक इजरायल ले जाने की योजना को मंजूरी दे दी है। पहला समूह अगले वर्ष जाएगा। इन्हें गैलिली क्षेत्र में बसाया जाएगा और पुनर्वास के लिए आर्थिक सहायता व प्रशिक्षण भी मिलेगा।
नई दिल्ली। इजरायल की बेंजामिन नेतन्याहू की सरकार ने उस फैसले को मंजूरी दे दी है, जिसमें भारत में रहने वाले यहूदी जनजातियों को वापस ले जाना है। रविवार को इस फैसले को मंजूरी दी गई है, जिसके तहत इजरायल ने 2030 तक बेनी मेनाशे समुदाय के करीब 5,800 सदस्यों को शामिल करने के प्लान को मंजूरी दे दी है। भारत के उत्तर-पूर्वी राज्यों मिजोरम और मणिपुर में रहने वाले ये यहूदी समुदाय के लोग सदियों से भारत में रह रहे हैं।
नेतन्याहू की सरकार ने इन्हें धीरे-धीरे उत्तरी इजरायल के गैलिली इलाके में बसाने को मंजूरी दी है। हालांकि ये क्षेत्र काफी संवेदनशील है और यह इलाका, लेबनान के हिज्बुल्लाह मिलिटेंट ग्रुप के साथ लड़ाई से बहुत ज्यादा प्रभावित हुआ है। पिछले दो सालों से चल रही लड़ाई में इस इलाके में रहने वाले हजारों लोगों को अपना घर छोड़ना पड़ा है। प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने इस फैसले को जरूरी और जायोनी बताया और कहा कि इससे इजरायल का उत्तरी इलाका मजबूत होगा।
इजरायल जाएंगे भारत में रहने वाले यहूदी जनजाति के लोग
इजरायली सरकार की योजना के मुताबिक, पहला समूह 1,200 लोगों का होगा, जो अगले साल इजरायल जाएगा। इनके पुनर्वास और समायोजन की जिम्मेदारी इमिग्रेशन विभाग को दी गई है। इजरायल ले जाने के बाद इन्हें आर्थिक मदद दी जाएगी, इन्हें हिब्रू भाषा सीखने की ट्रेनिंग दी जाएगी, इनके लिए नौकरी की व्यवस्था की जाएगी और शुरूआत में इनके लिए घर भी बनाए जाएंगे। सरकार ने पहले चरण के लिए करीब 27 मिलियन डॉलर के फंड को मंजूरी दी है।
रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले कुछ सालों में पहले ही इस समुदाय के करीब 4 हजार सदस्य इजरायल में बस चुके हैं। यह योजना भारत सरकार के साथ संयुक्त विचार-विमर्श के बाद तैयार की गई है। फिलीस्तीन के साथ संघर्ष को देखते हुए जनसंख्या बढ़ाना इजरायल के लिए रणनीतिक तौर पर काफी ज्यादा महत्व रखता है। इजराइल की आबादी करीब 10.1 मिलियन है, जिनमें से लगभग 73% यहूदी हैं, जबकि फिलिस्तीनी इलाकों में करीब 5.5 मिलियन लोग रहते हैं। इसीलिए इजरायल, जनसंख्या परिवर्तन को रोकने के लिए और यहूदियों की आबादी बढ़ाने के लिए दुनियाभर के यहूदियों को वापस इजरायल बुला रहा है।
भारत में रहने वाले बेनी मेनाशे समुदाय के लोग कौन हैं?
बेनी मेनाशे जनजाति के लोग खुद को बाइबिल में बताए गए मनश्शे कबीले का वंशज मानते हैं, जिसे इजरायल के खोए हुए कबीलों में से एक माना जाता है। यहूदी धर्म अपनाने और इजरायल के चीफ रब्बी से पहचान मिलने से पहले कई लोग ईसाई धर्म को मानते थे। वे पारंपरिक यहूदी रीति-रिवाजों को मानते हैं और सुकोट जैसे त्योहार मनाते हैं और अपने समुदायों में सिनेगॉग बनाए हैं।
इजरायल ने 2005 तक बनी मेनाशे इमिग्रेशन को आधिकारिक तौर पर मंजूरी नहीं दी थी, लेकिन जब उस समय के चीफ रब्बी ने इस समुदाय को इजरायल के एक खोए हुए कबीले का वंशज माना, तो फिर इनके लिए इजरायल के दरवाजे खोल दिए गए। वहीं, इजरायल में जिस जगह पर इस जनजाति के लोगों को बसाया जाएगा, वो उत्तरी इजरायल का गैलील क्षेत्र है। ये एक पहाड़ी इलाका है जहां नाजरेथ, तिबेरियास और सफेद जैसे बड़े शहर हैं। इसकी सीमा उत्तर में लेबनान और पूर्व में जॉर्डन घाटी और गैलिली सागर से लगती है।

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