डे 2 राउंड-अप: जयगढ़ हेरिटेज फेस्टिवल 2025 ने जयपुर में अपने सांस्कृतिक संवाद को विस्तार दिया
जयगढ़ हेरिटेज फेस्टिवल 2025 का भव्य समापन
जयगढ़ हेरिटेज फेस्टिवल 2025 के अंतिम दिन इतिहास, कला और संगीत की समृद्ध प्रस्तुतियां हुईं। पंडित मोहन श्याम शर्मा की प्रस्तुति, चित्रकला-संवाद, राजनीतिक चर्चा और लोक-संगीत कार्यशालाओं ने दर्शकों को राजस्थान की विरासत से जोड़ा।
जयपुर।जयगढ़ हेरिटेज फेस्टिवल 2025 के दूसरे और अंतिम दिन 7 दिसम्बर की शुरुआत जयगढ़ की भव्य पृष्ठभूमि में इतिहास, कला, संगीत और विचारों की गंभीर चर्चाओं से हुई। पहले दिन के शानदार सफ़र को आगे बढ़ाते हुए, फेस्टिवल ने अपनी समृद्ध चर्चाओं और प्रस्तुतियों के ज़रिए आए हुए विरासत-प्रेमियों, विद्वानों, कलाकारों और आगंतुकों को प्रभावित किया।
सुबह की शुरुआत विचारशील वातावरण में हुई, जब दागर आर्काइव्स म्यूज़ियम के सहयोग से पंडित मोहन श्याम शर्मा ने प्रस्तुति दी, जिसने दिन की शुरुआत को शांत और स्थिर बनाया। इसके बाद जयपुर दरबार में चित्रकला और फोटोग्राफी सत्र में डॉ. गाइल्स टिलॉटसन ने डॉ. मृणालिनी वेंकटेस्वरन से बातचीत की और जयपुर की राजसी विरासत के दृश्य एवं कलात्मक दस्तावेज़ीकरण पर महत्वपूर्ण जानकारियाँ साझा कीं।
दोपहर के सत्रों में राजस्थान और उपमहाद्वीप : राजनीति, राज्यव्यवस्था और युद्धकला के माध्यम से इतिहास और राजनीतिक आख्यानों की चर्चा हुई, जिसमें डॉ. रीमा हूजा, डॉ. जिज्ञासा मीणा और डॉ. पंकज झा ने डॉ. अभिमन्यु सिंह अर्हा से संवाद किया।
इसी बीच आगंतुकों ने चुग्गे खान के साथ लयपूर्ण खड़ताल कार्यशाला में भाग लिया और शहज़ाद तथा सक़ील खान की सुरीली प्रस्तुतियों का आनंद लिया, जो राजस्थान के जीवंत लोक-संगीत की परम्पराओं को आगे बढ़ा रहे हैं। दर्शकों ने सौमिक दत्ता की वन साइज फ़िट्स ऑल जैसी प्रस्तुतियों के ज़रिए समकालीन सांस्कृतिक अभिव्यक्तियों को भी जाना।

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