तेजस के इंजन मिलने पर बनी सहमति : वायु सेना को जल्द मिलेगी 83 स्वदेशी लड़ाकू विमानों की खेप, इस वर्ष के अंत तक मिलेंगे कुल 12 इंजन 

2031-32 तक सभी 180 तेजस विमानों की आपूर्ति कर देगी

तेजस के इंजन मिलने पर बनी सहमति : वायु सेना को जल्द मिलेगी 83 स्वदेशी लड़ाकू विमानों की खेप, इस वर्ष के अंत तक मिलेंगे कुल 12 इंजन 

सुनील ने कहा कि एचएएल प्रौदयोगिकी और अनुसंधान पर बड़ा निवेश कर रही है और उसका लक्ष्य अब निर्यात बढ़ाना है।

बेंगलुरु। भारतीय वायु सेना को मिलने वाले 83 स्वदेशी लड़ाकू विमान मिलने का रास्ता साफ हो गया है। तेजस के लिए अमेरिकी कंपनी जीई से मिलने वाले इंजन 404 की आपूर्ति पर सहमति बन गयी है और पहला इंजन इस वर्ष मार्च में तथा इस वर्ष के अंत तक कुल 12 इंजन मिल जायेंगे। तेजस का निर्माण करने वाली हिन्दुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) ने कहा है कि इंजन 404 के साथ साथ तेजस मार्क वन के लिए इंजन 414 की आपूर्ति सुचारू होने पर वह 2031-32 तक सभी 180 तेजस विमानों की आपूर्ति कर देगी। एचएएल के मुख्य प्रबंध निदेशक डी के सुनील ने मंगलवार को यहां एक संवाददाता सम्मेलन में सवालों के जवाब में कहा कि जीई के साथ शीर्ष स्तर पर बातचीत हुई है और इंजन 404 की आपूर्ति पर सहमति बन गयी है। उन्होंने कहा कि पहला इंजन इस वर्ष मार्च में और बाकी 11 इस वर्ष के अंत तक मिल जाएंगे। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि तेजस मार्क वन के इंजन 414 को लेकर पिछले सप्ताह एचएएल की बोस्टन में जीई के साथ बात हुई है। एचएएल ने जीई से कहा है कि वह पहले इंजन के लिए 80 प्रतिशत प्रौद्योगिकी हंस्तांतरण पर अपनी स्थिति स्पष्ट करे और उसके बाद इसकी कीमत पर बात की जायेगी। उन्होंने कहा कि हमने अपने सभी बिन्दुओं से जीई को अवगत करा दिया है और अब उनके जवाब का इंतजार है।

दुर्घटना के बाद से ग्राउंडेड यानी उड़ान नहीं भर रहे हल्के लड़ाकू हेलिकॉप्टर (एएलएच) के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि जांच में पता चला है कि उसकी स्वाश प्लेट टूट गयी थी। अभी दुर्घटना के कारणों की जांच में तीन सप्ताह का समय और लगेगा इसके बाद पूरी स्थिति साफ होगी तथा इसकी उड़ान शुरू करने के बारे में निर्णय लिया जा सकेगा। उन्होंने कहा कि इतना तय है कि हेलिकॉप्टर के डिजाइन में किसी तरह की खामी नहीं है। उन्होंने कहा कि पायलटों के प्रशिक्षण से संबंधित पहलू पर भी ध्यान दिया जायेगा। उन्नत मध्यम लड़ाकू विमान एमका के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि इसका काम तेजी से हो रहा है और इसका प्रोटोटाइप तीन वर्ष में उड़ान भरने के लिए तैयार हो जायेगा। सुनील ने कहा कि एचएएल प्रौदयोगिकी और अनुसंधान पर बड़ा निवेश कर रही है और उसका लक्ष्य अब निर्यात बढ़ाना है। उन्होंने कहा कि इसके लिए अनेक देशों के साथ विभिन्न स्तर पर बातचीत चल रही है। इसके लिए एचएएल विदेशों में अपने कार्यालय खोलने की दिशा में भी काम कर रही है।

Tags: air force

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