परिषद ने की अपंजीकृत संघों पर शिकंजा कसने की तैयारी, सरकार से मिलने वाली सुविधाओं पर लगा सकती है रोक
अन्य खेल संघों पर भी हो सकती है सख्ती
राजस्थान उच्च न्यायालय के एक निर्णय के बाद राजस्थान राज्य क्रीड़ा परिषद ने अपंजीकृत राज्य खेल संघों पर कार्रवाई की तैयारी शुरू कर दी है।
जयपुर। राजस्थान उच्च न्यायालय के एक निर्णय के बाद राजस्थान राज्य क्रीड़ा परिषद ने अपंजीकृत राज्य खेल संघों पर कार्रवाई की तैयारी शुरू कर दी है। परिषद ने राजस्थान खेल अधिनियम- 2005 के तहत अपंजीकृत खेल संघों की सूची तैयार करने की प्रक्रिया तेज कर दी है। खेल सजिव और राजस्थान खेल परिषद के अध्यक्ष डॉ. नीरज कुमार पवन ने गुरुवार को यहां बताया कि राजस्थान में लागू खेल कानून के अनुसार सभी राज्य खेल संघों को राष्ट्रीय खेल महासंघ, राजस्थान राज्य ओलंपिक संघ और राजस्थान खेल परिषद से मान्यता के साथ ही रजिस्ट्रार सहकारी संस्थाएं से पंजीकृत होना अनिवार्य है।
उन्होंने कहा कि कुछ राज्य खेल संघ नियमों का उल्लंघन कर खिलाड़ियों के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। ऐसे संघों को मिलने वाली सरकारी सुविधाओं पर रोक लगाई जा सकती है। वर्तमान में राजस्थान में कुछ खेल संघ खेल परिषद से तो मान्यता प्राप्त हैं लेकिन रजिस्ट्रार सहकारी संस्थाएं से अपंजीकृत होने के बावजूद सरकार की ओर से मिलने वाली सुविधाओं का लाभ ले रहे हैं।
अन्य खेल संघों पर भी हो सकती है सख्ती :
इसके अलावा प्रदेश में कई ऐसे खेल संघ भी सक्रिय हैं जो खिलाड़ियों को गुमराह कर अवैध गतिविधियों में संलिप्त हैं। सरकार ऐसे संघों पर नियंत्रण स्थापित करने के लिए सख्त कदम उठा सकती है ताकि खेल जगत में पारदर्शिता और अनुशासन बना रहे।
राजस्थान शब्द का उपयोग करने वाले अपंजीकृत खेल संघ :
राजस्थान रोलबॉल संघ, राजस्थान टेनिक्वाइट संघ, राजस्थान बॉल बैडमिंटन संघ, राजस्थान बॉडी बिल्डर्स संघ, हॉकी राजस्थान, राजस्थान आट्या-पाट्या संघ, राजस्थान सेपक-तकरा संघ, राजस्थान तलवारबाजी संघ, राजस्थान केनोइंग संघ, राजस्थान वुशू संघ, राजस्थान ट्रायथलॉन संघ और राजस्थान स्क्वैश संघ।
2017 में परिषद ने की थी एक्ट में जोड़ने की सिफारिश :
खेल परिषद की साल 2017 में हुई साधारण सभा की बैठक में अपंजीकृत 12 खेल संघों को खेल अधिनियम की अनुसूची ख में जोड़ने का प्रस्ताव पारित कर रजिस्ट्रार को भेजा गया था। वहीं रजिस्ट्रार सहकारी समितियां की ओर से भी 20 जून 2017 को नोटिस जारी कर कहा गया था कि इस नोटिस के प्रकाशन के 30 दिन के बाद उक्त खेल संघों को खेल अधिनियम की अनुसूची ख में जोड़ने की कार्रवाई की जाएगी। लेकिन यह अब तक नहीं हो सका है।
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