डोनाल्ड ट्रंप की वापसी से सशंकित चीन पहले ही उठा रहा है कई कदम

टैरिफ लगाकर चीन के साथ व्यापार युद्ध छेड़ दिया था

डोनाल्ड ट्रंप की वापसी से सशंकित चीन पहले ही उठा रहा है कई कदम

सहयोगियों के बीच दरार का फायदा उठाने की कोशिश करेगा। भारत के साथ भी वह नरमी से पेश आएगा। वह भारत के सहारे टैरिफ से बचने की कोशिश करेगा।

बीजिंग। डोनाल्ड ट्रंप चीन को अमेरिका का दुश्मन नम्बर एक मानते हैं। ऐसे में उनकी दोबारा वापसी आसन्न होने से सशंकित चीन पहले ही कई कदम उठा रहा है और अपनी तैयारी कर रहा है। पिछली बार ट्रंप ने टैरिफ लगाकर चीन के साथ व्यापार युद्ध छेड़ दिया था। इससे दोनों देशों के रिश्ते बहुत खराब हो गए थे। इस बार चीन ने अपने आप को मजबूत बनाने के लिए कई कदम उठाए हैं। उसने अपने सहयोगियों के साथ संबंध मजबूत किए हैं। तकनीक में आत्मनिर्भरता बढ़ाई है। जानकारों का कहना है कि चीन अमेरिका और उसके सहयोगियों के बीच दरार का फायदा उठाने की कोशिश करेगा। भारत के साथ भी वह नरमी से पेश आएगा। वह भारत के सहारे टैरिफ से बचने की कोशिश करेगा।

पिछले महीने चीन ने भारत के साथ अपनी सीमा पर चार साल से चले आ रहे सैन्य गतिरोध को समाप्त कर दिया। अगस्त में उसने फुकुशिमा परमाणु संयंत्र से पानी के रिसाव पर जापान के साथ दो साल से चले आ रहे विवाद को सुलझा लिया। प्रीमियर ली कियांग ने जून में ऑस्ट्रेलिया का दौरा किया था। यह सात वर्षों में इस तरह की यह पहली यात्रा थी। इसके अलावा पिछले महीने शी और ली दोनों ने ब्रिक्स के अलग-अलग शिखर सम्मेलनों में भाग लिया। चीन ग्लोबल साउथ के साथ संबंधों को गहरा कर रहा है। अंतरराष्ट्रीय सम्बंधों के जानकारों का कहना है कि ट्रम्प की अमेरिकी सरकार के अंदेशे से ही चीन ने पूर्वी लद्दाख में गतिरोध समाप्त करने का कदम उठाया। शंघाई की फुदान यूनिवर्सिटी में अंतरराष्ट्रीय संबंधों के विशेषज्ञ झाओ मिंगहाओ का कहना है कि चीन ट्रंप के पहले कार्यकाल जैसा रवैया नहीं अपनाएगा। 

उस समय ट्रंप के टैरिफ लगाने पर चीन ने बहुत कड़ी प्रतिक्रिया दी थी। उन्होंने गुरुवार को शी जिनपिंग की ओर से ट्रंप को भेजे गए संदेश का हवाला दिया। इसमें शी ने टकराव के बजाय सहयोग की अपील की थी। शी ने दोनों महाशक्तियों के बीच स्थिर, मजबूत और स्थायी संबंधों पर जोर दिया था। बीजिंग संयमित तरीके से प्रतिक्रिया देगा। ट्रंप की टीम के साथ बातचीत की कोशिश करेगा। हालांकि चीनी टेक कंपनियां अब अमेरिकी आयात पर बहुत कम निर्भर हैं। लेकिन, विशाल रियल एस्टेट संकट और भारी कर्ज से जूझ रही चीनी अर्थव्यवस्था 2016 की तुलना में कमजोर स्थिति में है। 
2016 में जहां चीन की विकास दर 6.7 प्रतिशत थी। वहीं, अब यह पांच प्रतिशत  से भी कम रहने का अनुमान है। स्थिति को और बदतर बनाते हुए ट्रंप ने चीन के सबसे पसंदीदा व्यापारिक दर्जे को समाप्त करने और चीनी आयात पर 60 प्रतिशत से अधिक का टैरिफ लगाने का वादा किया है जो उनके पहले कार्यकाल के दौरान लगाए गए टैरिफ से काफी अधिक है।

 

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