दिल्ली हाईकोर्ट के जज के घर मिले करोड़ों रुपए : हाईकोर्ट सीजे से मांगी तथ्य-खोजी रिपोर्ट, कॉलेजियम ने की जस्टिस वर्मा को इलाहाबाद हाईकोर्ट स्थानांतरित करने की सिफारिश
उच्चतम न्यायालय ने ‘इन-हाउस’ जांच शुरू की
सूत्रों ने बताया कि उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना ने इस संबंध में दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश डीके उपाध्याय से एक तथ्य-खोजी रिपोर्ट भी मांगी है
नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायाधीश यशवंत वर्मा के आवास पर पिछले दिनों आग लगने के बाद कथित तौर बड़ी संख्या में नकदी की बरामदगी संबंधी प्रतिकूल रिपोर्ट के आधार पर इस मामले में ‘इन-हाउस’ जांच शुरू की है। सूत्रों ने बताया कि उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना ने इस संबंध में दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश डीके उपाध्याय से एक तथ्य-खोजी रिपोर्ट भी मांगी है। सूत्रों के अनुसार, इससे पहले इस घटनाक्रम के बाद न्यायमूर्ति खन्ना की अध्यक्षता वाले कॉलेजियम ने गुरुवार को सर्वसम्मति से न्यायमूर्ति वर्मा को इलाहाबाद उच्च न्यायालय स्थानांतरित की सिफारिश की थी। हालांकि, न्यायमूर्ति वर्मा के तबादले के संबंध में कॉलेजियम का प्रस्ताव खबर लिखे जाने तक सर्वोच्च न्यायालय की वेबसाइट पर अपलोड नहीं किया गया है।
न्यायमूर्ति वर्मा नहीं आए कोर्ट
न्यायमूर्ति वर्मा ने नकदी की बरामदगी पर फिलहाल कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। न्यायमूर्ति वर्मा शुक्रवार को अवकाश पर रहे। सुबह अदालत में उनके कर्मचारियों द्वारा उनकी अनुपस्थिति की आधिकारिक घोषणा की गई।
इलाहाबाद बार एसोसिएशन कॉलेजियम के फैसले से स्तब्ध
इस बीच, इलाहाबाद उच्च न्यायालय बार एसोसिएशन ने कहा कि वह न्यायमूर्ति वर्मा को उनके मूल उच्च न्यायालय में वापस भेजने के कॉलेजियम के फैसले से स्तब्ध है। मूल रूप से उच्च न्यायालय इलाहाबाद से आने वाले न्यायमूर्ति वर्मा को अक्टूबर 2021 में दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया था।
14 मार्च को रात घर पर लगी आग
न्यायमूर्ति वर्मा के नई दिल्ली स्थित आधिकारिक आवास पर आग की यह घटना 14 मार्च को रात करीब 11.30 बजे हुई। उस समय वह घर पर नहीं थे। आग बुझाने के दौरान दमकल कर्मियों और पुलिस को एक कमरे में कथित तौर पर भारी संख्या में नकदी मिली।
राज्यसभा में उठा मुद्दा
नई दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय के एक न्यायाधीश के आवास में होली की रात लगी आग को बुझाने के दौरान अग्निशमन दल द्वारा कथित तौर पर बड़े पैमाने पर नकदी बरामद किए जाने का मुद्दा शुक्रवार को राज्यसभा में उठा और ऐसे न्यायाधीशों के खिलाफ कार्रवाई के लिए कानून बनाने की मांग उठी। सुबह में सदन की कार्यवाही शुरू होते ही कांग्रेस के जयराम रमेश ने इस मुद्दे को उठाया।
इस पर सभापति जगदीप धनखड़ ने कहा कि यदि इस समस्या से निपटा गया होता तो शायद हमें इस तरह के मुद्दों का सामना नहीं करना पड़ता। सदन के नेता यहां नहीं हैं। मुझे इस बात पर बहुत ही केंद्रित तरीके से विचार करने का अवसर मिला कि भारतीय संविधान में जो कुछ भी लिखा है, वह सबसे पहले हमारे संविधान निर्माताओं से निकला है और फिर जो भी परिवर्तन किया गया है, उसे संसद और कुछ मामलों में 50 प्रतिशत राज्य विधानसभाओं द्वारा अनुमोदित किया जाना चाहिए और फिर अंत में अनुच्छेद 111 के तहत माननीय राष्ट्रपति द्वारा उस पर हस्ताक्षर किए जाने के साथ ही उसे संवैधानिक स्वीकृति मिलनी चाहिए और इसलिए मैंने सदन के नेता से अनुरोध किया था कि सदन को उस संविधान को जानने की आवश्यकता है जो इस निर्देश के अनुसार आज लागू है।
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