अपराध की राजधानी बन गई है दिल्ली : अजय माकन ने अपराध से संबंधित आंकड़ो की पेश की सूची, कहा- स्थिति से निपटने के लिए केन्द्र और राज्य सरकार को मिलकर करना होगा काम

राज्य सरकार को मिलकर काम करना होगा

अपराध की राजधानी बन गई है दिल्ली : अजय माकन ने अपराध से संबंधित आंकड़ो की पेश की सूची, कहा- स्थिति से निपटने के लिए केन्द्र और राज्य सरकार को मिलकर करना होगा काम

अपराध से संबंधित 77 हजार मामले दर्ज किये गये हैं। उन्होंने कहा कि इस स्थिति से निपटने के लिए दिल्ली में केन्द्र और राज्य सरकार को मिलकर काम करना होगा।

नई दिल्ली। राज्यसभा में शुक्रवार को विपक्षी दलों ने राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में अपराध की निरंतर बढ़ती घटनाओं पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि समूचे देश में दिल्ली में अपराध की सबसे अधिक घटनाएं हो रही हैं और यह 'अपराध की राजधानी बन गयी है। कांग्रेस के अजय माकन ने सदन में गृह मंत्रालय के कामकाज पर चर्चा की शुरूआत करते हुए राजधानी दिल्ली में अपराध की घटनाओं से संबंधित आंकड़ो की लंबी सूची पेश करते हुए कहा कि यहां महिलाओं के खिलाफ अपराध की दर 144 प्रतिशत है, जो देश में सबसे अधिक है। उन्होंने कहा कि दिल्ली सीधे केन्द्रीय गृह मंत्रालय के अंतर्गत आती है और हैरानी की बात है कि यहां अपराध से संबंधित 77 हजार मामले दर्ज किये गये हैं। उन्होंने कहा कि इस स्थिति से निपटने के लिए दिल्ली में केन्द्र और राज्य सरकार को मिलकर काम करना होगा।

राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो के कामकाज में विसंगति का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि वर्ष 2004 से इस संगठन में विभिन्न अपराधों के आंकड़ों के साथ साथ आंदोलन और अनशन के आंकड़े भी दर्ज किये जाते थे लेकिन सरकार ने वर्ष 2017 में इसे बंद कर दिया। इसका तर्क यह दिया गया कि इन्हें अपराध की एक श्रेणी में पहले से ही दर्ज किया जा रहा है। उन्होंने सवाल किया कि अनशन या आंदोलन कब से अपराध की श्रेणी में आ गया है। उन्होंने आरोप लगाया कि अनशन और आंदोलन से संबंधित जानकारियों पर पर्दा डाला जा रहा है। 

माकन ने कहा कि देश में नशे की घटनाएं बहुत तेजी से बढ रही हैं और इनकी संख्या एक लाख 15 हजार के आंकड़े को पार कर गयी हैं। उन्होंने कहा कि ङ्क्षसथेटिक ड्रग्स की मात्रा बहुत तेजी से बढ रही है, जो चिंता का विषय है। उन्होंने पंजाब में ड्रोन के माध्यम से ड्रग और विस्फोटक पदार्थों की तस्करी का भी मुद्दा उठाया। उन्होंने सीमा पर बुनियादी ढांचे की निधि के समुचित इस्तेमाल की जरूरत पर बल दिया और कहा कि यह निधि बिना खर्च किये बड़ी संख्या में वापस  की जा रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार एक चौथाई आवंटन को खर्च नहीं कर पा रही है। 

कांग्रेस सदस्य ने कहा कि केन्द्रीय पुलिस बलों के आधुनिकीकरण का पैसा भी पूरा खर्च नहीं किया जा रहा है। अद्र्धसैनिक बलों में एक लाख से अधिक की रिक्तियां भी खेद की बात है। उन्होंने जनगणना के कार्य में हो रही देरी का भी उल्लेख किया जिससे नीतियां और योजना बनाने का कार्य प्रभावित हो रहा है। उन्होंने कहा कि जनगणना अगर समय पर नहीं होगी तो बड़ी संख्या में लाभार्थी योजनाओं से वंचित रह जायेंगे। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक आपदाओं के समय राहत पहुंचाने के कोष में बढोतरी के बजाय कमी की गयी है।  भारतीय जनता पार्टी के सुधांशु त्रिवेदी ने पहले दिन अधूरे रहे अपने भाषण को आज फिर से शुरू करते हुए कहा कि केन्द्र सरकार मणिपुर में संवेदनशीलता, जम्मू कश्मीर में दृढ संकल्प, आंतरिक सुरक्षा पर कठोर ²ष्टिकोण और राज्यों के साथ बेहतर तालमेल के साथ काम कर रही है। उन्होंने कहा कि गृह मंत्रालय ने किसी राज्य में हस्तक्षेप नहीं किया है बल्कि अनेक राज्यों ने एनआरसी के खिलाफ विधेयक पारित कर गृह मंत्रालय के कामकाज में हस्तक्षेप किया है। 

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उन्होंने कहा कि गृह मंत्रालय ने वास्तव में देश को पूरी तरह से धर्मनिरपेक्ष बना दिया है। उन्होंने जोर देकर कहा कि देश में सभी धर्मों का समान रूप से सम्मान होना चाहिए लेकिन सनातन का अपमान नहीं होना चाहिए। त्रिवेदी ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विरोध को लेकर कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि उसके एक नेता ने पिछले लोकसभा चुनाव के दौरान बंगलादेश के एक अखबार में लेख लिखा था 'मोदी हेज टू गो। उन्होंने विपक्ष के  अनेक नेताओं के विभिन्न मामलों में जेल जाने के आरोपों पर कहा कि ये नेता भाजपा की सरकार के कार्यकाल में जेल नहीं गये। द्रमुक के परिसीमन प्रक्रिया के विरोध का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि जनसंख्या बढने का उल्लेख केवल भौगोलिक  रूप से नहीं अन्य पहलुओं की दृष्टि से भी किया जाना चाहिए।  

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द्रमुक के एन शनमुगम ने कार्य की लंबी अवधि को देखते हुए पुलिस बलों को राहत पहुंचाने के लिए विशेष कदम उठाये जाने की मांग की। उन्होंने देश में बढते साइबर अपराध का भी मुद्दा उठाया। सदस्य ने मणिपुर में हिंसा का जिक्र करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री को वहां जाकर स्थिति को सामान्य बनाने का प्रयास करना चाहिए था। द्रमुक सदस्य ने परिसीमन प्रकिया का भी विरोध करते हुए कहा कि इससे राज्य के लोकसभा में प्रतिनिधित्व पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। उन्होंने कहा कि परिसीमन का कार्य 1971 की जनगणना के आधार पर किया जाना चाहिए। उन्होंने आरोप लगाया कि   भाजपा सरकार गैर भाजपा शासित राज्यों के साथ दूसरे श्रेणी के राज्यों की तरह व्यवहार कर रही है। केन्द्र और राज्यों के बीच संबंध अच्छे नहीं हैं और राज्यों के साथ भेदभाव किया जा रहा है। 

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