पाक के डिफेंस सिस्टम एचक्यू-9 पर भारी पड़ा इजरायली ड्रोन हारोप : हमले में चार सैनिक घायल, सैन्य ठिकाने को आंशिक नुकसान पहुंचा
हमले में इस्तेमाल ड्रोन: इजरायली हारोप
8 मई को लाहौर में एचक्यू-9 वायु रक्षा प्रणाली को भारत ने उस ड्रोन से मारा, जिसका उपयोग इजरायल अपने दुश्मनों के खिलाफ करता है
नई दिल्ली। 8 मई को लाहौर में एचक्यू-9 वायु रक्षा प्रणाली को भारत ने उस ड्रोन से मारा, जिसका उपयोग इजरायल अपने दुश्मनों के खिलाफ करता है। इस हमले को भारत द्वारा किए गए एक सटीक और रणनीतिक हमले के रूप में देखा जा रहा है, जिसने पाकिस्तान की वायु रक्षा क्षमता को बड़ा झटका दिया। एचक्यू-9 चीन द्वारा निर्मित एक उन्नत लंबी दूरी की सतह-से-हवा मिसाइल प्रणाली माना जाता है।
पाकिस्तान की वायु रक्षा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इस हमले में ड्रोन ने सटीकता के साथ लक्ष्य को नष्ट किया, जिसके परिणामस्वरूप पाकिस्तानी वायु रक्षा प्रणाली को भारी नुकसान हुआ। इस हमले ने लाहौर को वायु रक्षा के मामले में असुरक्षित बना दिया, जिससे पाकिस्तान की सैन्य रणनीति पर गंभीर सवाल उठे। पाकिस्तानी सेना के प्रवक्ता लेफ्टिनेंट जनरल अहमद शरीफ ने दावा किया कि इस हमले में चार सैनिक घायल हुए। सैन्य ठिकाने को आंशिक नुकसान पहुंचा। हालांकि, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर कई पोस्ट्स में दावा किया गया कि एचक्यू-9 मिसाइल लॉन्चर लगभग पूरी तरह नष्ट हो गया, जिससे लाहौर की वायु रक्षा प्रणाली गंभीर रूप से कमजोर हो गई।
हमले में इस्तेमाल ड्रोन: इजरायली हारोप
रिपोर्ट्स के अनुसार इस हमले में भारत द्वारा इस्तेमाल किया गया ड्रोन इजरायल निर्मित हारोप था। हारोप एक लॉइटरिंग म्युनिशन (कामिकेज ड्रोन) है, जो ड्रोन और मिसाइल की संयुक्त क्षमताओं को एकीकृत करता है। यह ड्रोन लंबी दूरी तक उड़ान भर सकता है। लक्ष्य पर मंडराने (लॉइटरिंग) की क्षमता रखता है। सटीक हमला करने के लिए डिजाइन किया गया है।
लॉन्च प्लेटफॉर्म : ग्राउंड-बेस्ड लॉन्चर या कैनिस्टर-आधारित सिस्टम
हारोप में रडार-रोधी क्षमता होती है, जो इसे दुश्मन के रडार और वायु रक्षा प्रणालियों को निशाना बनाने में सक्षम बनाती है। हारोप की सबसे बड़ी ताकत इसकी स्वायत्तता और सटीकता है। यह ड्रोन लक्ष्य को पहचानने और हमला करने से पहले लंबे समय तक हवा में मंडरा सकता है, जिससे यह गतिशील और उच्च-मूल्य वाले लक्ष्यों, जैसे कि एचक्यू-9 जैसे वायु रक्षा सिस्टम को नष्ट करने के लिए आदर्श है।
हमले का सामरिक महत्व, वायु रक्षा का कमजोर होना
एचक्यू-9 का नष्ट होना लाहौर की वायु रक्षा को गंभीर रूप से प्रभावित करता है। यह भारतीय वायुसेना को भविष्य के आॅपरेशनों में अधिक स्वतंत्रता प्रदान कर सकता है।
सटीक हमला क्षमता
हारोप ड्रोन का उपयोग भारत की उन्नत तकनीकी और सटीक हमले की क्षमता को दर्शाता है।
मनोवैज्ञानिक प्रभाव
इस हमले ने पाकिस्तानी सेना और जनता के मनोबल पर गहरा प्रभाव डाला। पर कई पोस्ट्स में इसे पाकिस्तान की रक्षा प्रणाली के लिए एक बड़ा झटका बताया गया।
क्षेत्रीय तनाव
यह हमला भारत-पाकिस्तान तनाव को और बढ़ा सकता है. विशेष रूप से 22 अप्रैल 2025 के पहलगाम आतंकी हमले और आॅपरेशन सिंदूर-1 के बाद।
अन्य संभावित ड्रोन: हालांकि हारोप ड्रोन की पहचान सबसे विश्वसनीय मानी जा रही है, कुछ स्रोतों ने अन्य ड्रोनों, जैसे स्काईस्ट्राइकर की संभावना जताई गई है। स्काईस्ट्राइकर, जो एक अन्य इजरायली लॉइटरिंग म्युनिशन है, भी भारत के शस्त्रागार में मौजूद है। हालांकि, इसकी रेंज (20-100 किमी) और विशेषताएं एचक्यू-9 जैसे उच्च-मूल्य लक्ष्य के लिए हारोप की तुलना में कम उपयुक्त हैं। इसलिए, हारोप की संभावना अधिक है।
एचक्यू-9 वायु रक्षा प्रणाली
एचक्यू-9 एक चीनी निर्मित लंबी दूरी की सतह-से-हवा मिसाइल प्रणाली है, जिसे पाकिस्तान ने अपनी वायु रक्षा को मजबूत करने के लिए अधिग्रहित किया था। यह प्रणाली रूस की एस-300 और अमेरिका की पैट्रियट मिसाइल प्रणाली के समकक्ष मानी जाती है।
एचक्यू-9 की प्रमुख विशेषताएं
रेंज: 200 किलोमीटर तक
लक्ष्य: फाइटर जेट्स, क्रूज मिसाइलें, बैलिस्टिक मिसाइलें और ड्रोन
रडार: मल्टी-मोड रडार, जो 300 किमी तक लक्ष्यों को ट्रैक कर सकता है।
मिसाइल: 180 किलोग्राम वॉरहेड के साथ हाई-एक्सप्लोसिव मिसाइल।
तैनाती: मोबाइल लॉन्चर, जो इसे तैनाती में लचीलापन प्रदान करता है।
एचक्यू-9 पाकिस्तान की वायु रक्षा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा था, विशेष रूप से लाहौर जैसे प्रमुख शहरों की सुरक्षा के लिए। इस प्रणाली का नष्ट होना पाकिस्तान के लिए एक बड़ा सामरिक झटका है। क्योंकि यह लाहौर को हवाई हमलों के प्रति अधिक असुरक्षित बनाता है।
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