भारत-अमेरिका ट्रेड डील : ट्रंप ने रखी थी एफ-35 जेट खरीदने की शर्त, ट्रेड डील के ठंडे बस्ते में जाने के पीछे रूस का भी कनेक्शन
एफ-35 ने बिगाड़ा माहौल
भारत-अमेरिका व्यापार और रक्षा वार्ता एफ-35 लड़ाकू विमान को सौदे में जोड़ने की अमेरिकी शर्त के कारण ठंडे बस्ते में चली गई। अमेरिका सोर्स-कोड साझा करने को तैयार नहीं था, जबकि भारत टेक्नोलॉजी ट्रांसफर चाहता था। इसी बीच रूस ने एसयू-57ई के सह-डिज़ाइन और तकनीक ट्रांसफर का प्रस्ताव दिया। हालांकि टैरिफ, डिजिटल व्यापार और सेवाओं पर बातचीत शांत रूप से जारी है।
वॉशिंगटन। भारत और अमेरिका के बीच कुछ समय पहले व्यापार समझौते पर बातचीत जोरशोर से चल रही थी। दोनों ओर से नेताओं के बयान आ रहे थे कि जल्दी ही ट्रेड डील कर ली जाएगी लेकिन हालिया वक्त में इस पर चुप्पी दिख रही है। दोनों देशों के व्यापार और रक्षा समझौते पर बातचीत ठंडे बस्ते में है। ऐसे में सवाल उठा है कि आखिर क्यों दोनों देशों में डील पर गर्माहट क्यों खत्म हुई। वहीं दूसरी ओर रूसी राष्ट्रपति पुतिन के प्रस्ताव ने भी भारत को विकल्प दिया है। रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका के ट्रंप प्रशासन ओर से शर्त रखी गई थी कि अगर भारत टैरिफ, एनर्जी और मार्केट तक पहुंच का हक चाहता है तो उसे एफ-35 लड़ाकू विमान खरीदना होगा। भारत को एफ-35 सिर्फ स्टैंडअलोन हथियार बिक्री के तौर पर नहीं बल्कि नए स्ट्रेटेजिक लॉकइन के सेंटरपीस के तौर पर लेना होगा। इसने भारत को निराश किया और पूरी डील की ठंडे बस्ते में चली गई।
पुतिन का प्रस्ताव :
भारत और अमेरिका में एफ-35 सर्कल की उलझी गुत्थी के बीच पुतिन एक ऐसे प्रस्ताव के साथ आए, जो भारत की मांगों के हिसाब से है। बताया गया है कि मॉस्को तकनीक ट्रांसफर के साथ एसयू-57ई पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमानों पर भारत से चर्चा के लिए तैयार है। यानी एक तरफ अमेरिका अपने सोर्स-कोड की रक्षा कर रहा है तो वहीं रूस यह संकेत दे रहा है कि वह भारत को सह-डिजाइनर बनने का मौका देगा।
इस पूरे घटनाक्रम से भारत-अमेरिका व्यापार सौदे को झटका लगा है लेकिन इसे खत्म मान लेना ठीक नहीं है। दोनों पक्षों के वातार्कार अभी भी टैरिफ रोलबैक, डिजिटल व्यापार, फार्मा, कृषि और सेवाओं के बारे में चुपचाप बात कर रहे हैं। दोनों पक्ष संपर्क में हैं लेकिन व्यापक रक्षा इशारों के साथ घोषित होने वाले नाटकीय बिग बैंग पैकेज को फिलहाल के लिए स्थगित कर दिया गया है। एक्सपर्ट का कहना है कि अमेरिका-भारत व्यापार सौदा मरा नहीं है लेकिन ठंडे बस्ते में जरूर है।
एफ-35 ने बिगाड़ा माहौल :
रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका के एफ-35 को डील में पॉइजन पिल (जहरीली गोली) की तरह शामिल करने ने वार्ता को पटरी से उतार दिया। अमेरिका की सोच थी कि एफ-35 लड़ाकू विमानों को व्यापार और रक्षा समझौते में शामिल करने से भारत दशकों के लिए अमेरिकी लॉजिस्टिक्स, सॉफ्टवेयर और अपग्रेड के ऐसे इकोसिस्टम से जुड़ जाएगा, जो हथियार प्रणाली से कहीं बढ़कर होगा। दूसरी ओर भारत को यह नेटवर्क नियंत्रण लगा। दिल्ली के वातार्कारों ने अमेरिका के साथ सख्त रुख अपनाते हुए साफ किया कि पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमानों की खरीद बिना टेक्नोलॉजी ट्रांसफर के नहीं होगी। अमेरिकी अधिकारी एफ-35 के स्थापित शासन ढांचे के कारण भारत की मांगों को पूरा करने की स्थिति में नहीं थे। उन्होंने कहा कि हमने किसी को भी इन जेट का सोर्स-कोड नहीं दिया है। ऐसे में भारत भी इस तरह की उम्मीद ना करे।

Comment List