मारवाड़ी सम्मेलन : राजस्थानी भाषा को संविधान में शामिल करने की मांग, मारवाड़ी समाज ने शराब और मृत्यु भोज पर लिया बड़ा फैसला
आगामी जनगणना में सभी अपनी मातृभाषा को मारवाड़ी भाषा लिखवाए
अखिल भारतीय मारवाड़ी सम्मेलन के 28वें अधिवेशन के दूसरे दिन आज केंद्र सरकार से राजस्थानी भाषा को संविधान की आठवीं सूची में शामिल करने का अनुरोध किया गया
नई दिल्ली। अखिल भारतीय मारवाड़ी सम्मेलन के 28वें अधिवेशन के दूसरे दिन आज केंद्र सरकार से राजस्थानी भाषा को संविधान की आठवीं सूची में शामिल करने का अनुरोध किया गया। नव नियुक्त राष्ट्रीय अध्यक्ष पवन कुमार गोयनका की अध्यक्षता में समापन समारोह में इस आशय का प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित करते हुए केन्द्र सरकार से आगामी जनगणना में मारवाड़ी को एक जाति के रूप में शामिल करने का अनुरोध भी किया गया।
उन्होंने कहा कि राजस्थानी भाषा में सात लाख समृद्ध शब्दों का कोश विद्यमान है तथा देश भर में फैले 10 करोड़ मारवाड़ी समुदाय से अनुरोध किया गया है कि वे आगामी जनगणना में सभी अपनी मातृभाषा को मारवाड़ी भाषा लिखवाए। उन्होंने राजस्थानी भाषा के लगातार कम हो रहे उपयोग के चलते इस भाषा के अन्य भाषाओं की तरह लुप्त होने की आशंका को देखते हुए सरकार से इसके संरक्षण के लिए समय रहते उपाय करने का अनुरोध किया। समारोह में यह प्रस्ताव पारित किया गया कि मारवाड़ी समाज के सदस्य ऐसे किसी भी विवाह समारोह में सम्मिलित नहीं होंगे जहां मद्यपान की व्यवस्था होगी।
समारोह में पाणिग्रहण संस्कारों या अन्य किसी भी धार्मिक आयोजनों में मद्यपान को प्रतिबंधित करने का निर्णय लिया गया और यह प्रस्ताव भी पारित किया गया कि मारवाड़ी समाज किसी भी मृत्यु भोज में सम्मिलित नहीं होगा।

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