भारत-आस्ट्रिया के संबंध रणनीतिक साझेदारी में बदलेंगे : मोदी
ह युद्ध का समय नहीं है
प्रधानमंत्री ने कहा कि मेरे और चांसलर नेहैमर के बीच बहुत सार्थक बातचीत हुई। हमने आपसी सहयोग को और मजबूत करने के लिए नई संभावनाओं की पहचान की है।
विएना। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और ऑस्ट्रिया के चांसलर कार्ल नेहैमर ने यहां आपसी सहयोग को और मजबूत करने तथा संबंधों को रणनीतिक साझेदारी के स्तर तक ले जाने का निर्णय लिया। ऑस्ट्रिया की यात्रा पर आये मोदी ने चांसलर नेहैमर के साथ कहा कि दोनों पक्षों ने संघर्ष और पश्चिम एशिया की स्थिति सहित दुनिया में अलग-अलग स्थानों पर चल रहे विवादों पर विस्तार से चर्चा की। मोदी ने एक बार फिर दोहराया कि यह युद्ध का समय नहीं है।
संबंधों को स्ट्रैटेजिक दिशा प्रदान की जाएगी
प्रधानमंत्री ने कहा कि मेरे और चांसलर नेहैमर के बीच बहुत सार्थक बातचीत हुई। हमने आपसी सहयोग को और मजबूत करने के लिए नई संभावनाओं की पहचान की है। हमने निर्णय लिया है कि संबंधों को स्ट्रैटेजिक दिशा प्रदान की जाएगी। मैंने और चांसलर नेहमर ने विश्व में चल रहे विवादों, चाहे यूक्रेन में संघर्ष हो या पश्चिम एशिया की स्थिति, सभी पर विस्तार में बात की है। मैंने पहले भी कहा है कि यह युद्ध का समय नहीं है। मोदी ने कहा कि दोनों देशों का मानना है कि आतंकवाद को किसी भी रूप में स्वीकार नहीं किया जा सकता। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र और अन्य अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं को सही करने की जरूरत पर भी बल दिया।
आतंकवाद किसी भी रूप में स्वीकार्य नहीं
प्रधानमंत्री ने कहा कि हम दोनों आतंकवाद की कोर निंदा करते हैं। हम सहमत हैं कि ये किसी भी रूप में स्वीकार्य नहीं है। इसको किसी तरह भी उचित नहीं ठहराया जा सकता। हम संयुक्त राष्ट्र संघ और अन्य अंतराष्ट्रीय संस्थाओं में रिफॉर्म के लिए सहमत हैं ताकि उन्हें समकालीन और प्रभावशाली बनाया जाए। मोदी ने लोकतंत्र और कानून के शासन जैसे साझा मूल्यों को दोनों देशों के संबंधों का आधार बताते हुए कहा कि लोकतंत्र और कानून का शासन जैसे मूल्यों में साझा विश्वास, हमारे संबंधों की मजबूत नींव हैं। आपसी विश्वास और साझा हितों से हमारे रिश्तों को बल मिलता है। प्रधानमंत्री ने अपनी यात्रा को एतिहासिक बताते हुए कहा कि यह ऐसे सयम पर हो रही है जब दोनों देशों के संबंधों के 75 वर्ष पूरे हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि मुझे खुशी है कि मेरे तीसरे कार्यकाल की शुरुआत में ही ऑस्ट्रिया आने का अवसर मिला। मेरी यह यात्रा ऐतिहासिक भी है और विशेष भी। 41 साल के बाद किसी भारतीय प्रधानमंत्री ने ऑस्ट्रिया का दौरा किया है। ये भी सुखद संयोग है कि ये यात्रा उस समय हो रही है जब हमारे आपसी संबंधों के 75 साल पूरे हुए हैं।
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