बिहार चुनाव : सिवान में लड़ रहे हैं सबसे ज्यादा दागी उम्मीदवार, कुल 1303 उम्मीदवारों में से 423 ने खुद को आपराधिक पृष्ठभूमि वाला किया घोषित
पहले चरण में मैदान में उतरे उम्मीदवारों में से एक-तिहाई (32%) के खिलाफ आपराधिक मामले
एडीआर रिपोर्ट के अनुसार, बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के पहले चरण में 1303 उम्मीदवारों में से 423 (32%) पर आपराधिक और 354 (27%) पर गंभीर मामले दर्ज हैं। सिवान में सबसे ज्यादा 32 दागी उम्मीदवार हैं, जबकि पटना-सारण में 31-31 राजद के 60%, कांग्रेस के 52% और माकपा के 100% प्रत्याशी गंभीर मामलों से जुड़े हैं।
पटना। बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के पहले चरण में सबसे अधिक दागी उम्मीदवार सिवान जिले में हैं। असोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) की रिपोर्ट के मुताबिक, पहले चरण में कुल 1303 उम्मीदवारों के हलफनामों का विश्लेषण किया गया, जिनमें से 423 (32%) उम्मीदवारों ने अपने ऊपर आपराधिक मामले घोषित किए हैं। इनमें से 354 (27%) उम्मीदवारों पर गंभीर अपराधों के केस दर्ज हैं।
सिवान के बाद पटना-सारण में सबसे ज्यादा दागी :
चौंकाने वाली बात यह है कि 121 सीटों में से 91 सीटों यानी करीब 75 फीसदी सीटों पर तीन या उससे अधिक दागी उम्मीदवार मैदान में हैं। इन्हें रेड अलर्ट वाली सीटें माना गया है। जिलेवार आंकड़ों पर नजर डालें तो सिवान जिले में सबसे ज्यादा 32 दागी उम्मीदवार चुनाव मैदान में है। इसके बाद पटना और सारण में 31-31, जबकि मुजफ्फरपुर और दरभंगा में 29-29 उम्मीदवार ऐसे हैं, जिन पर आपराधिक मामले दर्ज हैं।
वहीं, किसी खास विधानसभा सीट की बात करें तो मुजफ्फरपुर जिले की कुढ़नी विधानसभा सीट पर सबसे ज्यादा आपराधिक पृष्ठभूमि वाले प्रत्याशी हैं।
राजद में सबसे ज्यादा आपराधिक पृष्ठभूमि वाले प्रत्याशी :
गंभीर आपराधिक मामलों वाले प्रत्याशियों की संख्या के मामले में महागठबंधन ने एनडीए को पीछे छोड़ दिया है। महागठबंधन के कई दलों के आधे से ज्यादा प्रत्याशियों पर गंभीर आरोप हैं। महागठबंधन के राजद के 70 में से 42 यानी 60% प्रत्याशियों पर गंभीर मामले दर्ज हैं। वहीं कांग्रेस के 23 में से 12 यानी 52% प्रत्याशी ऐसे हैं जिन पर गंभीर आरोप हैं। भाकपा माले के 14 में से 9 यानी 64% प्रत्याशियों पर भी गंभीर मामले हैं। भाकपा के 5 में से 4 यानी 80% प्रत्याशी और माकपा के तो तीनों यानी 100% प्रत्याशियों पर आपराधिक मामले दर्ज हैं। यह दिखाता है कि महागठबंधन में गंभीर आपराधिक पृष्ठभूमि वाले नेताओं की संख्या एनडीए से ज्यादा है।

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