सुप्रीम कोर्ट ने किया अपनी असाधारण शक्ति का उपयोग, छात्र को IIT धनबाद के पाठ्यक्रम में प्रवेश देने का दिया निर्देश
बच्चे के पिता दिहाड़ी मजदूर, समय पर फीस नहीं जमा करा सके
टैलेंट को ऐसे बर्बाद नहीं होने दे सकते,छात्र से कहा: ऑल द बेस्ट, अच्छा करो।
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने अपनी असाधारण शक्ति का प्रयोग करते हुए आईआईटी धनबाद को एक दलित छात्र को एडमिशन देने का निर्देश दिया। यह छात्र 17,500 रुपए फीस जमा करने की समय सीमा चूक जाने के कारण अपनी सीट खो बैठा था। यह फीस देकर छात्र को आईआईटी धनबाद में अपना एडमिशन सुरक्षित कराना था।
उत्तर प्रदेश के छात्र के पास फीस जमा करने के लिए चार दिन थे। छात्र के पिताए जो एक दिहाड़ी मजदूर हैं, ने अपनी तरफ से हरसंभव कोशिश की, लेकिन फीस जमा करने की समयसीमा चूक गए।
इसके बाद छात्र के पिता इस लड़ाई को अदालत में ले गए। तीन महीने तक पिता ने एससी/एसटी आयोग, झारखंड और मद्रास उच्च न्यायालयों के चक्कर काटे लेकिन जब कुछ भी काम नहीं आया, तो उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने आईआईटी को छात्र को प्रवेश देने का आदेश दिया। चीफ जस्टिस ने उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले के एक गांव से आए 18 वर्षीय छात्र से कहा ‘ऑल द बेस्ट। अच्छा करो।’
कोर्ट ने किया अनुच्छेद 142 का प्रयोग
शीर्ष अदालत ने संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत अपनी असाधारण शक्तियों का प्रयोग करते हुए आईआईटी धनबाद को अतुल कुमार को अपने इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग बीटेक पाठ्यक्रम में प्रवेश देने का निर्देश दिया। संविधान का अनुच्छेद 142 शीर्ष अदालत को न्याय के हित में कोई भी आदेश पारित करने का अधिकार देता है।
हम ऐसे युवा प्रतिभाशाली लड़के को जाने नहीं दे सकते। उसे मझधार में नहीं छोड़ा जा सकता। वह झारखंड विधिक सेवा प्राधिकरण के पास गया। फिर चेन्नई विधिक सेवा प्राधिकरण के पास गया और फिर उसे हाई कोर्ट भेज दिया गया। वह एक दलित लड़का है जिसे दर-दर भटकना पड़ रहा है।
डीवाई चंद्रचूड़, सीजेआई
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