सेना में दिखने लगा महिला शक्ति का दम
महिलाएं सेना में बढ़ चढ़कर अपनी योग्यता का प्रदर्शन कर रही
भारतीय सेना में महिला शक्ति का दम दिखाई देने लगा है।
भारतीय सेना में महिला शक्ति का दम दिखाई देने लगा है। पुरुषों की तरह महिलाएं भी सेना में बढ़ चढ़कर अपनी योग्यता का प्रदर्शन कर रही हैं। विदेश सचिव विक्रम मिसरी के साथ कर्नल सोफिया कुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह ने प्रेस कॉन्फेंरस कर भारत के पराक्रम की तस्वीर को पूरी दुनिया के सामने पेश किया और बताया कि आखिर ऑपरेशन सिंदूर के जरिए भारत ने कैसे और क्या कार्यवाही की। सेना की दोनों महिला अधिकारियों ने सैनिक कार्यवाही की हर दिन प्रेस कांफेंरस के माध्यम से देश दुनिया को ताजा जानकारी प्रदान कर यह दिखा दिया कि भारत में महिला शक्ति भी किसी से कम नहीं है। भारत में सदियों से महिलाओं को मातृशक्ति का दर्जा दिया जाता रहा है। जहां नारियों की पूजा होती है, वहां देवता रमते हैं। जहां नारियों की पूजा नहीं होती, वहां किए गए सभी कार्य निष्फल हो जाते हैं।
हम देश में साल में दो बार नवरात्र पर मातृशक्ति रूपी मा दुर्गा की पूजा कर देश दुनिया को यह संदेश देते हैं कि मातृ शक्ति भी किसी से कम नहीं है। अब तो हमारी सेना में पुरुषों से कंधे से कंधा मिलाकर महिलाएं हर क्षेत्र में अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन कर अपनी उत्कृष्ट क्षमता दिखा दी है। महिलाएं फाइटर प्लेन उड़ा रही हैं। तो युद्ध भूमि में हर प्रकार की भूमिका निभाने को तैयार नजर आ रही है। भारतीय सशस्त्र बलों में महिलाओं की भागीदारी का इतिहास लंबे संघर्ष और बदलावों से भरा रहा है। स्वतंत्रता संग्राम के समय से ही महिलाएं भारत की सुरक्षा और सेवा में अप्रत्यक्ष रूप से योगदान देती रही हैं। पहले महिलाओं को शार्ट सर्विस कमीशन में ही लिया जाता था। लेकिन फरवरी 2020 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद महिलाओं को सेना में स्थाई कमीशन मिलने लगा है। अब एनडीए की कुल सीटों का 10 प्रतिशत सीटों पर लड़कियां सिलेक्ट होती हैं और वह भी ओपन कंपटीशन में मुकाबला करके। आर्म्ड फोर्सज में आने के बाद उनके लिए भी अवसर समान होते हैं।
उनका करियर प्रोग्रेस वैसा ही होगा जैसा लड़कों का होगा। सर्विस रूट समान होते हैं। अब हम गर्व के साथ कह सकते हैं कि हमारी सेना में पूरी तरह जेंडर न्यूट्रलाइजेशन हो गया है। सेना में आज हमारी महिला कॉम्बैट पायलट भी है। जो मिसाइल चलती हैं मोर्चे पर भी जाती हैं। वह इंजीनियरिंग का कार्य भी देखती हैं और सैटेलाइट को भी नियंत्रित करती हैं। अब महिलाएं डिफेंस भी करती हैं। टेक्निकल इंटेलिजेंस भी एकत्रित करती हैं। अभी तक आमने-सामने की लड़ाई में महिलाओं को नहीं भेजा जाता है। राजस्थान में झुंझुनू जिले की स्क्वाड्रन लीडर मोहन सिंह 2016 में भारतीय वायु सेवा की तेजस फाइटर स्पाइडर में शामिल होने वाली पहली महिला बनी। इससे पहले वह मिग 21 बाइसन फाइटर प्लेन भी उड़ा चुकी है। ग्रुप कैप्टन सालिया धामी वायु सेवा की ऐसी पहली महिला अधिकारी बनी हैं, जो फ्रंटलाइन काम्पैक्ट यूनिट की कमान संभाल रही है। फ्लाइंग यूनिट की फ्लाइट कमांडर बनने वाली भी वह पहली महिला अधिकारी हैं।
भारत की सशस्त्र सेना चिकित्सा सेवा और थलसेना एवं नौसेना की चिकित्सा सेवाओं का नेतृत्व महिला अधिकारी ही कर रही हैं। रक्षा बलों में लैंगिक समानता सुनिश्चित करने की दिशा में भारत की प्रगति धीमी रही है। लेकिन लोगों का मानना है कि इसमें लगातार प्रगति हुई है। अब एक साथ बहुत सारी महिलाएं प्रमुख भूमिकाओं में हैं। वे दूसरों के लिए रास्ता बना रही हैं। उनके प्रदर्शन पर बहुत कुछ निर्भर करेगा। अगर वे अच्छा काम कर रही हैं तो उन्हें स्वीकार करना आसान होगा और आने वाली महिलाओं के लिए रास्ता साफ हो जाएगा। शॉर्ट सर्विस कमीशन के तहत महिलाएं केवल 10 या 14 साल तक सेवाएं दे सकती हैं। इसके बाद वो सेवानिवृत्त हो जाती हैं। लेकिन अब उन्हें स्थायी कमीशन के लिए आवेदन करने का भी मौका मिलेगा। जिससे वो सेना में अपनी सेवाएं आगे भी जारी रख पाएंगी और रैंक के हिसाब से सेवानिवृत्त होंगी। साथ ही उन्हें पेंशन और सभी भत्ते भी मिलेंगे।
1992 में पांच साल के लिए शॉर्ट सर्विस कमीशन के लिए महिलाओं का पहला बैच भर्ती हुआ था। इसके बाद इस सर्विस की अवधि को 10 साल के लिए बढ़ाया गया। 2006 में शार्ट सर्विस कमीशन को 14 साल कर दिया गया। भारतीय सेना अब महिलाओं को सशत्र बल में नियुक्ति के लिए उनके लिए तय की गई नीतियों को लागू कर प्रोत्साहित करती है। इसके लिए महिलाओं के लिए आर्मी मेडिकल कोर, आर्मी डेंटल कोर और मिलिटरी नर्सिंग सेवाओं के लिए परमानेंट कमिशन को मंजूरी दी गई है। अब 11 आर्म्स एंड सर्विसेज में महिला अधिकारियों को परमानेंट कमिशन मिलता है। परमानेंट कमिशन के बाद महिला अधिकारी इंडियन आर्मी के सबसे महत्वपूर्ण अंगों में शामिल आर्टिलरी का हिस्सा बनने लगी है। वर्तमान में भारतीय सशस्त्र बलों में नियुक्तियों में लैंगिक आधार पर कोई भेदभाव नहीं किया जाता है।
पुरुष और महिला जवानों की हथियारों और सेवाओं के लिए तैनाती में किसी प्रकार का अंतर नहीं किया जाता है। सभी की पोस्टिंग सेना की जरूरतों के अनुसार की जाती है। भारतीय सेना में महिला अफसरों को परमानेंट कमिशन के लिए 23 नवंबर 2021 को एक जेंडर न्यूट्रल कॅरियर प्रोग्रेशन पॉलिसी लाई गई थी। इसके जरिए महिलाओं को हथियारों व अन्य सेवाओं में समान अवसर उपलब्ध कराए गए हैं।
-रमेश सर्राफ धमोरा
यह लेखक के अपने विचार हैं।
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