जानें राज-काज में क्या हैं खास
नेता भी मरु प्रदेश और मराठा भूमि से ताल्लुकात रखते हैं
बदलाव होगा या नहीं, यह तो मकर संक्रांति के बाद ही पता चलेगा, लेकिन सुगबुगाहट खुद हाथ वाले भाई लोगों के ही गले नहीं उतर रही।
चर्चा इतिहास दोहराने की
सूबे में इन दिनों इतिहास दोहराने की चर्चा जोरों पर है। हो भी क्यों न, पिछले दिनों नमो जी ने जनाधार वाले दो बड़े नेताओं से मुलाकात जो कर ली। नेता भी मरु प्रदेश और मराठा भूमि से ताल्लुकात रखते हैं। सरदार पटेल मार्ग स्थित बंगला नंबर 51 में बने भगवा वालों के ठिकाने पर चर्चा है कि ये वो करते हैं, जो कोई नहीं करता और सारे कयास एवं अंदाज धरे रह जाते हैं, लेकिन आगे कुछ करने के लिए एमपी वाले इतिहास दोहराने की तैयारी है। राज का काज करने वाले भी लंच केबिनों में बतियाते हैं कि गेम प्लान के लिए लाल किले वाली नगरी में पंडित दीनदयाल उपाध्याय मार्ग स्थित बंगले से सामने वालों के एमपीज से मेल मिलाप का प्रोग्राम जोरों पर है, ताकि चाणक्य के चारों सू़त्र अपना कर इस्तीफे की आड़ में पार्टी में शामिल कर उप चुनावों में उन्हें ही कैंडिडेट बनाकर पार्लियामेंट की संख्याबल में इजाफा किया जा सके।
बधाई के मायने
सूबे में भगवा वाली पार्टी के प्रभारी ने मैडम को बधाई क्या दे दी, कई खेमों के नेताओं की नींद उड़ गई। एक खेमे के नेता ऊंचा-नीचा ज्यादा ही हो रहे हैं, न वो ढंग से खा रहे हैं और नहीं पी रहे है। बेचारों की समझ में नहीं आ रहा कि आखिर माजरा क्या है। अब इन भाई लोगों को कौन समझाए कि कुछ पाने के लिए कुछ खोना पड़ता है। दिल्ली में बैठे गुजराती बंधु अपने हिसाब से काम करते हैं, घाटा होने से पहले ही काम के तरीकों को बदल देते हैं। दिल्ली वालों के इशारों पर संडे को जोधपुर में हुई अगुवानी ने भी मैसेज देने में कोई कसर नहीं छोड़ी। भाई लोग भी बधाई और अगुवानी के मायने निकालने में कोई कंजूसी नहीं बरत रहे, चूंकि राजस्थान को राइज जो करना है। इसके मायने समझने वाले समझ गए, ना समझे वो अनाड़ी है।
सुगबुगाहट में शैडो मंत्रिमंडल
कई बार ठाले बैठे भाई लोग कुछ न कुछ चर्चा को जन्म दे देते हैं। इन दिनों भगवा वाले कुछ भाई लोग भी इसी काम में जुटे हैं। भाई लोग भी सुगबुगाहट पैदा करने में माहिर हैं। उनकी सुगबुगाहट गले उतरे या नहीं, उससे उनका कोई लेना देना नहीं, फिर भी करते हैं। अब देखो न भाई लोगों ने ऐसी सुगबुगाहट पैदा की है, जो उन्हीं के लोगों के गले नहीं उतर रही, लेकिन भाई लोग छाती चौड़ी कर दावा कर रहे हैं कि मंत्रिमंडल रिसफलिंग में एक खेमे की टीम को तरजीह मिलेगी और उनका शैडो सीएम भी होगा, जो पर्दे के पीछे अपनी चलाने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे।
एक जुमला यह भी
सूबे में इन दिनों एक जुमला जोरों पर है। जुमला भी छोटा-मोटा नहीं बल्कि हाथ वाले भाई लोगों में अचानक पैदा हुए जोश को लेकर है। जुमले को लेकर इंदिरा गांधी भवन में बने भाई लोगों के ठिकाने पर आने वाले वर्कर्स में काफी कानाफूसी है। जुमला है कि चार साल पहले ही आंदोलन तेज करने के पीछे कोई न कोई राज है। सुगबुगाहट तो यहां तक है कि हाथ वाले भाई लोगों को वहम है कि सामने वालों के खेमे में जो कुछ चल रहा है, उसमें बदलाव के संकेत हैं। बदलाव होगा या नहीं, यह तो मकर संक्रांति के बाद ही पता चलेगा, लेकिन सुगबुगाहट खुद हाथ वाले भाई लोगों के ही गले नहीं उतर रही।
एल.एल. शर्मा
(ये लेखक के अपने विचार हैं)
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