जानें राज काज में क्या हैं खास 

डिजायर बनाम सुशासन

जानें राज काज में क्या हैं खास 

सूबे में अब सत्ता और संगठन में मंगल ही मंगल है।

अब मंगल ही मंगल :

सूबे में अब सत्ता और संगठन में मंगल ही मंगल है। मलमास हटते ही मंगलकामनाएं करने वालों की संख्या में भी चार गुणा बढोतरी हो गई है। राज का काज करने वालों में चर्चा है कि मलमास खत्म होने के इंतजार में बैठे भाई लोग भी दिन में सपने देख रहे हैं। अब इनको कौन समझाए कि सत्ता और संगठन के फेरबदल में भी वही होगा, जो एक साल पहले राज का मुखिया चुनने में हुआ था। यानी सबकुछ दिल्ली से तय होगा। जिसकी दिल्ली वालों से दिल लगी है, वो ही फायदे में रहेंगे, बाकी समझने वाले समझ गए, ना समझे वो अनाड़ी है।

इंतजार भीमाष्टमी का :

भगवा वाले भाई लोगों को भीमाष्टमी का बेसब्री से इंतजार है। उनका इंतजार भी लाजिमी है, चूंकि मामला 25 साल के इंतजार से ताल्लुकात जो रखता है। भाई लोगों की रातों की नींद और दिन का चैन उड़ा हुआ है। भीमाष्टमी भी अगले महीने की पांच तारीख को है। उस दिन लालकिले वाली नगरी की सरकार के लिए वोटिंग होगी और भगवा वाले भाई लोगों की इस इलेक्शन को साम, दाम, दण्ड और भेद से फतह करने की मंसा है, ताकि ढाई दशक बाद झण्डारोहण का सपना पूरा हो सके। पहले 15 साल शीला जी और बाद में 10 साल केजरीवाल जी ने मौका जो नहीं दिया।

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तबादले बने गले की फांस :

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सूबे में पिछले दिनों बम्पर तबादले क्या हुए, राज का काज करने वालों के गले की फांस बन गए। उनका दिन का चैन और रातों की नींद गायब हो गई। पहले तबादला कराने वालों ने नाक में दम रखा, तो अब अपने खास लोगों के कैंसिल कराने वालों ने हालत खराब कर रखी है। भारती भवन में बैठे भाई साहबों की पहले से ही आंखें लाल हैं। जोर आजमाइश के फेर में फंसी बदलियों में ब्यूरोक्रेट्स की दशा इधर पड़े तो खाई और उधर पडे तो कुआं वाली हो गई। बेचारों को रात रात भर जाग कर लिस्टें बनाने के बाद भी कोई जस नहीं है। अब उनको कौन समझाए कि बडेÞ लोगों के पीछे चलोगे, तो लात भी खानी पड़ेगी।

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भूत ए आरक्षण :

आजकल आरक्षण के भूत ने सबको परेशान कर रखा है। भूत की चपेट में आए लोगों का दिन का चैन और रात की नींद गायब है। हर कोई इससे छुटकारा पाने के लिए टोने टोटकों का सहारा ले रहा है। कुछ भाई लोग तो तांत्रिकों से झाड़ फूंक भी करवा रहे हैं। सबसे ज्यादा चिंता में वो लोग हैं, जिन्होंने 15 साल पहले राज के नुमाइंदों के रूप में अपनी चिड़ियां बिठाई थी। कोटा और बीकानेर वाले भाई साहबों के सान्निध्य में गठित समिति के लोग भी तह में जाने की कोशिश में है। वे राज का काज करने वालों का मुंह खुलवाने के अथक प्रयास में हैं, लेकिन काज करने वालों के पास रटा रटाया एक जवाब है कि हमने तो वो ही किया है, जो ऊपर से आदेश मिला था। माथा लगाने में कोई भलाई भी नजर नहीं आ रही थी। खासा कोठी के ऊंचे कमरों में चर्चा है कि ऐसे तो आरक्षण का भूत निकालना मुश्किल है।

डिजायर बनाम सुशासन :

पिछले कुछ दिनों से सूबे में डिजायर बनाम सुशासन पर बहस जोरों पर है। अटारी वाले भाई साहब के सुशासन के दावे में डिजायर सिस्टम रोड़ा बना हुआ है। राज का काज करने वाले इसकी काट की तलाश में जुटे हैं, पर वे सफल नहीं हो पा रहे हैं। अब वे लंच केबिन में डिजायर करने में अव्वल नेताओं की चर्चा में व्यस्त हैं। सबसे ऊपर गुलाबीनगर वाले भाई साहब का नाम है। खाकी वालों पर रौब मारने में सफल रहे इन भाई साहब ने चार गामाओं को मलाईदार थानों में लगवा कर ही दम लिया। मुकदमों को इधर उधर कराने वालों की सूची में परशुराम के दो वंशज सबसे ऊपर हैं। टालू प्रवृत्ति वाले अफसर पहले से ही कमर कसे हुए हैं।

एल. एल. शर्मा
(ये लेखक के अपने विचार हैं)

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