इन्हें न कोई बूझ सका और न ही कभी बूझ सकेगा
उलझी पहेली है
अगर स्वर्ग और नर्क आसमान में कहीं है, तो धरती पर क्या है ?
अगर स्वर्ग और नर्क आसमान में कहीं है, तो धरती पर क्या है? सिर्फ जीवन? भारतीय शास्त्रों में इसे आसमान में कहीं वह जगह कहा गया है, जहां उसके कर्मों की सजा दी जाती है। ऐसा कई धर्म शास्त्र भी मानते हैं, लेकिन विज्ञान नहीं मानता। भारतीय शास्त्र कहते हैं कि हां यह सच है। जबकि विज्ञान कहता है कि नहीं, यह कदापि संभव नहीं। ऐसा नहीं हो सकता। लेकिन हाल ही अमेरिका के केनसास में एक 68 वर्षीय महिला शार्लोट की मृत्यु हो गई। मृत्यु के ठीक 11 मिनट बाद वह पुन: जिंदा हो गई। जीवित होने के बाद उसने जीवन-मृत्यु के बीच के 11 मिनट में ब्रह्माण्ड में जो कुछ देखा, उसे अपने डॉक्टर और रिश्तेदारों को सुनाया। वह सब-कुछ बेहद चौंकाने वाला था। किसी को यकीन ही नहीं हुआ, लेकिन मृत शार्लोट होम्स के पुन: जीवित हो जाने पर इसे मानना पड़ा कि कुछ तो है, जो ब्रह्मांड में है, अजीबो-गरीब है और विज्ञान की समझ से परे है। क्योंकि शार्लोट होम्स की मृत्यु को सभी डॉक्टर्स प्रमाणित कर चुके थे।
शास्त्रों में उल्लेखित :
ब्रह्मांड में शार्लोट होम्स ने जो कुछ देखा, ठीक वैसा ही भारतीय शास्त्रों में उल्लेखित है। शार्लोट का कहना है कि इन 11 मिनटों में उसने जन्नत और जहन्नुम दोनों की सैर की। उस अद्भुत जगह को देख कर विस्मित हुई शार्लोट होम्स ने अपने डॉक्टर और परिवार वालों को बताया कि वहां सब-कुछ बड़ा विस्मित कर देने वाला था। मै वहां हूं और नहीं भी हूं। लेकिन मै सब कुछ देख रही थी। जहां मै थी, वह जन्नत थी और वहां एक अनोखे संगीत की मधुर धुन पर लोग झूम रहे थे। चारों ओर खूबसूरत फूल थे। मैने खुद को अपने शरीर से अलग, लेकिन हवा में ऊपर कहीं पाया। मैने वहां से अपने शव को भी देखा जिसके पास सभी डॉक्टर्स और नर्स खड़े थे। मैने जान लिया कि मैं मर चुकी हूं और अब स्वर्ग में हूं। शार्लोट का कहना है कि स्वर्ग की वह सुन्दरता हमारी कल्पना से लाखों गुना अद्भुत है। वहां भय का नामो-निशान नहीं था। एक अनोखे आनन्द की अनुभूति थी।
चर्चा का विषय :
सबसे ज्यादा भावुक पल तब आया जब मुझे एक छोटे-से बच्चे से मिलवाया गया। मै समझ नहीं पा रही थी कि वह बच्चा कौन है। तभी मुझे एक तैरती हुई आवाज सुनाई दी। उस आवाज ने कहा कि यह बच्चा वही है, जिसे तुम अपने गर्भ में तब खो चुकी थी, जब वह पांच महीने का था। वहां मै अपने मृत माता-पिता से भी मिली। ऐसे ही अन्य रिश्तेदारों से भी। जो अब इस दुनिया में नहीं हैं। उस आवाज ने उस बच्चे को गोद में उठाया और मुझे नर्क की तरफ ले गई। जहां पर मैंने बहुत बुरी दुर्गंध महसूस की। वहां चीखों की भयानक आवाजें आ रही थीं। सब-कुछ असहनीय था। वहीं पर उस आवाज ने कहा कि अब वापस जाओ और मैं पुन: जीवित हो गई। यद्यपि पुन: जीवित होते समय मुझे एक-दम अजीब-सा दर्द महसूस हुआ। शार्लोट की यह घटना पूरे अमेरिका में चर्चा का विषय बनी हुई है।
ग्रंथों में उल्लेख है :
इस पर तथ्यात्मक रूप से कुछ नहीं कहा जा सकता। लेकिन भारतीय प्राचीन ग्रंथों में उल्लेख है कि ऐसा है। जबकि विज्ञान इसे नहीं मानता। महाभारत में भी इस बात का उल्लेख है कि धर्मराज युधिष्ठिर सशरीर स्वर्ग गए थे और वहां उन्होंने स्वर्ग और नरक दोनों देखे। बावजूद स्वर्ग और नर्क एक विवादास्पद मुद्दा है। चूंकि जहां एक ओर आत्मा को अजर अमर बताया गया है, तो वह स्वर्ग और नर्क की हकदार कैसे हुई? दूसरी बात यह कि पाप और पुण्य तो शरीर करता है, आत्मा नहीं। ऐसे में शरीर के गुनाहों की सजा आत्मा को क्यों? अमूमन अखबारों में ऐसी खबरें पढ़ने को मिलती हैं कि उक्त व्यक्ति मर गया और थोड़ी देर बाद पुन: जीवित हो उठा और उसने भी वही सब-कुछ बताया जो शार्लोट होम्स ने बताया। भारत में ऐसे सैंकड़ों किस्से हो चुके हैं और सभी में ऐसी ही समान स्थितियां बताई गईं। इन सब की वैसी ही आलौकिक अनुभूतियों में समानता क्यों ?
उलझी पहेली है :
ईसाई और इस्लाम धर्म इसे ईश्वर का वह वास्तविक स्थान मानते हैं, जहां आत्माएं मृत्यु के बाद जाती हैं। जबकि बौद्ध धर्म स्वर्ग और नर्क को जन्म-मृत्यु के चक्र के भीतर विभिन्न लोकों में देखता है। हिन्दू धर्म में भी स्वर्ग और नर्क की अवधारणाएं हैं, जो कि कर्मों के अनुसार पुनर्जन्म का हिस्सा है। अस्तु स्वर्ग और नर्क का वजूद एक ऐसी उलझी पहेली है, जिसका किसी के पास कोई प्रामाणिक जवाब नहीं और जिसे कोई नहीं सुलझा सकता। यद्यपि शार्लोट होम्स ने जो कहा उस पर अब शोध किया जा रहा है और धरती से ऊपर कहीं स्वर्ग और नर्क है या नहीं, इसे भी स्पष्टत: नहीं कहा जा सकता।
-अशोक शर्मा
यह लेखक के अपने विचार हैं।

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