लाइक-कमेंट के चक्कर में मौत की रील

लाइक-कमेंट के चक्कर में मौत की रील

युवा जल्दी फेमस होने के लिए रील बना रहे हैं, जोकि बहुत गलत है।  

सोशल मीडिया के चलते बच्चों और युवाओं में सामाजिक दिखावे की प्रवृत्ति तेजी से बढ़ रही है। युवा फॉलोअर्स बढ़ाने के लिए एक-दूसरे की देखादेखी कर रहे हैं। उन्हें नहीं पता होता कि इसका नतीजा क्या होगा। उन्हें वास्तविकता का पता नहीं है। बच्चे अपने माता-पिता की बात नहीं मानते हैं। जो उम्र पढ़ने की होती है, उसमें रील बना रहे हैं। ऐसे बच्चों के साथ-साथ उनके अभिभावकों की भी काउंसिलिंग की जरूरत है।

युवाओं के साथ अब छोटे बच्चे भी रील्स बनाने लगे हैं। बच्चे घर पर अकेले रहते हैं, सोशल मीडिया का अट्रैक्शन है। सबको अच्छा लगता है कि उन्हें लोग पसंद करें, तारीफ  करें। युवा अभी रियल और रील लाइफ  जी रहा है। एक असल दुनिया है और एक आभासी दुनिया। युवा इस आभासी दुनिया यानी रील पर ज्यादा लाइक्स के चक्कर में खुद को जोखिम में डाल रहे हैं। भारत में टिकटॉक पर बैन लगने के बाद रील्स बनाने का चलन सामने आया। इसके बाद लोग इंस्टाग्राम पर वीडियो डालने लगे। रील्स में फनी, मोटिवेशनल और डांस समेत कई तरह के वीडियो होते हैं। रील्स एक तरह का इंस्टाग्राम पर शॉर्ट वीडियो होता है। शुरुआत में यह रील्स 30 सेकंड का होता था, लेकिन अब इसे बढ़ाकर 90 सेकंड का कर दिया है। रील बनाने का युवाओं के बीच ऐसा क्रेज है कि वो कहीं भी रील बनाने लग जाते हैं। कई बार इस रीलबाजी के चक्कर में लोग अपना ही नुकसान भी करा बैठते हैं। सोशल मीडिया पर फॉलोअर्स बढ़ाने के  कारण युवाओं में क्रेज बढ़ता जा रहा है। कब यह शौक सनक की हद तक पहुंच जाता है पता ही नहीं चलता। नियमों को ताक पर रखकर रील बनाने के जुनून में जान तक गंवा देते हैं। शहर में ही युवाओं को फेसबुक से लेकर इंस्टाग्राम पर फॉलोअर्स बढ़ाने के लिए जान जोखिम में डालकर रेलवे ट्रैक, फ्लाई ओवर पर, चलती रेल में कोच के डिब्बे के बीच खड़े होकर या बाइक चलाते हुए रील बनाते देखा जा सकता है।

कई युवा रील को रोचक बनाने के चक्कर में पानी के बीच उतर रहे हैं तो कई युवा टूटी दीवारों पर चढ़कर रील बना रहे हैं। वैसे तो रील्स बनाने का खुमार हर वर्ग के लोगों को है, लेकिन इसमें खासकर 16 से 40 वर्ष के युवा वर्ग में ये क्रेज तेजी से बढ़ रहा है। सोशल मीडिया पर लोकप्रिय होने के जुनून में लोग इतने खो जाते हैं कि कुछ अलग हटकर दिखाने के चक्कर में खुद के साथ-साथ कई बार दूसरों तक की जान से खिलवाड़ कर डालते हैं। लोकप्रियता हासिल करने के लिए कभी कोई रेलवे ट्रैक पर ट्रेन के सामने पहुंच जाता है तो कभी कोई बहुमंजिला इमारत पर खड़े होकर वीडियो बनाता है। कभी वाहन चलाते समय स्टंटबाजी, कभी सड़कों व चौक-चौराहों पर डांस, स्टंट करना, सिलीसेढ़ और बांध पर खड़े होकर रील्स बनाना। कभी किसी पहाड़ पर खड़े होकर अजीब हरकतें करना। कहीं झरनों व जलाशयों के बीचोबीच जाकर पानी में बेपरवाह मस्ती करते हुए रील्स बनाना। कभी रेलवे ट्रैक पर जाकर या ट्रेन में दरवाजे पर खड़े होकर रील्स बनाना। रील लाइफ की तुलना से युवाओं का आत्मसम्मान प्रभावित हो रहा है। सोशल मीडिया की दुनिया में परफेक्ट दिखने की होड़ में जब उनकी पोस्ट को वांछित प्रतिक्रिया नहीं मिलती, तो वे निराश हो जाते हैं। इसका सीधा असर उनकी मानसिक स्थिति पर पड़ता है, जिससे वे और ज्यादा सोशल मीडिया पर सक्रिय हो जाते हैं और इस चक्रव्यूह से बाहर निकलना मुश्किल हो जाता है। विशेषज्ञों का सुझाव है कि इस समस्या से निपटने के लिए अभिभावकों और शिक्षकों को मिलकर युवाओं को वास्तविक जीवन के महत्व का अहसास कराना चाहिए।

टेलेंट है तो बहुत से विषय हैं रील बनाने के यदि किसी में टेलेंट है तो जान को जोखिम में डालने वाली रील बनाने की बजाय मोटिवेशनल, संगीत, नृत्य, तकनीकी ज्ञान, सेहत से जुड़ी टिप्स, धर्म, विज्ञान, फिटनेस, हास्य-व्यंग्य, खान-पान सहित सैकड़ों विषयों पर रील बनाकर ख्याति अर्जित कर सकता है। रील्स की बजाय अपने दोस्तों के साथ समय गुजारें मॉर्निंग वॉक के साथ व्यायाम करने में समय बिताएं रील्स देखने के कारण बच्चे वर्चुअल आॅटिज्म के शिकार हो रहे हैं, उन्हें मोबाइल से दूर रखें बच्चों के सामने कम से कम मोबाइल का इस्तेमाल करें बच्चों को वक्त दें, उनसे पारिवारिक बातें करें। फॉलोअर्स बढ़ाने के लिए टेलेंट होना बहुत जरूरी है। यदि आपके अंदर टेलेंट है तो फॉलोअर्स अपने आप ही बढ़ जाएंगे। यदि युवा ट्रैक पर खड़े होकर रील बना रहे हैं तो बहुत गलत है। इससे दूसरे बच्चों पर भी गलत असर पड़ेगा। रील बनाने वालों के साथ उनकी वीडियो देखने वालों की भी मूर्खता है। इनका विरोध करना चाहिए। युवा जल्दी फेमस होने के लिए रील बना रहे हैं, जोकि बहुत गलत है।  

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-डॉ.सत्यवान सौरभ  
(ये लेखक के अपने विचार हैं)

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