स्पेस जंक-भविष्य के मिशनों पर मंडराता संकट
ओजोन को नुकसान
आज हर कहीं प्रदूषण का बोलबाला है और अब केवल धरती ही नहीं, बल्कि अंतरिक्ष भी प्रदूषण की चपेट में आ चुका है।
आज हर कहीं प्रदूषण का बोलबाला है और अब केवल धरती ही नहीं, बल्कि अंतरिक्ष भी प्रदूषण की चपेट में आ चुका है। इसे स्पेस डेब्रिस या अंतरिक्ष कचरा कहा जाता है। जब उपग्रह, अंतरिक्ष यान आदि अपने कार्य पूरे करने के बाद निष्क्रिय हो जाते हैं या टूट-फूट जाते हैं, तो उनके अवशेष अंतरिक्ष में ही तैरते रहते हैं और यही कचरा या मलबा अंतरिक्ष प्रदूषण कहलाता है। सच तो यह है कि निष्क्रिय उपग्रह,जिनका कार्यकाल पूरा हो जाता है, अंतरिक्ष कचरा पैदा करते हैं। अनेक बार उपग्रहों या मलबे की आपसी टक्कर से भी छोटे-छोटे टुकड़े अंतरिक्ष में फैल जाते हैं। ईंधन खत्म होने के बाद भी रॉकेट के टुकड़े अंतरिक्ष में तैरते रहते हैं। अंतरिक्ष मिशनों की असफलता या यूं कहें कि फेल हुए यान और उनके हिस्से भी अंतरिक्ष कचरे का बड़ा कारण बनते हैं।
केसलर सिंड्रोम :
अंतरिक्ष में बन रहे कचरे के बादल जीपीएस, संचार और मौसम के पूर्वानुमान सहित अंतरिक्ष आधारित तकनीकों पर निर्भर उद्योगों के लिए विनाशकारी सिद्ध हो सकता है। इतना ही नहीं, पृथ्वी के वातावरण में गिरते मलबे से जन-जीवन को भी खतरा पैदा होता है। जब अंतरिक्ष में मलबा इतना बढ़ जाए कि उपग्रह भेजना असंभव हो जाए, तो इसे केसलर सिंड्रोम के नाम जाना जाता है। आज मानव धरती तो धरती, अंतरिक्ष के रहस्यों को जानने के लिए नित नए शोध, अनुप्रयोग कर रहा है, लेकिन आज दुनिया भर से लॉन्च होने वाले बड़े सैटेलाइट, कम्युनिकेशन सैटेलाइट, रॉकेट और उनके ईंधन धरती के साथ ही अंतरिक्ष को भी लगातार प्रदूषित कर रहे हैं, यह बहुत ही चिंताजनक है। लंदन यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने हाल ही के अपने अध्ययन में इसका खुलासा किया है और इस पर अपनी चिंताएं जताई है।
ओजोन को नुकसान :
भविष्य में अमेजन कुईपर मिशन द्वारा इस्तेमाल होने वाले ठोस ईंधन से ओजोन-ध्वंसक क्लोरीन यौगिक निकलेंगे, जो धरती की सुरक्षा परत कहलाने वाली ओजोन परत को नुकसान पहुंचा सकते हैं। रॉकेट लॉन्च और अंतरिक्ष कचरा उत्सर्जन ओजोन परत की मरम्मत,जिसे मांट्रियल प्रोटोकॉल के तहत हासिल किया गया था,को प्रभावित कर रहे हैं, और वैश्विक जलवायु को भी बदल रहे हैं। मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल ओजोन-क्षयकारी पदार्थों के उत्पादन और उपभोग को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने के लिए 1987 में हस्ताक्षरित एक संधि है, ताकि पृथ्वी की समतापमंडलीय ओजोन परत की रक्षा की जा सके। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि ओजोन परत वायुमंडल के स्ट्रैटोस्फीयर में पाई जाती है, जो धरती की सतह से लगभग 10 से 50 किलोमीटर की ऊंचाई पर फैली हुई है। इसमें ओजोन गैस के अणु मौजूद होते हैं। यह सूर्य से आने वाली पराबैंगनी किरणें, जीव-जंतुओं, पौधों और मनुष्यों के लिए हानिकारक होती हैं। ओजोन परत इन किरणों को सोखकर धरती पर पहुंचने से रोकती है।
प्रदूषण का कारण :
मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल एक सार्वभौमिक रूप से स्वीकृत बहुपक्षीय पर्यावरण समझौता है, जिसका उद्देश्य ओजोन परत को नुकसान पहुंचाने वाले रसायनों, जैसे क्लोरोफ्लोरोकार्बन को नियंत्रित करना है। बहरहाल,यह एक कटु सत्य है कि जैसा कि शोधकर्ता ने भी कहा है कि, रॉकेट और सैटेलाइट से वायुमंडल में पहले से कहीं अधिक प्रदूषण फैल रहा है। भले ही यह उत्सर्जन अन्य उद्योगों से कम हो, लेकिन ऊपरी वायुमंडल में यह 500 गुना अधिक नकारात्मक असर यानि प्रदूषण का कारण बन सकता है। शोधकर्ताओं ने पाया कि इससे प्रदूषण रोकने वाली परत को नुकसान पहुंच रहा है। उनका यह कहना है कि रॉकेट और सैटेलाइट से पहले कभी इतना प्रदूषण वायुमंडल की ऊपरी परतों में नहीं छोड़ा गया। यह परत प्रदूषण को लंबे समय तक रोककर रखती है। इंसानों ने वायुमंडल की ऊपरी परतों में इतना प्रदूषण पहले कभी नहीं फैलाया। समय रहते यदि इसे नहीं रोका गया, तो पृथ्वी के वायुमंडल पर इसके गंभीर असर दिख सकते हैं।
सबसे ज्यादा अमेरिका के :
वहां मौजूद करीब 12,952 सैटेलाइट में से सबसे ज्यादा अमेरिका के हैं। अंतरिक्ष कचरे को लेकर सवाल यह उठता है कि आखिर इसके पीछे जिम्मेदारी किसकी है,जब अंतरिक्ष मलबा बनता है तो उसे साफ करने या उसकी निगरानी की जिम्मेदारी उस देश की होती है, जिसने वस्तु को अंतरिक्ष में प्रक्षेपित किया। इतना ही नहीं, अंतर्राष्ट्रीय नियम बनाने होंगे, ताकि हर स्पेस एजेंसी लॉन्च से पहले मलबा प्रबंधन का रोडमैप दे। सक्रिय सफाई तकनीक इस क्रम में उपयोगी साबित हो सकती है। लेजर तकनीक भी एक शानदार कदम इस दिशा में साबित हो सकता,हरपून सिस्टम के अंतर्गत बड़े मलबे को पकड़कर खींचकर नीचे लाया जा सकता है। मैग्नेटिक कैचर यानी कि धातु आधारित मलबे को चुंबकीय बल से खींचकर नष्ट किया जा सकता है। कुल मिलाकर यह बात कही जा सकती है कि अंतरिक्ष प्रदूषण से बचाव मानव जीवन, प्रौद्योगिकी, अर्थव्यवस्था और भविष्य की अंतरिक्ष खोज, हम सभी के लिए अत्यंत लाभकारी है।
-सुनील कुमार महला
यह लेखक के अपने विचार हैं।

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