आखिर कब साफ होगी यमुना नदी
दिल्ली सरकार यमुना को 2025 तक साफ करके नहाने लायक बनाने का लगातार दावा करती रही है
यदि इलाके वार इसका जायजा लें तो पाते हैं कि यमुना के पानी में फीकल कोलिफार्म की मौजूदगी बजीराबाद में अधिकतम स्वीकृत संख्या से 6.8 गुणा ज्यादा है, आई टी ओ पुल के पास यह बढ़कर 80 गुणा से ज्यादा हो गया है और ओखला बैराज तक आते-आते यह 132 गुणा हो गया है, जो असगरपुर पहुंचने पर 272 गुणा का आंकड़ा पार कर गया है।
दिल्ली सरकार बीते बरसों से यमुना को 2025 तक साफ करके नहाने लायक बनाने का लगातार दावा करती रही है। इस दिशा में वह समय-समय पर लाख कवायद करने का दावा भी करती रही है, लेकिन हकीकत इसके बिल्कुल उलट है। असलियत यह है कि बीते पांच साल में यमुना नदी पहले से और ज्यादा प्रदूषित हो गई है। नहाने की बात तो दीगर है, उसका पानी आचमन लायक तक नहीं रहा है। वह जानलेवा बीमारियों का सबब बन चुका है। इसकी पुष्टि तो पर्यावरण विभाग तक कर चुका है। यदि दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की मानें तो हालत इतनी खराब है कि यमुना के पानी में फीकल कोलिफार्म की मौजूदगी 272 गुणा से भी ज्यादा है। जो अधिकतम स्वीकृत मानक से 6.8 से भी बहुत अधिक है। विडम्बना यह है कि इनकी तादाद दिनोंदिन तेजी से बढ़ रही है, जो खतरनाक संकेत है। यदि इलाके वार इसका जायजा लें तो पाते हैं कि यमुना के पानी में फीकल कोलिफार्म की मौजूदगी बजीराबाद में अधिकतम स्वीकृत संख्या से 6.8 गुणा ज्यादा है, आई टी ओ पुल के पास यह बढ़कर 80 गुणा से ज्यादा हो गया है और ओखला बैराज तक आते-आते यह 132 गुणा हो गया है, जो असगरपुर पहुंचने पर 272 गुणा का आंकड़ा पार कर गया है। सबसे ज्यादा चिंता का सबब यह है कि वह चाहे आईएसबीटी हो, निजामुद्दीन पुल का एरिया हो,ओखला बैराज हो या फिर दिल्ली क्षेत्र का कोई भी इलाका, यमुना के पानी में आॅक्सीजन की मात्रा शून्य पाई गई है। प्रदूषण बोर्ड तक इसकी पुष्टि कर चुका है।
गौरतलब है कि बजीराबाद से लेकर ओखला के बीच घरेलू अपशिष्ट जल और रसायन युक्त औद्योगिक अपशिष्ट को ले जाने वाले 22 बड़े नाले सीधे-सीधे यमुना में गिरते हैं। ध्यान देने वाली बात यह भी है कि यमुना की कुल लम्बाई का मात्र 22 किलोमीटर का इलाका दिल्ली में पड़ता है, लेकिन सबसे बड़ी हकीकत यह है कि यही 22 किलोमीटर का इलाका यमुना को सबसे ज्यादा प्रदूषित करता है। आंकड़ों की माने तो नदी के 80 फीसदी प्रदूषण के लिए यही 22 किलोमीटर का इलाका सबसे ज्यादा जिम्मेदार है। सच्चाई यह है कि पूरी यमुना में जो गंदगी है, उसमें 80 फीसदी तो दिल्ली की ही गंदगी है। यमुनोत्री से प्रयागराज तक बहने वाली यमुना का मात्र दो फीसदी हिस्सा ही दिल्ली में बहता है। लेकिन उसी में वह 80 फीसदी प्रदूषित हो जाती है। मात्र 20 किलोमीटर के दायरे में हर दो किलोमीटर पर दो नाले यमुना को प्रदूषित कर रहे हैं। नाले गिरते ही यमुना का पानी नाले के पानी समान काला हो जाता है, उसमें झाग बनना शुरू हो जाता है। नतीजतन उसमें अमोनिया का स्तर बढ़ने लगता है और वह दुर्गंधमय हो जाता है। योजना अनुसार हर नाले पर एसटीपी लगाई जानी थीं, वह काम भी आज तक नहीं हो सका है। पर्यावरण विभाग द्वारा राष्टÑीय राजधानी क्षेत्र के पांच इलाकों से लिए गए यमुना के पानी की जांच रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है कि राजधानी के प्रत्येक इलाके के यमुना के पानी में पिछले पांच साल के दौरान बीओडी का सालाना औसत स्तर लगातार बढ़ रहा है, जो चिंतनीय है।
गौरतलब यह है और यह गर्व करने वाली बात है कि दिल्ली में दो सरकारें हैं। केन्द्र में भाजपा की सरकार और राष्टÑीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली में आप की सरकार है। लेकिन यमुना साफ कर पाने में दोनों दलों की सरकारें नाकाम रही हैं। जबकि यमुना सफाई अभियान को शुरू हुए दो दशक से भी अधिक का समय बीत चुका है। लेकिन हालात जस के तस हैं। यमुना को टेम्स बनाने का सपना तो सपना ही बनकर रह गया है। यमुना की हालत देखकर तो यही लगता है कि यमुना टेम्स बन पाएगी, इस सदी में तो उसकी आशा करना ही बेमानी है। उस दशा में जबकि केन्द्र सरकार यमुना की सफाई के लिए 1500 करोड़ और दिल्ली की सरकार एक बार 2074 करोड़ और दूसरी बार 200 करोड़ से ज्यादा राशि खर्च कर चुकी है, लेकिन यह समझ से परे है कि इस राशि का हुआ क्या? इस सबके बावजूद नतीजा आज भी शून्य है। जबकि 2015 के अपने घोषणा पत्र में आप पार्टी ने कहा था कि यमुना दिल्ली का लम्बे समय से हिस्सा रही है, लेकिन अब दिल्ली की जीवन रेखा यमुना मर रही है। हम दिल्ली के 100 फीसदी सीवेज का ट्रीटमेंट सुनिश्चित करेंगे और औद्योगिक गंदगी को यमुना में बहाए जाने से सख्ती से रोका जाएगा। अब दिल्ली के मुख्यमंत्री को ही लें, उनका कहना था कि यमुना की सफाई मेरी जिम्मेदारी है। यमुना साफ होगी और अगले चुनाव से पहले मैं इसमें स्रान करूंगा। अगर इसमें मैं फेल हो जाऊं तो मुझे वोट मत देना। पांच साल में यमुना की सफाई मेरी प्राथमिकता होगी। यह तो रही दावों की बात। यही नहीं नमामि गंगे प्रोजेक्ट के तहत यमुना की सफाई के लिए केन्द्र ने 4000 करोड़ से अधिक राशि के 13 प्रोजेक्ट स्वीकृत किए, लेकिन खेद है कि अभी तक केवल दो ही पूरे हो सके हैं।
(ये लेखक के अपने विचार हैं)
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