कोंकण के जंगलों में पराशर ऋषि का आश्रम
कोंकण के घने जंगलों में पराशर ऋषि का आश्रम है
पारीक समाज बंधुओं ने वर्षों तक प्रयास कर पारीक समाज के प्रणेता महर्षि पराशर की तपोस्थली खोजने में सफलता प्राप्त की है।
कुचामनसिटी। पारीक समाज बंधुओं ने वर्षों तक प्रयास कर पारीक समाज के प्रणेता महर्षि पराशर की तपोस्थली खोजने में सफलता प्राप्त की है। टीम में शामिल ग्राम कल्याणपुरा निवासी सुरेशकुमार व्यास ने बताया कि विभिन्न धार्मिक ग्रंथों एवं पुराणों का अध्ययन करने पर जानकारी मिली कि कोंकण के घने जंगलों में पराशर ऋषि का आश्रम है। उनकी खोज में धार्मिक ग्रंथों सहित सेटेलाइट उपकरणों की भी मदद ली गई। करीब दो वर्षों की मेहनत के बाद उन्हें सफलता मिली है। उनकी खोजी टीम में सोहनलालजी पारीक (पालड़ी), राधेश्याम पाण्डिया, आरबी व्यास, आनंद पारीक (लाडनू) एवं सुरेशकुमार व्यास कल्याणपुरा शामिल थे। आखिर पन्नालगढ की तलहटी स्थित पहाड़ी में टीम को पराशर ऋषि की गुफा मिली। गुफा करीब 60 मीटर लंबी है। गुफा में धातुनूमा वस्तु से बनी महर्षि पराशर की मूर्ति मिली। मूर्ति के पीछे एक गहरा गड्ढा मिला। मालूम करने पर पता चला कि यह महर्षि पराशर की समाधि स्थली है।
महर्षि द्वारा स्थापित किया गया शिवलिंग भी मिला
थोड़ी दूर पर ही उन्हें महर्षि पराशर का आश्रम दिखाई दिया। दिखने में हजारों साल पुराने इस आश्रम में शिवलिंग स्थापित है। शिवलिंग महर्षि पराशर से स्वयं स्थापित किया था। पास ही एक बहुत पुरानी मूर्ति नजर आई। दिखने में विष्णु की मूर्ति है।

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