अन्नपूर्णा रसोई जरूरी, क्या जनता की पुकार सुनेगी सरकार ?
छीपाबड़ौद लहसुन मंडी में अन्नपूर्णा रसोई खोलने की मांग, किसान बोले... सस्ता भोजन हमारा हक
छीपाबड़ौद में इस योजना के तहत रसोई खोलने की अनुमति मिलती है, तो यह किसानों, मजदूरों और जरूरतमंदों के लिए एक बड़ी राहत साबित होगी।
छीपाबड़ौद। छीपाबड़ौद कस्बे में राजस्थान की विशिष्ट लहसुन मंडी स्थित है। जहां प्रतिदिन सैकड़ों किसान अपनी उपज बेचने आते हैं। इनमें बड़ी संख्या में गरीब किसान होते हैं, जिन्हें उचित दर पर भोजन उपलब्ध नहीं होने के कारण निजी भोजनालयों पर निर्भर रहना पड़ता है। इससे उन्हें आर्थिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। इसी समस्या को लेकर अब कस्बे में अन्नपूर्णा रसोई की मांग जोर पकड़ने लगी है। छीपाबड़ौद की लहसुन मंडी राजस्थान ही नहीं, बल्कि मध्यप्रदेश और उत्तरप्रदेश सहित अन्य राज्यों के किसानों के लिए भी महत्वपूर्ण व्यापारिक केंद्र है। यहां हर दिन बड़ी संख्या में किसान अपनी उपज लेकर आते हैं, लेकिन उचित दरों पर भोजन की सुविधा उपलब्ध नहीं होने से उन्हें महंगे भोजनालयों में खाना पड़ता है। इससे उनकी जेब पर अतिरिक्त भार पड़ता है और मुनाफा घट जाता है। कस्बे के व्यापारियों और आम नागरिकों का भी मानना है कि अन्नपूर्णा रसोई जैसी योजना से न केवल किसानों को लाभ मिलेगा, बल्कि स्थानीय गरीब व जरूरतमंद लोगों को भी कम कीमत पर भोजन उपलब्ध हो सकेगा। व्यापारियों का कहना है कि मंडी में आने वाले किसानों के लिए भोजन की उचित व्यवस्था न होने से वे परेशान होते हैं और कई बार आर्थिक तंगी के चलते खाना भी नहीं खा पाते। कई स्थानों पर गैर-सरकारी संगठनों एवं समाजसेवियों के सहयोग से भी इसे चलाया जाता है। हालांकि अन्नपूर्णा रसोई योजना के तहत किसी भी नए केंद्र की स्थापना के लिए जनसंख्या का कोई सख्त नियम नहीं है, लेकिन आमतौर पर यह शहरी क्षेत्रों, बड़े कस्बों या प्रमुख व्यापारिक केंद्रों में खोली जाती है, जहां कम से कम 50 हजार से 1 लाख की आबादी हो और बड़ी संख्या में गरीब, मजदूर, किसान व जरूरतमंद लोग रहते हों। छीपाबड़ौद की जनसंख्या लगभग 3 लाख होने के कारण यह कस्बा इस योजना के लिए उपयुक्त है। साथ ही, यहां की लहसुन मंडी, बस स्टैंड और अन्य सार्वजनिक स्थानों पर बड़ी संख्या में किसान और मजदूर आते हैं, जिससे अन्नपूर्णा रसोई की आवश्यकता और अधिक बढ़ जाती है। यदि छीपाबड़ौद में इस योजना के तहत रसोई खोलने की अनुमति मिलती है, तो यह किसानों, मजदूरों और जरूरतमंदों के लिए एक बड़ी राहत साबित होगी।
प्रशासन की प्रतिक्रिया
प्रशासनिक स्तर पर इस मांग को लेकर क्या निर्णय लिया जाएगा, यह देखना बाकी है। हालांकि, कस्बे के नागरिकों और किसानों को उम्मीद है कि जल्द ही उनकी यह मांग पूरी होगी और अन्नपूर्णा रसोई योजना के तहत भोजन सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी।
विधायक ने उठाई मांग
स्थानीय विधायक प्रताप सिंह सिंघवी ने भी किसानों और आम नागरिकों की इस मांग को गंभीरता से लेते हुए जिला कलेक्टर को पत्र प्रेषित किया है। उन्होंने मांग की है कि छीपाबड़ौद में अन्नपूर्णा रसोई योजना के तहत एक रसोई केंद्र स्थापित किया जाए, जिससे यहां आने वाले किसानों, मजदूरों और जरूरतमंदों को कम कीमत पर पोषक आहार मिल सके।
समाधान की जरूरत
विशेषज्ञों का मानना है कि अन्नपूर्णा रसोई की स्थापना से न केवल किसानों को राहत मिलेगी, बल्कि कस्बे के अन्य जरूरतमंद लोग भी इसका लाभ उठा सकेंगे। सरकार को इस दिशा में जल्द कार्रवाई करनी चाहिए ताकि छीपाबड़ौद में आने वाले किसानों को भोजन की समस्या से राहत मिल सके।
छीपाबड़ौद जैसी महत्वपूर्ण लहसुन मंडी में अन्नपूर्णा रसोई की सुविधा न होना प्रशासन की बड़ी लापरवाही है। यह केवल किसानों की ही नहीं, बल्कि गरीब मजदूरों और जरूरतमंद लोगों की भी समस्या है। हम मांग करते हैं कि प्रशासन जल्द से जल्द हरनावदा जागीर में अन्नपूर्णा रसोई की स्थापना करे, ताकि यहां आने वाले किसानों और मजदूरों को कम दर पर पौष्टिक भोजन मिल सके। यदि सरकार इस पर ध्यान नहीं देती, तो हम कांग्रेस कार्यकर्ताओं के साथ मिलकर आंदोलन करेंगे और जरूरत पड़ने पर सड़क पर उतरकर विरोध दर्ज कराएंगे।
- मूलचंद शर्मा, कांग्रेस ब्लॉक अध्यक्ष।
छीपाबड़ौद में दूर-दराज से आने वाले किसानों को भोजन की भारी परेशानी हो रही है। महंगे होटल और भोजनालय उनकी जेब पर भारी पड़ते हैं, जिससे उनका मुनाफा कम हो जाता है। यह किसानों के साथ अन्याय है। मैंने इस मुद्दे को लेकर विधायक प्रताप सिंह सिंघवी से मुलाकात की और उन्हें किसानों की इस समस्या से अवगत कराया। उन्होंने भी इसकी गंभीरता को समझते हुए जिला कलेक्टर को पत्र लिखा है। सरकार को जल्द से जल्द छीपाबड़ौद में अन्नपूर्णा रसोई की सुविधा शुरू करनी चाहिए ताकि किसानों को कम दर पर भोजन मिल सके और वे बिना किसी चिंता के अपनी उपज बेच सकें।
-अशोक पारीक, अधिवक्ता।
छीपाबड़ौद में अन्नपूर्णा रसोई न होने से सिर्फ किसान ही नहीं, बल्कि यहां पढ़ने वाले कई छात्र भी प्रभावित हो रहे हैं। दूर-दराज से आने वाले किसान जब महंगे भोजनालयों में खाना नहीं खरीद पाते, तो उन्हें भूखा रहना पड़ता है। यह स्थिति चिंताजनक है। सरकार को चाहिए कि छीपाबड़ौद में जल्द से जल्द अन्नपूर्णा रसोई शुरू करे, ताकि किसानों और जरूरतमंद लोगों को सस्ता और पौष्टिक भोजन मिल सके। छात्र होने के नाते मैं भी इस मांग का समर्थन करता हूं, क्योंकि हर किसी को भोजन के अधिकार से वंचित नहीं किया जाना चाहिए।"*
-दीपक गुर्जर, छात्र।
छीपाबड़ौद में अन्नपूर्णा रसोई की जरूरत सिर्फ किसानों को ही नहीं, बल्कि मजदूरों, रिक्शा चालकों और दैनिक कामगारों को भी है। गरीब वर्ग के लोगों को महंगे भोजनालयों पर निर्भर रहना पड़ता है, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति पर असर पड़ता है।
- उपेन्द्र कुमार शर्मा, भाजपा वरिष्ठ नेता।
छीपाबड़ौद में अन्नपूर्णा रसोई की अनुपस्थिति गरीबों और मजदूरों के लिए बड़ी समस्या बन गई है। रोजाना कई लोग, जिनमें निर्माण मजदूर, आॅटो चालक और असंगठित क्षेत्र के श्रमिक शामिल हैं, सस्ते और पौष्टिक भोजन के अभाव में मुश्किलों का सामना कर रहे हैं। सरकार को तुरंत यहां अन्नपूर्णा रसोई शुरू करनी चाहिए ताकि जरूरतमंदों को राहत मिल सके। यदि प्रशासन ने जल्द कदम नहीं उठाया तो हम इस मुद्दे पर जन आंदोलन के लिए तैयार रहेंगे।"
- प्रेमसिंह मीणा, पूर्व ब्लॉक शिक्षा अधिकारी।
अन्नपूर्णा रसोई योजना सरकार की एक प्रभावी और जनहितकारी योजना है, जिससे गरीबों, मजदूरों और जरूरतमंदों को सस्ता एवं पौष्टिक भोजन मिलता है। छीपाबड़ौद में इस योजना के तहत रसोई की मांग को लेकर हमें अवगत कराया गया है। हम इस विषय को उच्च अधिकारियों तक पहुंचाएंगे और यदि नियमों के अनुरूप संभव होगा तो निश्चित रूप से यहां अन्नपूर्णा रसोई की स्थापना की जाएगी, जिससे किसानों और जरूरतमंदों को लाभ मिल सके। प्रशासन जनहित में हर आवश्यक कदम उठाने के लिए तत्पर है।
-अभिमन्यु सिंह कुंतल, उपखंड अधिकारी।
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