अष्टसखा के वंशज हैं मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा, गोवर्धन की परिक्रमा और श्रीकृष्ण गमन पथ से गूंज रहा आस्था का स्वर
सांस्कृतिक और आध्यात्मिक पुनरावृत्ति का पर्व
गोवर्धन गिरिराज जी की 21 किलोमीटर की परिक्रमा देश के करोड़ों श्रद्धालुओं की आस्था का प्रतीक बन चुकी है।
भरतपुर। गोवर्धन गिरिराज जी की 21 किलोमीटर की परिक्रमा देश के करोड़ों श्रद्धालुओं की आस्था का प्रतीक बन चुकी है। नंगे पांव, दंडवत परिक्रमा करते भक्तजन, और छप्पन भोग की झांकियां वातावरण को भक्तिमय बना देती हैं। यह सिर्फ धार्मिक यात्रा नहीं, बल्कि सांस्कृतिक और आध्यात्मिक पुनरावृत्ति का पर्व है।
वहीं, भगवान श्रीकृष्ण के उज्जैन स्थित महर्षि सांदीपनि आश्रम से मथुरा तक के मार्ग को ‘श्रीकृष्ण गमन पथ’ के रूप में विकसित किया जा रहा है। राजस्थान और मध्यप्रदेश सरकार मिलकर इस पौराणिक पथ को संरक्षित कर रही हैं। मार्ग में आने वाले कृष्ण जीवन से जुड़े स्थलों को सजाया और संरक्षित किया जाएगा।
इसी भक्ति परंपरा से जुड़ता है मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा का नाम, जो अष्टछाप संप्रदाय के महान कृष्णभक्त कवि गोविन्ददास के वंशज हैं। भरतपुर के अटारी गांव में जन्मे गोविन्ददास ने महावन (गोकुल) में दीक्षा लेकर श्रीनाथ जी की लीलाओं का अद्भुत वर्णन किया। वे न केवल कवि थे, बल्कि गान विद्या के आचार्य भी थे।
गोवर्धन के समीप कदमखण्डी उनकी साधना स्थली रही, जो आज भी श्रद्धालुओं के लिए प्रेरणास्रोत है। मुख्यमंत्री के इस आध्यात्मिक वंशज होने से आस्था और शासन का एक दिव्य संगम भी देखने को मिल रहा है।

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