प्रदेश में बजरी खनन पर लगी रोक हटी, मकान बनाना सस्ता होगा, बजरी माफिया पर भी लगेगा अंकुश

प्रदेश में बजरी खनन पर लगी रोक हटी, मकान बनाना सस्ता होगा, बजरी माफिया पर भी लगेगा अंकुश

जनता को राहत: दामों में 200 से 300 रुपए प्रति टन कमी की उम्मीद

 जयपुर। सुप्रीम कोर्ट ने प्रदेश में बजरी खनन के मामले में राज्य सरकार और आमजन को बड़ी राहत देते हुए चार साल से बजरी खनन पर लगी रोक हटा दी है। इसके साथ ही प्रदेश में लीज धारकों के वैध खनन को मंजूरी दी है। वहीं सर्वोच्च अदालत ने राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि वह अवैध बजरी खनन की गतिविधियों से सख्ती से निपटे। न्यायाधीश एल नागेश्वर राव, संजीव खन्ना व बीआर गवई की खंडपीठ ने यह आदेश सेंट्रल एम्पावर्ड कमेटी की सभी सिफारिशों को स्वीकार करते हुए ऑल राजस्थान बजरी ट्रक ऑपरेटर्स वेलफेयर सोसायटी के अध्यक्ष नवीन शर्मा व अन्य की विशेष अनुमति याकिचा पर दिए। दरअसल पूर्व में सुप्रीम कोर्ट में दायर एक एसएलपी में कहा गया था कि प्रदेश की 45 खानों में राज्य सरकार से अनुमति लेकर खनन चल रहा है, लेकिन इनमें से किसी ने भी पर्यावरण एनओसी नहीं ली है। जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने 16 नवंबर 2017 को प्रदेश में बजरी खनन पर पूरी तरह से रोक लगा दी थी। वहीं राजस्थान बजरी ट्रक आॅपरेटर वेलफेयर सोसायटी के नवीन शर्मा ने वैध माइनिंग पर लगी रोक हटाने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर की थी। एसएलपी पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने एक सेंट्रल एम्पावर्ड कमेटी गठित की थी। सुप्रीम कोर्ट ने उक्त कमेटी को छह सप्ताह के भीतर अपनी रिपोर्ट दायर करने को कहा था। कमेटी की सिफारिशें प्राप्त होने और सभी पक्षकारों की बहस पूरी होने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने 26 अक्टूबर को मामले में फैसला सुरक्षित रख लिया था।


वैध खनन पर रोक से अवैध खनन बढ़ेगा
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वैध माइनिंग पर पूरी तरह से रोक लगाना अवैध माइनिंग को बढावा देगा, लेकिन बजरी खनन के मुद्दे से निपटते समय पर्यावरण के सुरक्षा मानकों को सुनिश्चित करने के लिए टिकाऊ विकास के संतुलित तरीकों को लागू करना भी जरूरी है। बजरी खनन पर पूरी तरह से रोक लगाने से सरकार को राजस्व की हानि होती है और अवैध गतिविधियां भी बढ़ती हैं। ऐसे में यह भी अनदेखी नहीं की जा सकती कि जब वैध खनन पर रोक होती है तो अवैध खनन कुकुरमुत्ते की तरह बढ़ता है। वहीं बजरी माफिया भी अवैध खनन के लिए संगठित आपराधिक गतिविधियों को अंजाम देता है और स्थानीय निवासियों सहित अफसरों व सामाजिक कार्यकर्ताओं को भी नुकसान पहुंचाता है।


अवैध बजरी खनन में लिप्त वाहनों पर पैनल्टी का मुद्दा सीईसी को वापस भेजा
अदालत ने अवैध बजरी खनन में लिप्त पाए गए वाहनों पर दस लाख रुपए पैनल्टी व भार के अनुपात में और पैनल्टी लगाए जाने की सीईसी की सिफारिशों के मुद्दे को वापस सीईसी को भेजते हुए इस पर आठ सप्ताह में अपनी रिपोर्ट देने के लिए कहा है। कोर्ट ने सीईसी की सिफारिशों को मानते हुए नदी एरिया के दोनों ओर पांच किमी के दायरे में खातेदारी जमीन पर बजरी खनन की लीज को भी रद्द कर दिया। बहस के दौरान सीईसी ने कहा था कि खातेदारी खनन की आड़ में अवैध बजरी खनन को बढावा मिल रहा है। ऐसे में वास्तविक लीजधारकों के जरिए ही खनन करवाया जाए।

सरकार को फायदा : राजस्व में 320 करोड़ की सालाना बढ़ोतरी होगी

जयपुर। प्रदेश में चार साल बाद बजरी खनन पर हटी रोक के बाद अब प्रदेश में आमजन को 200 से 300 रुपए प्रति टन बजरी सस्ती मिलेगी। अभी प्रदेश में बजरी के दाम करीब 1300-1400 रुपए प्रति टन है। इससे मकान बनाना सस्ता होगा। सरकार का बजरी खनन बंद होने से बंद हुए राजस्व को भी पंख लगेंगे। खान विभाग को प्रतिवर्ष जहां अभी खातेदारों की बजरी पट्टों से केवल 80 करोड़ रुपए का राजस्व मिल रहा था, वह बढ़कर अब 400 करोड़ होगा यानी 320 करोड़ रुपए की सालाना बढ़ोतरी की उम्मीद है। बजरी खनन पर रोक के वक्त यह 245.95 करोड़ सालाना था। वहीं बजरी का उत्पादन जो अभी प्रदेश में 208 लाख टन हो रहा था उसके बढ़कर 700 लाख टन यानी 492 लाख टन की खनन में बढ़ोतरी हो जाएगी। बजरी खनन रोक के वक्त यह 568.40 लाख टन था। जनता और सरकार को इस राहत के साथ ही एक और बड़ी राहत बजरी माफिया से मिलेगी। बजरी का अवैध खनन पर स्वत: ही अंकुश लगेगा और सरकार के लिए इन्हें लेकर बनी एक बड़ी चुनौती समाप्त हो जाएगी।

2 लाख लोगों का रोजगार फिर से शुरू होगा
सुप्रीम कोर्ट में याचिका से खनन पर रोक हटाने में अहम रहे राजस्थान बजरी ट्रक यूनियन के प्रदेशाध्यक्ष नवीन शर्मा ने बताया कि प्रदेश में बजरी खनन में 15000 ट्रक और 30 हजार ड्राइवर-सहयोगी लगे थे। खनन में करीब 1.50 लाख से ज्यादा लोग प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रुप से जुड़े थे। अब इन सभी के रोजगार फिर से लौट सकेंगे।


नदी के 5 किमी दायरे में खातेदारी पर नहीं होगा खनन

सुप्रीम कोर्ट ने प्रदेश में नदी इलाके के 5 किमी में स्थित खातेदारी की जमीन पर  खनन पर रोक लगाई है। इस सीमा में स्थित तकरीबन 25 खातेदारी खनन पट्टे रद्द होंगे। प्रदेश में कुल 281 खातेदारी के खनन पट्टों पर खनन हो रहा है। इनसे प्रदेश में 108 लाख टन बजरी का उत्पादन होता है। वहीं 40 करोड़ का राजस्व का सालाना मिलता है।  

फैक्ट फाइल

1. 16 नवम्बर 2017 में खनन पर रोक लगते वक्त
बजरी लीज थी : 53
बजरी उत्पादन :  568.40 लाख टन
राजस्व :  245.95 करोड़ रुपए सालाना
2.  बजरी खनन पर रोक हटने के बाद अब
संभावित चालू खनन पट्टे होंगे: 68 (नदियों में)
संभावित उत्पादन: 700 लाख टन
संभावित राजस्व: 400 करोड़ रुपए सालाना

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