आरटीयू के पूर्व कुलपति के खिलाफ दर्ज एफआईआर में कार्रवाई पर रोक
राज्य सरकार और राज्यपाल सचिवालय से जवाब तलब
जबकि इस मामले में राज्यपाल के सचिव ने तय प्रक्रिया का पालन नहीं किया और एक प्रोफार्मा के आधार पर ही एसीबी को याचिकाकर्ता के खिलाफ अभियोजन स्वीकृति जारी कर दी।
जयुपर। राजस्थान हाईकोर्ट ने आरटीयू कोटा के पूर्व कुलपति राम अवतार गुप्ता के खिलाफ पांच लाख रुपए की रिश्वत के मामले में एसीबी की ओर से दर्ज एफआईआर में कार्रवाई पर रोक लगा दी है। इसके साथ ही अदालत ने मामले में राज्य सरकार और राज्यपाल सचिवालय को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है। जस्टिस प्रवीर भटनागर की एकलपीठ ने यह आदेश राम अवतार गुप्ता की आपराधिक याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए। अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता के खिलाफ मामले में अभियोजन की मंजूरी राज्यपाल के सचिव ने 29 नवंबर 2024 को दी है। इसके लिए राज्यपाल की शक्तियों को हस्तांतरित किया गया। ऐसे में याचिकाकर्ता के खिलाफ दर्ज एफआईआर में कार्रवाई पर रोक लगाना उचित होगा। याचिका में अधिवक्ता पंकज गुप्ता ने बताया कि राज्यपाल ही कुलपति को नियुक्त करता है और उन्हें ही उसे हटाने की शक्ति होती है। राज्यपाल की शक्तियों को किसी अन्य को हस्तातंरित नहीं किया जा सकता। जबकि इस मामले में राज्यपाल के सचिव ने तय प्रक्रिया का पालन नहीं किया और एक प्रोफार्मा के आधार पर ही एसीबी को याचिकाकर्ता के खिलाफ अभियोजन स्वीकृति जारी कर दी।
इसके अलावा मामले में राज्यपाल को स्वयं अपने विवेक से अभियोजन स्वीकृति पर फैसला करना था। इसलिए याचिकाकर्ता के खिलाफ मामले में की जाने वाली समस्त कार्रवाई को रद्द किया जाए। जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने संबंधित अधिकारियों से जवाब तलब करते हुए याचिकाकर्ता के खिलाफ दर्ज एफआईआर में कार्रवाई पर रोक लगा दी है। ज्ञातव्य है कि एसीबी की टीम ने राम अवतार गुप्ता को पांच लाख रुपए की रिश्वत के साथ 5 मई, 2022 को पकड़ा था। राम अवतार पर आरोप है कि एक निजी कॉजेल में छात्रों की सीट बढाने की एवज में यह रिश्वत ली गई थी। एसीबी को कुलपति के कमरे से लाखों रुपए की नकदी और परिवार के सदस्यों के बैंक खातों में भी बडी धनराशि मिली थी।
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