भाजपा प्रदेशाध्यक्ष राठौड़ ने दिए संकेत : दंडित हो सकते हैं, आहूजा गलती की मिलेगी सजा
मंदिर में गंगा जल छिड़क कर विवादों में घिरे थे आहूजा
भाजपा की पूर्ववर्ती सरकार की ओर से मंदिर माफी की भूमि से पुजारियों के खातेदारी में नाम होने के बावजूद उन्हें भी बेदखल करने के सवाल पर राठौड़ ने कहा, मंदिर की संपत्ति ठाकुरजी की है और वह उनकी ही रहेगी।
जोधपुर। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ ने मंदिर में गंगा जल छिड़क कर विवादों में घिरे पूर्व विधायक ज्ञानदेव आहूजा को दंडित किए जाने के संकेत दिए हैं। सोमवार को जोधपुर दौरे के दौरान मीडिया से बात करते इस मुद्दे पर पार्टी का मत स्पष्ट करते कहा, भाजपा सदस्य बनने की पहली शर्त यही है कि मैं किसी भी तरह की अस्पृश्यता बर्दाश्त नहीं करूंगा, लिंग, जाति व धर्म का भेदभाव नहीं करुंगा। किसी व्यक्ति ने जो कुछ भी गलत काम किया उस पर तत्काल कदम उठाया और निलंबित कर जवाब तलब किया। जो जवाब आया, उसे अनुशासन कमेटी को सौंप दिया गया है। दंडित किया जाएगा, लेकिन उससे पहले प्रक्रिया पूरी करनी होती है। राठौड़ ने कहा, मुझे लगता है जो गलत काम करेगा उसे दंडित किया जाएगा।
जैसा कि किसी भी दल हो किसी को भी दंडित करने से पहले सुनवाई का पूरा अवसर दिया जाता है उसके बाद ही निर्णय होता है। कानून में भी ऐसा ही होता है। मुझे लगता है दंडित किया जाएगा लेकिन मैं अध्यक्ष होने के नाते पहले ही कुछ कहूं वो न्यायसंगत नहीं होगा। आहूजा की ओर से दिए जवाब पर चर्चा करते हुए प्रदेशाध्यक्ष राठौड़ ने कहा, पहले ही दिन उन्होंने आहूजा से बात की थी। तब उन्होंने बताया, उनके घर पर खाना बनाने तक का काम बैरवा समाज का व्यक्ति करता हैं इसलिए मेरा जाति से भेदभाव का प्रश्न ही नहीं उठता।
मंदिर की संपत्ति ठाकुरजी की
भाजपा की पूर्ववर्ती सरकार की ओर से मंदिर माफी की भूमि से पुजारियों के खातेदारी में नाम होने के बावजूद उन्हें भी बेदखल करने के सवाल पर राठौड़ ने कहा, मंदिर की संपत्ति ठाकुरजी की है और वह उनकी ही रहेगी। हमने कभी पुजारियों का हक नहीं छीना है। हालांकि ऐसे पुजारी जिनके नाम खातेदार के रूप में दर्ज थे, उनके नाम हटाने के सवाल को राठौड़ टाल गए।
पिछड़ों को आगे लाने में अहम योगदान
राठौड़ ने कहा, बाबा साहब भीमराव आंबेडकर का पिछड़ों को आगे लाने में अहम योगदान रहा है। उनकी ही तरह पंडित दीनदयाल उपाध्याय ने भी एकात्म मानववाद का सिद्धांत दिया। उन दोनों का यही मत रहा, कि समाज के अंतिम छोर पर बैठे व्यक्ति का भी भला हो। हमारे विरोधी उनके नाम पर सिर्फ राजनीतिक फायदे के लिए बाबा साहब के नाम का दुरुपयोग कर रहे हैं, वो उचित नहीं है।
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