ट्रेन की चपेट में आने से दो सगे भाई और एक बच्ची की मौत का मामला
मौके पर मिले मोबाइल के आधार पर पहचान
जानकारी के अनुसार सुमित अपनी पत्नी, चार बेटियों, बेटे के साथ जय अंबे नगर में किराए से रहता था।
जयपुर। परिवार में उपजे क्लेश और आर्थिक तंगी ने एक ही परिवार की तीन जिंदगियों को काल का ग्रास बना दिया। जब परिवार के तीन शव सोमवार सुबह गांव पहुंचे तो चीख-पुकार मच गई। खोहनागोरियान थाना इलाके में सीबीआई फाटक के पास रविवार रात करीब साढ़े ग्यारह बजे दो सगे भाई और एक बच्ची के ट्रेन से कटने से मौत हो गई थी। मृतक फागी तहसील के सेंदरिया गांव हाल जय अम्बे नगर में किराए के मकान में रहने वाले सुमित सैन (40) उसकी बेटी निशा (15) और बड़े भाई गणेश (44) का सोमवार को जयपुरिया अस्पताल में पोस्टमार्टम कराकर शव परिजनों को सौंप दिया। पुलिस ने हादसे के बाद मौके पर मिले मोबाइल के आधार पर पहचान की। प्रथम दृष्टया जांच में गृह क्लेश होना सामने आया है।
ऐसे चला था पता: सुमित का अपने परिवार में झगड़ा हो गया। वह आत्महत्या के इरादे से सीबीआई फाटक के पास पटरी पर आकर बैठ गया। रात सवा ग्यारह बजे उसने अपने रिश्तेदार को वीडियो कॉल कर ट्रेन दिखाते हुए कटकर मरने की बात कही। जब रिश्तेदार ने एड्रेस पूछा तो सुमित ने फोन काट दिया। इसकी जानकारी रिश्तेदार ने सुमित के भाई गणेश को दी। गणेश ने तुरंत सुमित को फोन पर समझाया लेकिन वह नहीं माना। इस पर सुमित ने अपनी लोकेशन गणेश को भेज दी। लोकेशन के आधार पर गणेश और सुमित की बेटी निशा सीबीआई फाटक पहुंचे। वे सुमित को ट्रैक से खींचकर दूर कर रहे थे, इस दौरान हरिद्वार मेल ट्रेन आ गई। सुमित के साथ निर्दोष गणेश और निशा भी ट्रेन की चपेट में आए और तीनों की मौत हो गई। मृतक के भाई मोतीलाल ने शिकायत दर्ज कराई है। शिकायत में बताया कि उनके भाई सुमित का पैर ट्रैक में फंस गया था, जिसे बचाने के लिए उनकी बेटी निशा और भाई गणेश पहुंचे थे। इस दौरान आई ट्रेन ने तीनों को अपनी चपेट में ले लिया। जिसके चलते तीनों की मौके पर ही मौत हो गई।
मची चीख पुकार
जानकारी के अनुसार सुमित अपनी पत्नी, चार बेटियों, बेटे के साथ जय अंबे नगर में किराए से रहता था। कुछ दिनों से आर्थिक स्थिति ठीक नहीं चलने के कारण परिवार में झगड़ा होता रहता था। रविवार को देर रात तक झगड़ा हुआ। जिसके बाद वह रेलवे ट्रैक पहुंच गया। वहीं गणेश अपने पैतृक गांव सेंदरिया में रहता था और अपने वृद्ध माता-पिता का सहारा था। गणेश के एक बेटा है। वह दो दिन पहले ही गांव से जयपुर आया था। सुमित और गणेश के दो भाई और हैं जो शहर में सैलून की दुकान चलाते हैं।

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