स्वच्छ सर्वेक्षण के दावे बेमानी, शहर में जगह-जगह कचरे के ढेर, प्रतिदिन करीब 900 टन कचरा निकलता है
अधिकारियों की लापरवाही का आलम
शिकायत मिलने पर सफाई कराने के साथ ही संबंधित लापरवाह अधिकारियों पर भी कार्रवाई की जाएगी।
जयपुर। केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय की ओर से देशभर के स्वच्छ शहरों की रैकिंग निर्धारण के लिए चलाए जा रहे स्वच्छ सर्वेक्षण 2024 की तैयारियों को लेकर नगर निगम जयपुर हेरिटेज की ओर से किए जा रहे कार्य धरातल पर नहीं उतर पा रहे है और शहर में जगह-जगह कचरे के ढ़ेर हो रहे है। शहर के प्रमुख मार्गों के साथ ही शहर के विभिन्न इलाकों में कचरे के ढ़ेर होने से आस-पास के लोगों को भी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। साथ ही कचरे के ढ़ेर होने से मौसमी बीमारियां भी बढ़ रही है। निगम के हूपर कचरे को सड़क पर डालकर जला देते है। सिंधी कैंप बस स्टेंड के पास पारीक कॉलेज रोड़ पर रात के समय कचरे को डालकर जलाया जा रहा है, जबकि कचरे को जलाने पर रोक है। अजमेरी गेट के पीछे एवं पारीक कॉलेज रोड पर कचरे के ढ़ेर पड़े हुए है। इन्द्रा बाजार में कचरे ढ़ेर पर बेसहारा पशुओं का जमावड़ा होने से प्लास्टिक सहित अन्य कचरा भी खाते रहते है। राहगीरों का आना जाना भी मुश्किल हो जाता है। इससे महिला, बुर्जुग एवं बच्चों को अधिक परेशानी का सामना करना पड़ता है। निगम हेरिटेज आयुक्त अरूण कुमार हसीजा ने बताया कि स्वच्छ सर्वेक्षण को लेकर जोन उपायुक्तों के साथ ही सफाई निरीक्षकों को नियमित रूप से वार्डो में दो-दो बार निरीक्षण कर सफाई कराने के निर्देश दिए है। रात्रिकालीन सफाई व्यवस्था के लिए भी टीमों का गठन हुआ है और रोडों की भी नियमित सफाई करवाई जा रही है। शिकायत मिलने पर सफाई कराने के साथ ही संबंधित लापरवाह अधिकारियों पर भी कार्रवाई की जाएगी।
करीब 900 टन कचरा निकलता है प्रतिदिन
निगम हेरिटेज के सभी 100 वार्डों में से रोजाना करीब 900 टन कचरा निकलता है। डोर टू डोर कचरा संग्रहण के साथ ही शहर से कचरे का निकालकर वेस्ट टू एनर्जी प्लांट पर पहुंचाकर इसका निस्तारण करवाया जाता हैं, लेकिन अधिकारियों की लापरवाही का आलम यह है कि कचरा सड़कों पर फैला हुआ रहता है।
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